POTS In Hindi: शरीर के अंगों को कार्य करने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है और यह ऑक्सीजन लाल रक्त कोशिकाएं अंगों तक पहुंचाने का कार्य करती हैं। यह एक ऐसी प्रक्रिया को जो व्यक्ति के शरीर में निरंतर चलती रहती है। लेकिन, कुछ विशेष तरह की समस्याओं में ब्लड का सर्कुलेशन प्रभावित होता है। इस समस्या को पोस्टुरल ऑर्थोस्टैटिक टैचीकार्डिया सिंड्रोम (POTS) कहते हैं। इस डिसऑर्डर में व्यक्ति के खड़ा होने पर ज्यादा रक्त शरीर के निचले हिस्से की ओर चला जाता है और वह ऊपर की ओर नहीं आ पाता है। ऐसे में हार्ट पर प्रेशर पड़ता है और हृदय गति बढ़ जाती है। जिससे हृदय संबंधी अन्य रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। आगे जाइनोवा अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर रजत गर्ग से जानते हैं कि पोस्टुरल ऑर्थोस्टैटिक टैचीकार्डिया सिंड्रोम के लक्षण और इलाज क्या होते हैं।
पोस्टुरल ऑर्थोस्टैटिक टर्कीकार्डिया सिंड्रोम (POTS) क्या है? - What Is Postural Orthostatic Tachycardia Syndrome in Hindi
पोस्टुरल ऑर्थोस्टैटिक टर्कीकार्डिया सिंड्रोम (POTS) एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति जब खड़ा होता है तो उसकी दिल की धड़कने तेज हो जाती है। पोस्टुरल ऑर्थोस्टैटिक टर्कीकार्डिया सिंड्रोम को समझने के लिए आपको इसके शब्दों को समझना होना। इसमें पोस्टुरल का मतलब आपके बैठने की स्थिति से है, ऑर्थोस्टैटिक का अर्थ खड़े होने से है। जबकि, टर्कीकार्डिया का अर्थ दिल की धड़कनों से है और लक्षणों को समूह को सिंड्रोम कहते हैं। ब्लड सर्कुलेशन हृदय गति को नियंत्रित करता है। जब सर्कुलेशन की प्रक्रिया में बाधा आताी है तो इससे हार्ट पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। इससे हार्ट बीट बढ़ जाती हैं। लाइफस्टाइल और इलाज से इस स्थिति को ठीक किया जा सकता है।
पोस्टुरल ऑर्थोस्टैटिक टर्कीकार्डिया सिंड्रोम (POTS) के लक्षण - Symptoms Of Postural Orthostatic Tachycardia Syndrome In Hindi
इस समस्या में व्यक्ति को आगे बताए गए लक्षण महसूस हो सकते हैं।
- बेहोशी आना।
- चक्कर आना।
- दिल की धड़कने तेज होना।
- सांस लेने में परेशानी होना।
- घबराहट महसूस होना।
- थकान होना।
- सीने में दर्द।
- सूजन आना, आदि।
पोस्टुरल ऑर्थोस्टैटिक टर्कीकार्डिया सिंड्रोम (POTS) के कारण - Causes Of Postural Orthostatic Tachycardia Syndrome In Hindi
शोधकर्ता के अनुसार इस समस्या के कारणों का अभी पता नहीं चला है। फिलहाल, ऐसा लगता है कि POTS के विभिन्न प्रकार है।
- न्यूरोपैथिक पॉट्स: यह तब होता है जब न्यूरोलॉजिक्ल समस्याओं की वजह से रक्त वाहिका की मांसपेशियां खराब हो जाती हैं, खासकर आपके पैरों की नसें प्रभावित होती हैं।
- हाइपरएड्रीनर्जिक पॉट्स: यह तब होता है जब आपका सिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम ओवर एक्टिव हो जाता है।
- हाइपोवोलेमिक पॉट्स: शरीर में रक्त की मात्रा कम होने से पॉट्स हो सकते हैं। कम रक्त की मात्रा की वजह से सिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम की समस्या जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं।
पोस्टुरल ऑर्थोस्टैटिक टर्कीकार्डिया सिंड्रोम का इलाज कैसे करें - Treatment of Postural Orthostatic Tachycardia Syndrome in Hindi
इस समस्या का इलाज डॉक्टर मरीज की जीवनशैली, डाइट और दवाओं के द्वारा करते हैं। इसमें डॉक्टर नसों को खोलने वाली एक्सरसाइज करने की सलाह देते हैं। इसके साथ ही योग क्रिया से भी नसों को खोलने और ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करने का प्रयास किया जाता है। इसके अलावा डाइट में नमक की मात्रा कम की जाती है और हरी सब्जियों की मात्रा को बढ़ाया जाता है। साथ ही, मरीज को एक बार में ज्यादा खाने की तुलना में छोटी-छोटी मील लेने और पर्याप्त मात्रा में पानी पीने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा, नसों से संबंधित दवाओं के द्वारा मरीज की समस्या को कम किया जाता है।
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अगर आपको घर से बाहर चक्कर या बेहोशी आने का लक्षण महसूस हो रहा है तो ऐसे में किसी सुरक्षित स्थान पर बैठ जाए। चक्कर आने पर एक जगह बैठ जाएं। साथ ही, अपनी समस्या के बारे में डॉक्टर से मिलें।