Rejection Trauma: रिजेक्शन ट्रॉमा क्या होता है? जानें इसके लक्षण और बचाव

किसी भी काम में रिजेक्ट होने पर आपको रिजेक्शन ट्रामा हो सकता है। आगे जानते हैं इसके लक्षण और बचाव के उपाय।   
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Rejection Trauma: रिजेक्शन ट्रॉमा क्या होता है? जानें इसके लक्षण और बचाव


 

नुष्य एक सामाजिक प्राणी है, जो दूसरों से संबंध बनाकर रहना पसंद करता है। व्यक्ति चाहता है जैसे उसके मन को ठीक लगे उसे भी सभी ठीक कहने लगे। लेकिन, जब लोग उनकी बातों को नकारने लगते हैं। तो व्यक्ति को रिजेक्शन फील होने लगता है। कई बार किसी इंटरव्यू में बैठने के दौरान रिजेक्ट होने पर भी व्यक्ति को रिजेक्शन फील आने लगती है। कई बार तो व्यक्ति इस रिजेक्शन को मन में बैठा लेते हैं। इस स्थिति को रिजेक्शन ट्रामा कहा जाता है। इस लेख में जानेंगे कि व्यक्ति को रिजेक्शन ट्रामा क्या होता है और इसके लक्षण व बचाव कैसे होता है। 

रिजेक्शन ट्रामा क्या है? What is Rejection Trauma In Hindi

रिजेक्शन ट्रामा बार-बार रिजेक्ट होने वाले अनुभवों की एक मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रिया है, जो निराशा या उदासी की सामान्य भावनाओं की तरह होती है। इसमें व्यक्ति को रिजेक्शन का डर सताने लगता है और कई बार तो ये डर इतना बढ़ जाता है कि व्यक्ति किसी से मिलना भी पसंद नहीं करता है। यह समस्या बचपन के कुछ खराब अनुभव, बीते कुछ वर्षों में मिलने वाले रिजेक्शन का एक पैर्टन भी इसका कारण हो सकता है। 

रिजेक्शन ट्रामा के लक्षण - Symptoms Of Rejection Trauma In Hindi

आत्मसम्मान में लगातार गिरावट

रिजेक्शन ट्रामा के दौरान व्यक्ति के आत्म सम्मान में गिरावट आने लगती है। जिससे व्यक्ति को खराब विचार, खुद पर संदेह और नकारात्म आत्म छवि पैदा हो जाती है।

दूसरों से कम मिलना

रिजेक्शन ट्रामा से ग्रसित व्यक्ति दूसरों से मिलने में करताने लगता है। वह लोगों के साथ नए अनुभवों को शेयर करने और उनसे मिलने से बचने लगता है। 

rejection trauma in hidni

भावनात्मक प्रतिक्रिया में बदलाव

रिजेक्शन ट्रामा से पीड़ित व्यक्ति को रिजेक्शन के बाद में उदासी, क्रोध, भय या शर्मिंदगी जैसी भावनाओं का अनुभव हो सकता है। ऐसे में व्यक्ति दूसरों पर भरोसा नहीं कर पाता है।  

जिम्मेदारी लेने से बचना

रिजेक्शन ट्रामा में व्यक्ति को जिम्मेदारी लेने में कठिनाइयां होती है। इस तरह का व्यक्ति किसी भी काम के लिए खुद से जिम्मेदारी नहीं लेता है। साथ ही, किसी भी नए काम को करने में डरने लगता है। 

तनाव

रिजेक्शन ट्रामा में लंबे समय तक रहने से व्यक्ति को अवसाद और चिंता होने लगती है। इस वजह से व्यक्ति कई बार डिप्रेशन का शिकार हो जाता है। ऐसे में उसको हर समय किसी बात को लेकर तनाव सताने लगता है। 

रिजेक्शन ट्रामा को रोकना - Prevention Of Rejection Trauma In Hindi

हालांकि रिजेक्शन ट्रामा के जोखिम को पूरी तरह से समाप्त करना असंभव है, लेकिन ऐसे कई उपाय अपनाए जा सकते हैं, जिनसे आप रिजेक्शन ट्रामा को कम कर सकते हैं। 

  • आत्म-जागरूकता : आत्म-जागरूकता से व्यक्तियों को रिजेक्शन ट्रामा को कम करने में मदद मिलती है। इससे वह नकारात्मक विचार को समझकर उससे खुद दूर रहने पर विचार करता है। 
  • नकारात्मक विचारों को दूर करना : कॉग्नेटिव बिहेवरियल थेरेपी (सीबीटी) में शामिल होना या मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर के साथ काम करने से व्यक्ति को नकारात्मक विचारों को दूर करने में मदद मिलती है। 
  • विचारों में बदलाव : भावनात्मक विचारों में बदलाव लाएंं। इससे आपको रिजेक्शन ट्रामा से बाहर आने में मदद मिलती है। 
  • मोटिवेशन स्पीकर को सुनें : मोटिवेशन स्पीकर को सुनने से आपके अंदर आत्मविश्वास जागता है। साथ ही, आप किसी भी तरह के रिजेक्शन से उभरकर समाज के साथ कार्य करने के लिए प्रेरित होते हैं। 

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किसी भी तरह के नकारात्मक विचारों को दूर करने के लिए आप मेडिटेशन कर सकते हैं। इसके अलावा, दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ समय बिताएं। इससे आपको आत्मविश्वास मिलता है। साथ ही, इमोशन से जुड़े किसी भी तरह के ट्रामा से बाहर निकलने में मदद मिलती है। यदि, आपको परेशानी अधिक हो, तो ऐसे में आप डॉक्टर की मदद ले सकते हैं। 

 

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