आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी, तनावपूर्ण माहौल और असंतुलित खानपान का सीधा असर महिलाओं के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। पहले जहां महिलाएं हेल्दी लाइफस्टाइल और डाइट के साथ हेल्दी जीवन बिताती थीं, वहीं आज की मॉडर्न लाइफस्टाइल में नींद की कमी, प्रोसेस्ड फूड, फिजिकल एक्टिविटी की कमी और मानसिक तनाव आम हो गया है। इन सबका परिणाम है हार्मोनल इंबैलेंस, जो महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को गहराई से प्रभावित करता है। कॉर्टिसोल हार्मोन का बढ़ा हुआ लेवल शरीर के अन्य हार्मोन्स के संतुलन को भी बिगाड़ सकता है। इस लेख में दिल्ली के आनंद निकेतन में स्थित गायनिका: एवरी वुमन मैटर की सीनियर कंसल्टेंट, ऑब्सटेट्रिक्स और गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. (कर्नल) गुंजन मल्होत्रा सरीन से जानिए, महिलाओं में हाई कोर्टिसोल के कारण क्या हैं?
महिलाओं में हाई कोर्टिसोल के कारण - Causes Of High Cortisol Levels In Females
1. लगातार मानसिक तनाव - Chronic Stress
महिलाओं में हाई कॉर्टिसोल लेवल का सबसे बड़ा कारण मानसिक तनाव है। ऑफिस का प्रेशर, पारिवारिक जिम्मेदारियां, बच्चों की देखभाल और समाजिक अपेक्षाएं, ये सभी मिलकर मानसिक बोझ बढ़ाते हैं। जब तनाव लंबे समय तक बना रहता है, तो शरीर लगातार ज्यादा मात्रा में कॉर्टिसोल बनाना शुरू कर देता है, जिससे शरीर की प्राकृतिक प्रक्रिया प्रभावित होती है।
2. नींद की कमी - Lack of Sleep
नींद की कमी महिलाओं में हाई कॉर्टिसोल का एक प्रमुख कारण है। शरीर को संतुलित रखने और तनाव कम करने के लिए पर्याप्त नींद बेहद जरूरी है। जब कोई महिला रोजाना 6-8 घंटे की गहरी नींद नहीं लेती, तो कॉर्टिसोल लेवल बढ़ जाता है। इसके परिणामस्वरूप थकान, चिड़चिड़ापन और हार्मोनल असंतुलन हो सकता है।
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3. अनियमित खान-पान और अत्यधिक कैफीन - Poor Diet and Caffeine Overload
आजकल फास्ट फूड और प्रोसेस्ड फूड का चलन महिलाओं के खानपान में आम हो गया है। ज्यादा चीनी, जंक फूड और कैफीन जैसे फूड्स शरीर में तनाव को बढ़ाते हैं और कॉर्टिसोल के लेवल को ऊपर ले जाते हैं। खाली पेट रहना, समय पर भोजन न करना और पोषक तत्वों की कमी भी इस हार्मोन को प्रभावित करती है।
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4. हार्मोनल असंतुलन - Hormonal Imbalance
महिलाओं में पीरियड्स, प्रेग्नेंसी और मेनोपॉज हार्मोनल बदलाव लाते हैं। ये सभी बदलाव शरीर में कॉर्टिसोल लेवल को प्रभावित कर सकते हैं। खासकर मेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन के लेवल में गिरावट आने से कॉर्टिसोल का लेवल असंतुलित हो सकता है।
5. ज्यादा एक्सरसाइज या फिजिकल स्ट्रेस - Excessive Exercise or Physical Strain
एक हद तक एक्सरसाइज फायदेमंद होती है, लेकिन अगर कोई महिला ज्यादा एक्सरसाइज करती है या बिना पर्याप्त आराम के वर्कआउट करती है, तो इससे शरीर में स्ट्रेस बढ़ सकता है। यह फिजिकल स्ट्रेस भी कॉर्टिसोल को अधिक मात्रा में रिलीज करने के लिए प्रेरित करता है।
6. दवाइयों का ज्यादा सेवन - Overuse of Medications
कुछ दवाएं, जैसे कि स्टेरॉयड्स, कॉर्टिसोल लेवल को बढ़ा सकती हैं। अगर कोई महिला लंबे समय तक इन दवाओं का सेवन करती है, तो इससे उसके शरीर में हार्मोनल संतुलन बिगड़ सकता है। इसके अलावा गर्भनिरोधक गोलियों का लगातार और बिना डॉक्टरी सलाह के सेवन भी इस समस्या को बढ़ा सकता है।
निष्कर्ष
कॉर्टिसोल शरीर के लिए एक जरूरी हार्मोन है, लेकिन इसका संतुलन बहुत अहम होता है। महिलाओं में कॉर्टिसोल का स्तर बढ़ने से थकान, वजन बढ़ना, नींद की समस्या, पीरियड्स में अनियमितता और मानसिक असंतुलन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। अगर आप इनमें से कोई लक्षण महसूस कर रही हैं, तो डॉक्टर से परामर्श लें और अपने लाइफस्टाइल में संतुलन लाने का प्रयास करें। योग, मेडिटेशन, बैलेंस डाइट और अच्छी नींद जैसे उपाय इस हार्मोन को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं।
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