5 स्‍वास्‍थ्‍य स्थितियों के बारे में बताती है आपकी सांस

हाल ही मे एक शोध से पता चला है कि कई बीमारियों का पता अब सांसो से लगाया जा सकता है। ये कई तरह के कष्टकारी टेस्ट की प्रक्रिया से बचाएगा।
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5 स्‍वास्‍थ्‍य स्थितियों के बारे में बताती है आपकी सांस


सांस की बदबू का कारण अब केवल मुंह में मौजूद बैक्टीरिया ही नहीं होते बल्कि कई गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं। हाल ही में हुए ब्रीद टेस्ट की खोज से अब कई तरह की बीमारियों का पता सांसों से ही लगाया जा सकता है। ‘ब्रीद टेस्ट’ नामक ये परीक्षण सांस के जरिए किया जाता है और फिर सांस को बाहर निकालने पर उसमें मौजूद रसायनों में ट्यूमर बनाने की क्षमता के आधार पर मरीज का परीक्षण किया जाता है। यानी आपकी सांस आपसे संबंधित बीमारियों के बारे में बताती है, इसके बारे में विस्‍तार से जानने के लिए यह आर्टिकल पढ़ें।

पेट का कैंसर

सांस का परीक्षण करके पेट के कैंसर का पता चल सकेगा। इस तकनीक में सांस द्वारा उन ख़ास तत्वों की पहचान हो सकेगी जिनमें बीमारी के संकेत छुपे होते हैं। इस टेस्‍ट के जरिये अति सूक्ष्म कणों में रासायनिक संकेत ट्यूमर का पता लगा सकते हैं।

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दिल की बीमारी

जल्दी सांस फूलने, चक्कर आने, थकान, सीने में दर्द होने पर पल्मोनरी हाइपरटेंशन (पीएच) का खतरा होता है। इसमें हार्ट से फेफड़े में जानी वाली आर्टरी में ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। यह एक लाइलाज बीमारी है और इसके लक्षण हृदय सांस की दूसरी बीमारियों की तरह ही हैं।

मोटापा

मोटे लोगों को शारीरिक गति‍विधियां करने में दिक्‍कत होती है। गले और छाती के आसपास जमा अतिरिक्‍त चर्बी के कारण सांसें उखड़ने लगती हैं। इसलिए मोटे लोग गहरी और लंबी सांस नहीं ले पाते और इसके साथ ही उन्‍हें सांस लेने में परेशानी भी होती है। इन लोगों की सांस में मेथेन और हाईड्रोजन गैस की मात्रा बढ़ जाती है।

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मधुमेह

मधुमेह की जांच रक्त के नमूने से की जाती है। लेकिन रोगी द्वारा छोड़े गए सांस से मधुमेह की जांच की जाएगी। मधुमेह की जांच के लिए सामान्य प्रक्रिया को विकसित करना समय की जरूरत है। मधुमेह की जांच के लिए प्रयोग होने वाले ‘ग्लूकोमीटर्स’ में प्रयोग किए जाने वाले स्ट्रिप्स काफी महंगे होते हैं। इसे एक बार प्रयोग करने के बाद फेंक देना पड़ता है। वैज्ञानिक पद्धति के अनुसार होने वाले इस जांच को ‘केटोसिस’ कहा जाता है।

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गुर्दे का फेल होना

गुर्दे के फेल हो जाने से रक्त में यूरिया का स्तर बढ़ जाता है। यह यूरिया लार में अमोनिया के रुप में उत्पन्न होता है जो मुंह में अमोनिया ब्रेथ नामक बू का कारण बनता है। साथ ही यह मुंह में अप्रिय धातु के स्वाद (डिस्गुसिया) का भी कारण बनता है। रोग के बढ़ जाने पर सांस लेने में दिक्कत महसूस होती है।

यानी अब केवल अंपनी सांसों की जांच कराकर गंभीर बीमारियों के बारे में जान सकते हैं, यह बीमारियों के उपचार में मददगार होगा।

 

Image Courtesy@Gettyimages

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