
Sweet Syndrome in Hindi: स्वीट सिंड्रोम एक संक्रामक और रेयर बीमारी है। यह समस्या होने पर बुखार होने के साथ स्किन गंभीर घाव हो सकता है। वैज्ञानिक इस समस्या को लेकर लगातार शोध कर रहे हैं लेकिन अभी तक स्वीट सिंड्रोम के सटीक कारणों का पता नहीं चला है। कुछ शोध और अध्ययनों में यह भी कहा गया है कि स्वीट सिंड्रोम कुछ दवाओं के रिएक्शन, एलर्जी और खराब खानपान की वजह से भी हो सकता है। इस बीमारी में दिखने वाले लक्षण भी अलग होते हैं। स्वीट सिंड्रोम के लक्षण आमतौर पर 3 से 4 दिन तक रहते हैं और फिर अपने आप खत्म हो जाते हैं, लेकिन कुछ लोगों में ये लक्षण दोबारा भी दिख सकते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं स्वीट सिंड्रोम के बारे में।
स्वीट सिंड्रोम क्या है?- What is Sweet Syndrome in Hindi
स्वीट सिंड्रोम को मेडिकल की भाषा में एक्यूट फिब्राइल न्यूट्रोफिलिक डर्मेटोसिस भी कहते हैं। इस बीमारी में आमतौर पर मरीज को तेज बुखार और स्किन पर चकत्ते या रैशेज दिखाई देते हैं। स्वीट सिंड्रोम कैंसर की वजह से भी हो सकता है ऐसा कई शोध में भी कहा गया है। कुछ मामलों में स्वीट सिंड्रोम की समस्या प्रेगनेंसी के साथ भी हो सकती है। इस बीमारी को लेकर ज्यादा जानकारी अभी मौजूद नहीं है, डॉक्टर्स और वैज्ञानिक अभी भी इस स्थिति को लेकर शोध कर रहे हैं। अभी तक मिले मामलों में ज्यादा लोग 30 साल से 50 साल की उम्र के हैं और इनमें ज्यादातर महिलाएं शामिल हैं।

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स्वीट सिंड्रोम के लक्षण- Sweet Syndrome Symptoms in Hindi
clevelandclinic की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक स्वीट सिंड्रोम की समस्या का शिकार होने पर मरीज की आंखें, स्किन और तंत्रिका तंत्र पर ज्यदा प्रभाव पड़ता है। स्वीट सिंड्रोम होने पर बुखार, स्किन पर चकत्ते, आंख में सूजन जैसी परेशानियां होती हैं। स्वीट सिंड्रोम के कुछ प्रमुख लक्षण इस तरह से हैं-
- चेहरे, गर्दन, हाथ या पैरों पर मवाद वाले फफोले
- स्किन पर लाल रंग के रैशेज
- तेज बुखार
- मांसपेशियों में दर्द
- जोड़ों में गंभीर दर्द
- लगातार सिरदर्द
स्वीट सिंड्रोम का इलाज और बचाव- Sweet Syndrome Treatment and Prevention in Hindi
स्वीट सिंड्रोम की समस्या का इलाज डॉक्टर कई तरह की जांच करने के बाद करते हैं। मरीज की स्थिति के हिसाब इ उसे दवाओं के सेवन की सलाह दी जाती है। ज्यादातर लोगों के इलाज में डॉक्टर कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवाओं का इस्तेमाल करते हैं। मरीज के शरीर में फैले संक्रमण को कम करने और सूजन को कंट्रोल करने के दवाएं दी जाती हैं। इसके अलावा डॉक्टर्स का यह मानना है कि चूंकि अभी इस समस्या को लेकर ज्यादा जानकारी नहीं मिली है, इसलिए इस समस्या से बचाव के उपायों के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है।
(Image Courtesy: Freepik.com)
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