What Happens If Gestational Diabetes Is Not Controlled: प्रेग्नेंसी में शुगर और बीपी जैसी तमाम मेडिकल कंडीशन को कंट्रोल में रखना जरूरी होता है। यूसीएसएफ में प्रकाशित एक लेख की मानें, तो प्रेग्नेंसी में शुगर के स्तर पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है। प्रेग्नेंसी में ब्लड शुगर का स्तर संतुलित रहने से गर्भ में पल रहे शिशु का विकास बेहतर तरीके से होता है।’ प्रेग्नेंसी में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने को हम जेस्टेशनल डायबिटीज कहते हैं। यह एक गंभीर स्थिति है। अगर जेस्टेशनल डायबिटीज कंट्रोल न की जाए, तो महिलाओं को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यहां तक कि डिलीवरी के समय भी जटिलताएं देखने को मिलती हैं। आइए, नोएडा स्थित Yatharth Hospital में Associate Consultant - Department of Obstetrics & Gynaecology डॉ. स्वाति कुमारी से जानते हैं कि प्रेग्नेंसी में शुगर कंट्रोल न करने पर किस तरह की समस्याएं हो सकती हैं।
प्रेग्नेंसी में शुगर कंट्रोल न करने से कैसी समस्याएं हो सकती हैं?- What Happens If Gestational Diabetes Is Not Managed
सी-सेक्शन का रिस्क
डॉ. स्वाति कुमारी कहती हैं, "प्रेग्नेंसी में जिन महिलाओं को जेस्टेशनल डायबिटीज होता है, उन्हें अपने शुगर के स्तर को बराबर जांच करने रहना चाहिए। प्रेग्नेंसी में शुगर फ्लक्चुएशन की वजह से सी-सेक्शन का रिस्क बढ़ जाता है। दरअसल, जेस्टेशनल डायबिटीज के कारण शिशुओं का आकार सामान्य शिशुओं से अधिक बड़ा हो जाता है, जो कि डिलीवरी के दौरान मुश्किलें पैदा कर सकता है।"
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टाइप-2 डायबिटीज का रिस्क
प्रेग्नेंसी में जिन महिलाओं को जेस्टेशनल डायबिटीज होता है, उन्हें भविष्य में टाइप-2 डायबिटीज का रिस्क भी बना रहता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की एक रिपोर्ट में भी इस बात की पुष्टि हुई है। इसलिए, जिन महिलाओं को जेस्टेशनल डायबिटीज है, उन्हें अपने ब्लड शुगर के स्तर की निरंतर जांच करते रहना चाहिए। इसकी अनदेखी करने से शरीर के कई अंगों पर भी इसका नेगेटिव प्रभाव पड़ सकता है।
प्री-मैच्योर डिलीवरी का जोखिम
प्रेग्नेंसी में शुगर के स्तर में उतार-चढ़ाव बने रहने के कारण प्री-मैच्योर डिलीवरी का भी रिस्क बना रहता है। सवाल है, ऐसा क्यों होता है? नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की एक अन्य रिपोर्ट यह बताती है कि जेस्टेशनल डायबिटीज की वजह से कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के 37 सप्ताह से पहले डिलीवरी हो सकती है। हालांकि, ऐसा हर महिला के साथ हो, यह जरूरी नहीं है।
मृत शिशु का जन्म
डॉ. स्वाति कुमारी की मानें तो प्रेग्नेंसी में सही तरह से शुगर के स्तर को कंट्रोल न किया जाए, तो कुछ गंभीर स्थिति में शिशु मृत पैदा हो सकता है। हालांकि, ऐसा उन्हीं महिलाओं के साथ होने का रिस्क रहता है, जो अपने शुगर के स्तर को लेकर लापरवाही करती हैं और अपनी सेहत का प्रॉपर तरीके से ध्यान नहीं रखती हैं। जिन महिलाओं को प्री-जेस्टेशल डायबिटीज होता है, उनमें इस समस्या का रिस्क कम होता है।
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निष्कर्ष
जेस्टेशनल डायबिटीज को दवाओं और बेहतर जीवनशैली की मदद से कंट्रोल में किया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि वे डॉक्टर की मदद लें। अपने ब्लड शुगर के स्तर को नियमित रूप से मॉनिटर करें और जितना जरूरी हो, लाइफस्टाइल में बदलाव करें। साथ ही, अपनी डाइट में ऐसी चीजें न शामिल करें, जिससे ब्लड शुगर स्पाइक कर सकता है।
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FAQ
यदि मैं अपने गर्भकालीन मधुमेह का ध्यान नहीं रखती तो क्या होता है?
गर्भकालीन मधुमेह होने पर महिलाओं को अपने ब्लड शुगर के स्तर का पूरा ध्यान रखना चाहिए। ऐसा न करने पर कई तरह की जटिलताएं बढ़ सकती हैं, जैसे डिलीवरी में कॉम्प्लीकेशन, सी-सेक्शन का रिस्क आदि।क्या डायबिटीज के मरीज की नॉर्मल डिलीवरी हो सकती है?
डायबिटी के मरीजों को भी नॉर्मल डिलीवरी हो सकती है। हालांकि, इसके लिए महिलाओं को अपने गर्भावस्था की जर्नी में ब्लड शुगर के स्तर को पूरी तरह मेंटेन करने की जरूरत होती है।क्या डायबिटीज का मरीज स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकता है?
निश्चित रूप से अगर गर्भवती महिला को डायबिटीज है, तो भी वह स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती है। गर्भकालीन मधुमेह का यह मतलब नहीं होता है कि शिशु को भी यह बीमारी ट्रांसफर हो जाए। हालांकि, ऐसे बच्चों को ताउम्र अपनी जीवनशैली और डाइट का ध्यान रखना होता है, क्योंकि उन्हें भविष्य में डायबिटीज होने का रिस्क बना रहता है।
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