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महिलाओं में ज्यादा रहता है ब्रेस्ट टीबी का खतरा, डॉक्टर से जानें इसके लक्षण, कारण और बचाव

What is Breast Tuberculosis: ब्रेस्ट टीबी, माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के ब्लड फ्लो के माध्यम से या संक्रमण से स्तन के ऊतकों तक पहुंचने पर होती है।
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महिलाओं में ज्यादा रहता है ब्रेस्ट टीबी का खतरा, डॉक्टर से जानें इसके लक्षण, कारण और बचाव


What is Breast Tuberculosis: टीबी की बीमारी एक गंभीर संक्रामक बीमारी है। ट्यूबरक्लोसिस या टीबी को क्षय रोग के नाम से भी जाना जाता है। आमतौर पर लोगों को लगता है कि टीबी सिर्फ फेफड़ों को प्रभावित करती है। लेकिन यह बीमारी शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है। टीबी होने पर दिखने वाले शुरुआती लक्षणों को सही समय पर पहचान कर उचित कदम उठाने से आप इसका गंभीर रूप से शिकार होने से बच सकते हैं। महिलाओं में स्तन टीबी या ब्रेस्ट टीबी (Breast Tuberculosis) का खतरा ज्यादा रहता है। आइए इस लेख में विस्तार से समझते हैं, स्तन में होने वाली टीबी के कारण, लक्षण और बचाव के बारे में।

ब्रेस्ट टीबी क्या है?

माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु के संपर्क में आने के कारण शरीर में टीबी का संक्रमण फैलता है। ब्रेस्ट टीबी भी इसी वजह से होती है। स्टार मैटरनिटी हॉस्पिटल की स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ विजय लक्ष्मी कहती हैं, “फेफड़ों के अलावा शरीर के किसी अन्य अंग में होने वाली टीबी को एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी कहते हैं। ब्रेस्ट टीबी भी एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी का ही एक टाइप है। ब्रेस्ट में टीबी का खतरा सबसे ज्यादा 21 से 30 साल की उम्र की महिलाओं में होता है।”

What is Breast Tuberculosis in Hindi

ब्रेस्ट टीबी क्यों होता है?

ब्रेस्ट टीबी की समस्या माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया के ब्लड फ्लो के माध्यम से या सीधे संक्रमण से स्तन के ऊतकों तक पहुंचने पर होती है। ऐसी महिलाएं जिनके शरीर में पहले से टीबी का संक्रमण है, उन्हें ब्रेस्ट टीबी का खतरा सबसे ज्यादा रहता है।

ब्रेस्ट टीबी के कुछ प्रमुख कारण इस तरह से हैं-

सीधा संक्रमण: टीबी से ग्रसित व्यक्ति के थूक के संपर्क में आने से या संक्रमित मरीज के स्तन के घाव को छूने से सीधे संक्रमण का खतरा रहता है। हालांकि यह बहुत मुश्किल मामलों में होता है

पहले से टीबी की बीमारी: पहले से टीबी की बीमारी होने पर भी ब्रेस्ट टीबी का खतरा रहता है। ब्लड फ्लो के माध्यम से संक्रमण ब्रेस्ट तक पहुंच सकता है।

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ब्रेस्ट टीबी के लक्षण

ब्रेस्ट टीबी के ज्यादातर लक्षण ब्रेस्ट कैंसर के लक्षणों से मिलते-जुलते हैं। यही कारण है कि लोग इनके अंतर को पहचान नहीं पाते हैं। ब्रेस्ट टीबी होने पर दिखने वाले कुछ प्रमुख लक्षण इस तरह से हैं-

  • ब्रेस्ट में गांठ होना: ब्रेस्ट में एक या एक से अधिक गांठें होना ब्रेस्ट टीबी का एक आम लक्षण है। ये गांठें आमतौर पर सख्त, दर्द रहित और स्किन से चिपकी हुई होती हैं।
  • स्तन में सूजन: गांठ के साथ-साथ पूरे स्तन में सूजन या सूजन का अहसास हो सकता है।
  • ब्रेस्ट स्किन में लालिमा: कुछ मामलों में, प्रभावित ब्रेस्ट की स्किन लाल हो सकती है।
  • निप्पल से डिस्चार्ज: ब्रेस्ट टीबी होने पर निप्पल से पीले रंग का गाढ़ा डिस्चार्ज हो सकता है, कभी-कभी इसमें खून भी आ सकता है।
  • लिम्फ नोड्स में सूजन: कुछ मामलों में, बगल के लिम्फ नोड्स में भी सूजन और सख्ती हो सकती है।

ब्रेस्ट टीबी की जांच कैसे होती है?

डॉक्टर ब्रेस्ट टीबी के लक्षण दिखने पर कई तरह से मरीजों की जांच करते हैं। मरीजों की जांच के लिए इस तरह के टेस्ट किए जा सकते हैं-

  • शारीरिक परीक्षण: इसमें डॉक्टर आपके स्तनों की सावधानीपूर्वक जांच करते हैं और किसी भी गांठ या असामान्यता का पता लगाते हैं।
  • मैमोग्राम: इस टेस्ट में स्तन के ऊतकों की एक्स-रे इमेज ली जाती हैं। हालांकि, ब्रेस्ट टीबी का पता लगाने के लिए मैमोग्राम हमेशा सटीक नहीं होता है।
  • अल्ट्रासाउंड स्कैन: स्तन के ऊतकों की इमेज लेने के लिए साउंड वेव का उपयोग किया जाता है।
  • एफएनएसी (FNAC) या कोर बायोप्सी: गांठ से कोशिकाओं का एक छोटा सा नमूना निकालकर उसकी जांच की जाती है। यह यह पता लगाने का सबसे निश्चित तरीका है कि गांठ कैंसरयुक्त है या टीबी से संबंधित है।

ब्रेस्ट टीबी से बचाव के उपाय

ब्रेस्ट टीबी से बचने के लिए इन चीजों का ध्यान रखना चाहिए-

बीसीजी का टीकाकरण: नवजात शिशुओं को जन्म के तुरंत बाद बीसीजी का टीका लगवाना बहुत जरूरी है। यह टीका फेफड़ों के टीबी से पूरी सुरक्षा तो नहीं देता है, लेकिन यह गंभीर बीमारी होने के खतरे को कम कर देता है।

टीबी के लक्षणों पर ध्यान दें: यदि आपको लगातार खांसी, बुखार, रात को पसीना आना, या वजन कम होना जैसे टीबी के लक्षण दिखाई देते हैं, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से जांच कराएं और इलाज करवाएं। इससे न केवल फेफड़ों के टीबी को फैलने से रोका जा सकता है बल्कि ब्रेस्ट टीबी का खतरा भी कम हो जाता है।

छींकते या खांसते समय मुंह को ढकें: यदि आप या आपके आसपास कोई व्यक्ति टीबी से संक्रमित है, तो छींकते या खांसते समय मुंह और नाक को रूमाल या टिश्यू से ढकना चाहिए। इससे टीबी बैक्टीरिया के फैलने का खतरा कम हो जाता है।

पौष्टिक आहार लें: पौष्टिक आहार लेने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। संतुलित आहार में फल, सब्जियां, साबुत अनाज, दालें और दूध उत्पादों को शामिल करें।

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दूसरी तरह के टीबी की तरह, ब्रेस्ट टीबी का इलाज भी आमतौर पर कई तरह की दवाओं के माध्यम से किया जाता है, जिसे डॉट्स (DOTS) कहते हैं।  इसमें आमतौर पर आइसोनियाजिड (INH), रिफैम्पिसिन (RFP), पायराजिनमाइड (PZA), और इथंब्यूटोल (EMB) जैसी दवाएं शामिल होती हैं। एक मरीज को कम से 6 से 9 महीने तक दवाओं के सेवन की सलाह दी जाती है। दावा का कोर्स बीच में रोकने से मरीज का पूरी तरह ठीक होना मुश्किल हो जाता है।

(Image Courtesy: freepik.com)

 

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