प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में होने वाले शारीरिक और हार्मोनल बदलाव के कारण कई तरह की समस्याओं का खतरा रहता है। गर्भावस्था या प्रेगनेंसी में हाई बीपी की समस्या को जेस्टेशनल हाइपरटेंशन (Gestational Hypertension in Hindi) कहा जाता है। इसे प्रेगनेंसी इंडयूस्ड हाइपरटेंशन (Pregnancy induced hypertension - PIH) के नाम से भी जाना जाता है। आमतौर पर प्रेगनेंसी के दौरान हाई ब्लड प्रेशर की समस्या बहुत कम महिलाओं में देखी जाती है लेकिन इसे बहुत खतरनाक स्थिति माना जाता है। एक आंकड़े के मुताबिक प्रेगनेंसी में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या ज्यादातर 35 साल की उम्र से अधिक वाली महिलाओं में देखा जाता है। गर्भावस्था या प्रेगनेंसी में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या मां और गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों के ही लिए बहुत खतरनाक होती है और इसकी वजह से बच्चे को जन्म देते समय भी कई परेशानियां होती हैं। आइये विस्तार से जानते हैं प्रेगनेंसी में हाई बीपी के कारण, लक्षण और इलाज व बचाव के बारे में।
प्रेगनेंसी के दौरान हाई बीपी के कारण (Pregnancy Induced Hypertension Causes)
प्रेगनेंसी में हाई बीपी की समस्या आमतौर पर 20 वें सप्ताह में देखने को मिलती है। प्रेगनेंसी में ब्लड प्रेशर बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं। यह समस्या डिलीवरी के बाद खत्म हो सकती है। स्टार मैटरनिटी हॉस्पिटल की स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ विजय लक्ष्मी के मुताबिक प्रेगनेंसी में महिलाओं का ब्लड प्रेशर कई कारणों से बढ़ और घट सकता है। खानपान और जीवनशैली से जुड़ी खराब आदतें भी प्रेगनेंसी के दौरान हाई बीपी का कारण बन सकती हैं। ज्यादातर मामलों में यह समस्या पहले से ब्लड प्रेशर की परेशानी होने की वजह से होती है उसके अलावा दिल से जुड़ी बीमारियां और किडनी डिजीज के कारण भी यह समस्या प्रेगनेंसी यानी गर्भावस्था में हो सकती है। प्रेगनेंसी के दौरान हाई ब्लड प्रेशर की समस्या के कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार से हैं।
- पहले से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होना।
- खानपान और लाइफस्टाइल से जुड़ी गड़बड़ी के कारण।
- डायबिटीज की बीमारी के कारण।
- 35 या 40 साल की उम्र में प्रेगनेंसी।
- एक से अधिक भ्रूण (जुड़वां) होना।
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प्रेगनेंसी में हाई बीपी के लक्षण (Gestational Hypertension Symptoms in Hindi)
प्रेगनेंसी में हाई बीपी होने पर आपको चक्कर आने की समस्या या आंखों के सामने धुंधला दिखाई देना हो सकता है। प्रेगनेंसी में ब्लड प्रेशर अगर 120/80 mm HG से ज्यादा है और यह लगातार कई दिनों के लिए बना रहता है तो इसे हाई ब्लड प्रेशर माना जाता है। प्रेगनेंसी में हाई बीपी की समस्या होने पर आपको ये लक्षण दिखाई देते हैं।
- पेशाब कम बनना।
- बार-बार चक्कर आना।
- अचानक वजन बढ़ने लगना।
- गंभीर सिरदर्द।
- आंखों के सामने अंधेरा छा जाना।
- मतली और उल्टी।
- पेट के चारों हिस्से में दर्द।
जेस्टेशनल हाइपरटेंशन का इलाज और बचाव (Pregnancy Induced Hypertension Treatment And Prevention)
जेस्टेशनल हाइपरटेंशन या प्रेगनेंसी में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होने पर आपको सबसे पहले डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इस समस्या में डॉक्टर मरीज के लक्षणों के आधार पर इलाज करते हैं। जेस्टेशनल हाइपरटेंशन की समस्या में सबसे पहले डॉक्टर की जांच करते हैं जिसके आधार पर इलाज की प्रक्रिया शुरू की जाती है। डॉक्टर द्वारा दी गयी सलाह और दवाओं का सेवन करने से आप सही समय पर इस समस्या से निजात पा सकती हैं। इसके अलावा प्रेगनेंसी में हाई बीपी की समस्या से बचने के लिए इन बातों का ध्यान रखें -
- समय-समय पर अपने ब्लड प्रेशर की जांच करती रहें।
- खानपान और लाइफस्टाइल का ध्यान रखें।
- नियमित रूप से वॉक, मेडिटेशन और योग का अभ्यास करें।
- अगर पहले से हाई बीपी की समस्या है तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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प्रेगनेंसी में ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ जैसे छाछ, जूस, नारियल पानी और लस्सी आदि का सेवन करने से आपका ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है। ब्लड प्रेशर से जुड़े लक्षण दिखने पर आपको तुरत डॉक्टर से संपर्क जरूर करना चाहिए।
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