What is Nasal Teratoma in Kids know symptoms and treatment: भारत आस्था के साथ-साथ अंधविश्वास का देश भी है। ऐसा कहा जाए तो गलत नहीं होगा। भारत के लोग जितना आस्था में विश्वास करते हैं, उससे कहीं ज्यादा अंधविश्वास को मानते हैं। किसी ने बच्चे को टोंक दिया और बच्चा रोने लगे तो पेरेंट्स उसकी मिर्च और नींबू से नजर उतारने लगते हैं। पिछले साल राजस्थान के दौसा जिले में भी एक ऐसा ही अंधविश्वास का मामला सामने आया था। यहां एक बच्चे के मोटी नाक, छोटी आंखें और आम इंसानों के मुकाबले थोड़े बड़े कानों के साथ जन्म लिया था। लोग इस बच्चे को भगवान गणेश का स्वरूप मान रहे थे। दरअसल, इस बच्चे की जो तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी, जिसमें उसका चेहरा गणपति बप्पा की तरह की नजर आ रहा था। वहीं, शरीर बिल्कुल आम इंसान की तरह था। एक अलग तरह की नाक और आंखों के साथ जन्म लेने वाला यह बच्चा किसी भगवान का स्वरूप नहीं, बल्कि एक गंभीर बीमारी से पीड़ित था। लखनऊ के बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. तरूण आनंद का कहना है कि इस तरह के रोग को नासल टेराटोमा कहा जाता है। नासल टेराटोमा में शिशु की नाक सामान्य से थोड़ी मोटी होती है। आज इस लेख में हम आपको नासल टेराटोमा क्या है और इस बीमारी का इलाज क्या है, इस विषय पर जानकारी देने वाले हैं।
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नासल टेराटोमा क्या है?- What is Nasal Teratoma in Kids
डॉ. तरूण आनंद की मानें को नासल टेराटोमा एक दुर्लभ ट्यूमर है। नासल टेराटोमा के मामले दुनियाभर में बहुत ही कम देखने को मिलते हैं। यह ट्यूमर शिशु के जन्म के साथ ही उसके चेहरे पर नजर आ सकता है। डॉक्टर का कहना है, "नाक पर दिखने वाले इस उभरते हुए क्षेत्र या सूजन को कुछ लोग भगवान गणेश की सूंड़ समझ लेते हैं। यह धारणा बिल्कुल गलत है। अगर किसी बच्चे के नाक पर ज्यादा सूजन दिखाई देती है तो यह नासल टेराटोमा है। बच्चे की इस स्थिति को पहचानना बहुत जरूरी होता है।"
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डॉक्टर के अनुसार, जन्म के साथ अगर किसी बच्चे के चेहरे पर ज्यादा उभार नजर आता है, तो उन्हें इस विषय पर पेरेंट्स को बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ से बात करनी चाहिए।
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नासल टेराटोमा का इलाज क्या है?
डॉ. तरूण आनंद का कहना है कि नासल टेराटोमा से पीड़ित बच्चे को सांस लेने में परेशानी हो सकती है। दरअसल, इस दुर्लभ स्थिति में बच्चे की नाक में मौजूद वायु मार्ग बाधित हो जाता है, जिसके कारण बच्चे को ऑक्सीजन लेने में मुश्किल आ सकती है। नासल टेराटोमा से पीड़ित बच्चे का इलाज अगर जन्म के साथ न किया जाए, तो इसकी वजह से बच्चे की मौत हो सकती है। डॉक्टर की मानें तो नासल टेराटोमा का इलाज सर्जरी द्वारा ही किया जा सकता है। इस दुर्लभ बीमारी का इलाज कीमोथेरेपी या विकिरण चिकित्सा द्वारा ही संभव है। इतना ही नहीं नासल टेराटोमा से पीड़ित बच्चे की सर्जरी होने के 2 से 3 सालों तक उसे डॉक्टरी देखभाल की जरूरत होती है।
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