
Human Papillomavirus Infection- ह्यूमन पैपिलोमा वायरस आमतौर पर महिलाओं और पुरुषों में पाई जाने वाली बीमारी है। ह्यूमन पैपिलोमा वायरस संक्रमण को सर्वाइकल कैंसर के तौर पर भी जाना जाता है। यह कैंसर योनि से शुरू होते हुए मूत्राशय, मलाशय से लेकर फेफड़ों में फैल जाता है। ह्यूमन पैपिलोमा वायरस इंफेक्शन (Human Papillomavirus Infection) एक ऐसा वायरस है, जो शारीरिक संबंध बनाने के दौरान एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में पहुंच सकता है। इस संक्रमण से विश्वभर के कई लोग संक्रमित है, जिनमें से कुछ लोग अपने आप ठीक हो जाते हैं, जबकि अधिकांश लोगों को कैंसर सहित कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आइए मेदांता अस्पताल (लखनऊ) के मेडिकल डायरेक्टर और किडनी एवं यूरोलॉजी इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ. राकेश कपूर से जानते हैं ह्यूमन पैपिलोमा वायरस के कारण, लक्षण और बचाव के तरीके।
ह्यूमन पेपिलोमा वायरस संक्रमण के कारण - Causes of Human Papillomavirus Infection in Hindi
ह्यूमन पेपिलोमा वायरस के कुछ उच्च जोखिम वाले प्रकार सर्वाइकल कैंसर जैसी गंभीर स्थितिों का कारण बन सकते हैं, हालांकि सभी ह्यूमन पेपिलोमा वायरस संक्रमण कैंसर का कारण नहीं बनते हैं। इसके अलावा ह्यूमन पेपिलोमा वायरस संक्रमण अन्य प्रकार के कैंसर जैसे गुदा कैंसर, लिंग का कैंसर, गले का कैंसर, योनि का कैंसर, सर्वाइकल कैंसर और वल्वर कैंसर का भी कारण बन सकता है।
ह्यूमन पेपिलोमा वायरस संक्रमण के लक्षण - Symptoms of Human Papillomavirus Infection in Hindi
ह्यूमन पेपिलोमा वायरस एक आम यौन संचारित संक्रमण है, जो आमतौर पर यौन सक्रिय पुरुषों और महिलाओं में पाया जाता है। ह्यूमन पेपिलोमा वायरस 150 से ज्यादा तरह के होते हैं, जिसमें से कुछ कैंसर का कारण बन सकते हैं। इसके आम लक्षणों में जननांगों पर मस्से शामिल हैं, जो खुरदरे और फूल गोभी जैसे दिख सकते हैं।
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ह्यूमन पेपिलोमा वायरस संक्रमण से बचाव का तरीका - How to Prevent Human Papillomavirus Infection in Hindi
ह्यूमन पेपिलोमा वायरस का संक्रमण महिलाओं में नियमित जांच की मदद से पता चल सकता है। हर तीन साल में पेप स्मीयर जांच हर शादीशुदा महिला को करवानी चाहिए या ह्यूमन पेपिलोमा वायरस DNA टेस्ट हर 5 साल पर करवानी चाहिए।
ह्यूमन पेपिलोमा वायरस संक्रमण के इलाज में लेजर थेरेपी, लूप इलेक्ट्रोसर्जिकल एक्जिशन प्रक्रिया या क्रायोथेरेपी शामिल हैं। ह्यूमन पेपिलोमा वायरस के संक्रमण के बचाव के लिए वैक्सीन भी उपलब्ध है, खास तौर पर ज्यादा संक्रामक स्ट्रेन्स के खिलाफ। गार्डासिल वैक्सीन बच्चों को 9 साल से 14 साल के बीच 2 डोज लगाई जाती है और उसके बाद 26 साल की उम्र तक 3 डोज लगाई जाती है। इस वैक्सीन को लड़के और लड़कियां दोनों को लगाई जाती है।
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