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प्रेग्नेंसी में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होने के क्या कारण हो सकते हैं? डॉक्टर से जानें

What Causes Hypertension During Pregnancy In Hindi: प्रेग्नेंसी में हाइपरटेंशन होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे डायबिटीज, मोटापा या ऑटोइम्यून डिजीज।
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प्रेग्नेंसी में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होने के क्या कारण हो सकते हैं? डॉक्टर से जानें

What Causes Hypertension During Pregnancy In Hindi: प्रेग्नेंसी में किसी भी तरह की समस्या का होना सही नहीं है। इससे न सिर्फ गर्भवती महिला का स्वास्थ्य बिगड़ सकता है, बल्कि गर्भ में पल रहे शिशु के लिए भी खतरनाक है। यही नहीं, प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ ऐसी समस्याएं हो जाती हैं, जिसकी वजह से प्री-मैच्योर डिलवरी हो सकती है या फिर डिलीवरी के दौरान दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसी ही एक समस्यसा है, हाइपरटेंशन। प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली हाइपरटेंशन को हम जेस्टेशनल हाइपरटेंशन के नाम से जानते हैं। सामान्यत जेस्टेशनल हाइपरटेंशन गर्भावस्था के बाद के दिनों में अधिक देखने को मिलता है। मुख्य रूप से 20 सप्ताह बाद। Clevelandclinic की मानें, तो करीब 6 से 8 फीसदी गर्भवती महिलाएं जेस्टेशनल हाइपरटेंशन का शिकार होती हैं। इसका निदान से पहले यह जान लेना जरूरी है कि आखिर जेस्टेशनल हाइपरटेंशन होता क्यों है? इस लेख में हम आपको बता रहे हैं जेस्टेशनल हाइपरटेंशन के कारण। इस बारे में वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता से बात की है।

जेस्टेशनल हाइपरटेंशन का कारण- What Causes Hypertension During Pregnancy In Hindi

What Causes Hypertension During Pregnancy In Hindi

मोटापा

जैसा कि आप जानते होंगे कि हाइपरटेंशन का एक मुख्य कारण मोटापा है। इसी तरह, प्रेग्नेंसी में भी जेस्टेशनल हाइपरटेंशन का कारण मोटापे को माना जाता है। वैसे, तो प्रेग्नेंसी के दौरान वजन का बढ़ना सामान्य है। लेकिन, अगर आपका वजन औसत से ज्यादा बढ़ रहा है, तो यह चिंता का विषय हो सकता है। American College Of Obstetricians And Gynecologists के मुताबिक, "जेस्टेशनल हाइपरटेंशन प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में होने का रिस्क अधिक होता है। जेस्टेशनल हाइपरटेंशन होने के कारण कई जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। इसलिए, वहन को नियंत्रण में रखने की कोश्शि करें।"

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डायबिटीज

What Causes Hypertension During Pregnancy In Hindi

अगर किसी महिला को प्रेग्नेंसी की शुरुआती दिनों में ही जेस्टेशनल डायबिटीज हो जाए, तो उन्हें जेस्टेशनल हाइपरटेंशन का रिस्क भी बढ़ जाता है। हालांकि, अगर ऐसा किसी महिला के साथ हो जाता है, तो उन्हें चाहिए कि अपनी लाइफस्टाइल को मैनेज करें और ब्लड शुगर के स्तर को बढ़ने न दें। ध्यान रखें कि जेस्टेशनल डायबिटीज के कारण अगर जेस्टेशनल हाइपरटेंशन हो जाता है, तो कई अन्य स्वास्थ्य कंडीशन होने का जोखिम भी बढ़ जाता है। इसमें पल्मनरी एडिमा, थ्रोम्बोसाइटोपेनिया और डिसलिपिडेमिया शामिल हैं।

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बढ़ती उम्र

ध्यान रखें कि अगर गर्भवती महिला की उम्र 35 साल से ज्यादा है, तो बढ़ती उम्र कहा जाता है। 35 साल की उम्र के बाद जो भी महिला कंसीव करती है, तो उन्हें कई तरह की हेल्थ इश्यू हो सकते हैं। इसमें जेस्टेशनल हाइपरटेंशन भी एक है। याद रखें कि अगर बढ़ती उम्र में अगर जेस्टेशनल हाइपरटेंशन को मैनेज न किया जाए, तो मिसकैरेज और बच्चे में अलग-अलग डिसऑर्डर होने का रिस्क बढ़ सकता है। 35 साल की उम्र के बाद प्रेग्नेंसी के दौरान डॉक्टर की दी हुई सलाह को जरूर मानें।

हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल

प्रेग्नेंसी में अगर किसी वजह से महिला का कोलेस्ट्रॉल या इंसुलिन लेवल बढ़ जाता है, तो ऐसे में महिला को जेस्टेशनल हाइपरटेंशन होने का रिस्क भी बना रहता है। American Journal Of Hypertension के अनुसार, "हाई कोलेस्ट्रॉल की वजह से बच्चे का ग्रोथ प्रभावित होता है। इसका बुरा असर बच्चे की मेंटल और फिजिकल हेल्थ पर भी पड़ता है। ऐसे में जरूरी है कि गर्भावस्था में महिला अपने कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बैलेंस करने की कोशिश करें।"

एंटीफॉस्फोलिपिड सिंड्रोम 

msdmanuals वेबसाइट में प्रकाशित एक लेख की मानें, अगर किसी गर्भवती महिला को एंटीफॉस्फोलिपिड सिंड्रोम (एपीएस) है, तो यह स्थिति भी महिला के लिए सही नहीं है। असल में, एंटीफॉस्फोलिपिड सिंड्रोम एक ऐसी कंडीशन है, जिसके कारण रक्त वाहिकाओं में रक्त के थक्के बन सकते हैं। इससे कई गंभीर समस्या पैदा हो सकती है, जैसे मिसकैरेज या स्टिल बर्थ का रिस्क बढ़ सकता है, गर्भ में पल रहे भ्रूण की ग्रोथ प्रभावित हो सकती है। यहां तक कि जेस्टेशनल हाइपरटेंशन की समस्या भी हो सकती है। आपको बता दें कि एंटीफॉस्फोलिपिड सिंड्रोम एक तरह की ऑटोइम्यून डिजीज है।

All Image Credit: Freepik

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