शरीर को स्वस्थ रखने के लिए दिल का स्वस्थ (Heart Healthy) रहना बहुत जरूरी होता है। बिना स्वस्थ हृदय के जीवन व्यतीत करने में कई बाधाएं आती हैं। क्या आप हार्ट चैंबर के बारे में जानते है। क्या आपको पता है कि हार्ट चैंबर (Heart Chamber) कैसे कार्य करता है। अगर नहीं तो इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि हार्ट चैंबर क्या है और कैसे काम करता है। हार्ट चैंबर हमारे हृदय का अहम हिस्सा है, जो हमारे हृदय को सुचारू रूप से कार्य करने में मदद करता है। हार्ट चैंबर की मदद से ही हमारे दिल से खून का बहाव हमारे फेफड़ों तक पहुंचता है। इसमें गड़बड़ी होना हमारे लिए बहुत सी समस्याओं का कारण बन सकता है। हार्ट चैंबर आपकी शरीर के दाईं ओर से रक्त लेकर फेफड़े (Lungs) की ओर उसका बहाव करता है। हार्ट चैंबर में खराबी आ जाने के कारण आपको पल्मानरी इन्बॉलिज्म (Pulmonary Embolism) जैसी गंभीर समस्या भी हो सकती है, जिसमें आपके पैरों की नसों में खून के थक्के बनने की संभानाएं रहती हैं। इसी विषय पर आज हमने बात की पूणे के हेल्दी हार्ट क्लीनिक के कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर केदार कुलकर्णी से। आइये जानते हैं डॉ. केदार से हार्ट चैंबर में ग़ड़बड़ी आने पर होने वाली समस्याओं के बारे में।
हार्ट चैंबर के प्रकार (Types of Heart Chamber)
हमारे हृदय में मुख्य रूप से दो चैंबर मौजूद रहते हैं। एट्रियम और वेंट्रिकल। लेकिन इनके भी दो प्रकार होते हैं, जिनसे इनकी संख्या कुल चार होती है। एट्रियम को स्मॉल चैंबर के नाम से जाना जाता है। वहीं वेंट्रिकल को बिग चैंबर के नाम से भी जाना जाता है।
एट्रियम (Atrium)
एट्रियम यानि हृदय का छोटा चैंबर। इस चैंबर में खून जमा होता है। इस चैंबर का काम शरीर में से ऑक्सीजन और रक्त के खराब फ्लो को वेंट्रिकल में पंप करना है। एट्रियम के भी दो प्रकार होते हैं लेफ्ट एट्रियम और दूसरा राइट एट्रियम।
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वेंट्रियम (Ventricle)
वहीं वेंट्रियम का काम एट्रियम से पंप किए गए रक्त को शरीर की ओर मुख्य रूप से फेफड़े में पंप करना होता है। वहीं बल्ड का वन वे फ्लो होने के लिए इनमें वाल्व मौजूद होते हैं, जिनकी मदद से एट्रियम और वेंट्रियम के बीच रक्त का बहाव संभव हो पाता है। वहीं वेंट्रियम भी दो प्रकार के होते हैं, जिन्हें लेफ्ट और राइट एट्रियम के नाम से जाना जाता है।
हार्ट चैंबर में खराबी आने से क्या होता है
पल्मानरी इंबॉलिज्म (Pulmonary Embolism)
डॉ. केदार के मुताबिक हार्ट चैंबर में खराबी आ जाने से आपको पल्मानरी इंबॉलिज्म की समस्या हो सकती है। इस समस्या में आपके पैर की नसों में खून के थक्के बनना शुरू हो जाते हैं। यही खून का थक्का खून के बहाव के साथ जब हार्ट तक पहुंचता है और हार्ट से होकर फेफड़ों की ओर जाता है, इसी स्थिती को पल्मानरी इंबॉलिज्म के नाम से जाना जाता है। ऐसी स्थिति होने पर तत्काल रूप से चिकित्सक के पास जाएं। इस समस्या से ग्रस्त लोग माइल्ड मॉडरेट सीवियर के प्रकार के होते हैं। इस समस्या से जूझ रहे व्यक्तियों को छाती में दर्द होने के साथ साथ सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
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कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy)
डॉ. केदार ने बताया कि हार्ट की मसल्स कमजोर (Weakness of Heart Muscles) होने पर आपको यह समस्या हो सकती है। यह ऐसी स्थिति है, जिसमें हृदय खून को सर्कुलेट करने की अवस्था में नहीं रहता है। कार्डियोमायोपैथी से ग्रस्त मरीजों में अक्सर देखा गया है कि उनकी मांसपेशियां कठोर और आकार में मोटी हो जाती हैं। कार्डियोमायोपैथी भी तीन प्रकार की होती है। डायलेटेड कार्डियोमायोपैथी जिसमें हार्ट फेलियर होने की संभावनाएं रहती हैं। दूसरा ट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी इस समस्या में आपकी शरीर में सांस की कमी होने लगती है साथ ही आगे चलकर हार्ट फेलियर की भी आशंकाए रहती हैं। तीसरी है रेस्ट्रक्टिव कार्डियोमायोपैथी इस समस्या में आपके लेफ्ट साइड के हार्ट चैंबर में असमानता रहती है, जिसके कारण यह समस्या उत्पन्न होती है. इसमें आपको हार्ट फेलियर होने की संभावना रहती है साथ ही इसमें तीनों प्रकारों क एकुपिक्चर में अंतर रहता है।
वैल्व्यूलर हार्ट डिजीज (Valvular Heart Diseases)
इसमें मुख्य रूप से आपके हृदय में मौजूद वाल्व प्रभावित होती हैं। इसमें रक्त का बहाव समान रूप से नहीं होता है, जिस कारण हार्ट में मौजूद वाल्व में कई बार लीकेज होने लगती है। ऐसे में आपकी वाल्व को मुख्य रूप से खतरा रहता है। यह समस्या हृदय में मौजूद लेफ्ट चैंबर के प्रभावित होने पर होता है।
हार्ट चैंबर में खराबी के लक्षण (Symptoms of Heart Chamber)
- पैरों में सूजन आना
- थोड़ी दूर चलने पर भी सांस फूलना
- सोते समय सांस फूलना
- पीडलेडिमा
- कंजेशन
हार्ट चैंबर में समस्या आने पर तत्काल रूप से कार्डियोलॉजिस्ट से मिलें। इस समस्या में जरा भी देरी आपके हृदय को और भी नुकसान पहुंचा सकती है।
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