Brugada Syndrome in Hindi: पिछले कुछ सालों में हार्ट के मामले तेजी से बढ़े हैं। आजकल हर उम्र के लोगों में हार्ट अटैक और अन्य हार्ट समस्याएं देखी जा रही हैं। हार्ट की समस्याओं के लिए वैसे, तो कई कारक जिम्मेदार हैं जैसे अनहेल्दी डाइट, खराब लाइफस्टाइल, एक्सरसाइज की कमी आदि। लेकिन कई कारण ऐसे हैं जिनके बारे में हमें पता नहीं है या जानकारी कम है। ऐसी एक समस्या है जिसे ब्रुगाडा सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है। ब्रुगाडा सिंड्रोम होने पर हार्ट बीट अनियमित हो जाती है और व्यक्ति को घबराहट महसूस होती है। इस लेख में हम ब्रुगाडा सिंड्रोम को विस्तार से जानेंगे। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के पल्स हॉर्ट सेंटर के कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ अभिषेक शुक्ला से बात की।
क्या है ब्रुगाडा सिंड्रोम?- What is Brugada Syndrome
ब्रुगाडा सिंड्रोम में हार्ट बीट में खराबी आ जाती है। इस वजह से दिल की धड़कन गड़बड़ा जाती है। ब्रुगाडा सिंड्रोम में ब्लड प्रेशर ड्रॉप हो जाता है और व्यक्ति की जान भी जा सकती है। ब्रुगाडा सिंड्रोम का पता ईसीजी से लगाया जाता है। ब्रुगाडा सिंड्रोम की शुरुआत बुखार से होती है। इसलिए इस समस्या से जूझ रहे लोगों में पहले बुखार का इलाज किया जाता है। हार्ट रिदम इलेक्ट्रिकल मैसेज से कंट्रोल की जाती है। लेकिन ब्रुगाडा सिंड्रोम होने पर हार्ट सेल्स तक ब्रेन के मैसेज नहीं पहुंच पाते। इस समस्या के चलते हार्ट के सेल्स तक इलेक्ट्रोलााइट्स नहीं पहुंच पाते और हार्ट बीट अनियमित होने लगती है।
ब्रुगाडा सिंड्रोम के लक्षण- Brugada Syndrome Symptoms
- चक्कर आना।
- बार-बार बेहोशी आना।
- धड़कन बिगड़ना।
- तेज बुखार आना।
- हार्ट बीट तेज या कम हो जाना।
- सांस लेने में कठिनाई होना।
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ब्रुगाडा सिंड्रोम के कारण- Brugada Syndrome Causes
डिहाइड्रेशन, एल्कोहल का ज्यादा सेवन करना, दवाओं का ज्यादा सेवन करना, नशीले पदार्थों का ज्यादा सेवन करना, जेनेटिक कारणवश और तेज गर्मी वाले तापमान में रहने के कारण यह समस्या बढ़ सकती है। ज्यादातर यह समस्या उन लोगों में होती है जिनके परिवार में ब्रुगाडा सिंड्रोम का कोई मरीज मौजूद हो। जेनेटिक बीमारी होने के कारण आप इसका शिकार हो सकते हैं। हालांकि यह एक रेयर कंडीशन है इसलिए इससे ज्यादा डरने की जरूरत नहीं है, केवल हेल्दी लाइफस्टाइल और असामान्य लक्षणों पर गौर करें।
ब्रुगाडा सिंड्रोम का इलाज- Brugada Syndrome Treatment
- जेनेटिक टेस्टिंग और इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम टेस्ट की मदद से इस बीमारी का पता लगाया जाता है।
- ब्रुगाडा सिंड्रोम होने पर डॉक्टर यह कोशिश करते हैं कि बुखार ज्यादा न बढ़ जाए।
- ब्रुगाडा सिंड्रोम में आईसीडी मशीन लगाने की सलाह दी जाती है जिससे दिल की धड़कन हर मिनट मॉनिटर की जाती है।
- इस समस्या से रिकवर होने में 1 हफ्ते तक का समय भी लग सकता है।
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