क्या है यीस्ट इंफेक्शन? जानें इसके लक्षण, कारण और उपचार

अगर किसी स्त्री को वजाइना में खुजली और जलन जैसी समस्याएं नजर आएं तो ये यीस्ट इंफेक्शन के लक्षण हो सकते हैं। जानेंं कैसे...
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क्या है यीस्ट इंफेक्शन? जानें इसके लक्षण, कारण और उपचार

ज्यादातर स्त्रियां वजाइना में जलन और खुजली जैसी समस्याओं से परेशान रहती हैं। वे अकसर इसके पीछे छिपे कारण को नहीं समझ पाती और बाद में और परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बता दें कि अगर आपको भी तरह की कोई परेशानी है तो इसे यीस्ट या वजाइनल इन्फेक्शन कहते हैं। इस तरह के इंफेक्शन होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना होता है। लेकिन उससे पहले इसके लक्षण समझने जरूरी हैं। अब सवाल यह है कि इस तरह का यीस्ट इंफेक्शन वेजाइनल में क्यों होता है? और इससे कैसे बचा जा सकता है? हमारा लेख आपको इस इंफेक्शन को समझने में मदद करेगा। बता दें कि ये लेख उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल के हेड और सीनियर कंसल्टेंट (स्त्री रोग विशेषज्ञ) एकता बजाज से बातचीत पर बनाया गया है। पढ़ते हैं आगे...

 

यीस्ट इंफेक्शन क्या है?

बता दें कि कैंडिडा एलबिकंस (candida albicans) नामक फंगस महिलाओं के वजाइना में पाया जाता है। जब इन फंगस की मात्रा वजाइना में जरूरत से ज्यादा बढ़ने लगती है तब स्त्रियों को जलन, खुजली और रैशेज जैसी समस्याएं नजर आने लगती हैं। इन परेशानियों को यीस्ट इंफेक्शन कहते हैं।

क्यों होता है यीस्ट इंफेक्शन

बता दें कि शरीर में इम्यून सिस्टम कैंडिडा एलबिकंस फंगस की संख्या को नियंत्रित रखता है। वैसे तो इस फंगस से शरीर को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचता है लेकिन जब स्त्रियां एंटीबायोटिक का सेवन जरूरी मात्रा में कर लेती है तो इससे शरीर के खराब बैक्टीरिया के साथ-साथ गुड बैक्टीरिया भी खत्म होने लगते हैं, जिसके कारण फंगस फैलना शुरु करता है। ध्यान दें कि जो महिलाएं पीरियड्स के दौरान पर्सनल हाइजीन का ख्याल नहीं रखती हैं उनमें भी इसके लक्षण देखने को मिलते हैं।

यीस्ट इंफेक्शन के प्रमुख लक्षण

  • यीस्ट इनफेक्शन के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं-
  • अत्यधिक खुजली होना,
  • जलन और प्रभावित हिस्से में लाल रंग के रैशेज देखना,
  • वजाइना से गाढ़ा और बदबूदार वाइट डिस्चार्ज होना,
  • सूजन दिखना,
  • अधिक हो जानें पर त्वचा के छिलने और कटने की संभावना बढ़ना।

मेनोपॉज के बाद क्या सच में वजाइना इंफेक्शन की आशंका बढ़ जाती है?

यह बात सच है कि मेनोपॉज के बाद स्त्रियों में इस तरह के लक्षण देखने को मिलते हैं। इसके पीछे का कारण है शरीर में प्रोजेस्ट्रोन और एस्ट्रोजेन नामक फीमेल हार्मोन की मात्रा घटना। ध्यान दें कि वजाइना में जरूरी तत्व जो लुब्रिकेशन बनाने का काम करते हैं उनका स्राव होता है। लेकिन जब शरीर में प्रोजेस्ट्रोन और एस्ट्रोजन की कमी होने लगती है तो इन तत्वों की सक्रियता में कमी आने लगती है। यही कारण होता है कि वजाइना में ड्राइनेस आ जाती है और ड्राइनेस के कारण स्त्रियों में इंफेक्शन की संभावना बढ़ जाती है और उन्हें लक्षण दिखने लगते हैं।

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डायबिटीज से पीड़ित स्त्रियों में यीस्ट इंफेक्शन?

यह बात सच है कि डायबिटीज से पीड़ित स्त्रियों में इस इंफेक्शन के फैलने की संभावना ज्यादा होती है। इसके पीछे कारण है रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर हो जाना। बता दें कि जब शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है तो कोई भी इंफेक्शन आसानी से शरीर को अपना शिकार बना सकता है। डायबिटीज के मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है इसीलिए सामान्य लोगों की तुलना में डायबिटीज पीड़ित लोग के शरीर में किसी भी तरह के संक्रमण को दूर करने के लिए ज्यादा जतन करना पड़ता है। ऐसे में एक्सपर्ट डायबिटीज से पीड़ित स्त्रियों को पर्सनल हाइजीन का ध्यान रखने की सलाह देते हैं।

इस बात में कितनी सच्चाई है कि ज्यादा मीठा खाने वाले लोग इस समस्या का शिकार होते हैं?

यह बात सच है कि ज्यादा मीठा खाने वाले लोगों को इस इंफेक्शन की समस्या ज्यादा हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि वजाइना में मौजूद फंगस अधिक मीठे को अपना भोजन बना लेता है। ऐसे में जो स्त्रियां अधिक मात्रा में शुगर लेती हैं उनमें इस यीस्ट इंफेक्शन की संभावना बढ़ जाती है।

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किस प्रकार की समस्या से दूर रखा जा सकता है?

जो स्त्रियां अपनी डाइट में दही को शामिल करती हैं उनमें इस तरह के लक्षण नहीं देखे जाते। क्योंकि दही में यीस्ट प्रतिरोध तत्व पाए जाते हैं जो वजाइना को इस इंफेक्शन से दूर रखते हैं। इसीलिए अगर अपनी डाइट में दही, छाछ, लस्सी आदि को जोड़ा जाए तो वजाइना इंफेक्शन से लोग बच सकते हैं।

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क्या है इस इंफेक्शन से बचाव और उपचार

यीस्ट इंफेक्शन से बचने का सबसे अच्छा तरीका है। पर्सनल हाइजीन का विशेष रूप से ध्यान रखना। पीरियड्स के दौरान 6 घंटे के अंदर-अंदर सेनेटरी पैड को बदलें। साथ ही कुछ स्त्रियों की आदत होती है कि वे वजाइना को साबुन से धोती हैं। ऐसे में केवल सादे पानी से धोना एक अच्छा विकल्प है। दूसरी तरफ अगर पति या पत्नी में से किसी एक को भी इस तरह का कोई संक्रमण है तो वह उचित दूरी बनाए रखें। वही स्विमिंग के बाद पर्सनल पार्ट्स को अच्छे से धोएं। अंडर गारमेंट्स का चुनाव करते वक्त अच्छी क्वालिटी और कॉटन का ध्यान रखें। अपने पर्सनल कपड़ों को मशीन के बजाय हाथों से धोएं और हमेशा धूप में सुखाएं। अगर गर्मी का मौसम है और आपको ज्यादा पसीना आने की परेशानी है तो अपनी अंडर गारमेंट्स को दिन में दो बार बदलें क्योंकि पसीने से इस इंफेक्शन के फैलने की संभावना बढ़ जाती है। अपनी डाइट में ज्यादा शुगर वाली चीजें को हटा दें साथ ही चॉकलेट, ड्रिंक्स, पेस्ट्री आदि की मात्रा को सीमित रखें। अगर आप को जलन या सूजन जैसी समस्या नजर आ रही है तो बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी ट्यूब का इस्तेमाल ना करें। ऐसा करने से परेशानी बढ़ सकती है। इस तरह के लक्षण दिखने पर तुरंत स्त्री विशेषज्ञ से सलाह लें। मार्केट में कई ऐसी दवाई मौजूद हैं, जिनके माध्यम से इस समस्या को ठीक किया जा सकता है लेकिन डॉक्टर सलाह देते हैं कि एक बार उपचार शुरू करवाने के बाद बीच में ना छोड़ें और डॉक्टर के दिए निर्देशों का पालन करें।  

(ये लेख उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल के हेड और सीनियर कंसल्टेंट (स्त्री रोग विशेषज्ञ) एकता बजाज से बातचीत पर आधारित है)

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