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डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर हमेशा हाई होने का क्या मतलब है? जानें कारण और बचाव

What Causes High Diastolic Blood Pressure: अगर डायास्टोलिक ब्लड प्रेशर  की रीडिंग 60-80 mm Hg से ज्यादा आती है, तो इसे हाई माना जाता है।
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डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर हमेशा हाई होने का क्या मतलब है? जानें कारण और बचाव


What Causes High Diastolic Blood Pressure: खानपान में गड़बड़ी और खराब जीवनशैली के कारण ब्लड प्रेशर हाई होने का खतरा रहता है। हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी बहुत गंभीर होती है, इसकी वजह से हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट जैसी जानलेवा बीमारियों का खतरा रहता है। ब्लड प्रेशर बढ़ने के पीछे कई कारण जिम्मेदार होते हैं, लेकिन खानपान में गड़बड़ी और लाइफस्टाइल से जुड़ी गलत आदतें इसके लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार होती हैं। ब्लड प्रेशर को मापने के लिए दो तरह के आंकड़े लिए जाते हैं। एक सिस्टोलिक और दूसरा डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर। सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर में आपका हृदय धड़कन के बाद शरीर के सारे अंगों में खून को पंप करता है और डायस्टोलिक बीपी में आपका हृदय वापस ब्लड पंप करने के बाद शिथिल की स्थिति में होता है। कुछ लोगों की डायस्टोलिक बीपी रीडिंग हमेशा हाई होती है। डायास्टोलिक ब्लड प्रेशर हमेशा हाई रहना बहुत गंभीर होता है। आइये इस लेख में विस्तार से जानते हैं आखिर डायास्टोलिक बीपी हमेशा हाई क्यों रहता है और इसे कंट्रोल करने के टिप्स।

डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर हमेशा हाई होने का क्या मतलब है?- Meaning Of High Diastolic Blood Pressure in Hindi

डायास्टोलिक ब्लड प्रेशर हाई होने का मतलब है कि शरीर में ब्लड को पंप करने के बाद वापस हार्ट तक लाने पर बनने वला प्रेशर। इस स्थिति में दिल की मांसपेशियों के सिकुड़ने पर धमनियों की बाहरी दीवार पर दबाव पड़ता है। अगर ब्लड वापस हार्ट तक लाने में यह दबाव बहुत ज्यादा या सामान्य से ज्यादा रहता है, तो इस स्थिति को हाई डायास्टोलिक ब्लड प्रेशर कहते हैं। इस स्थिति को नजरअंदाज करने से हार्ट फेलियर, कार्डियक अरेस्ट, हार्ट अटैक जैसी गंभीर स्थितियों का खतरा रहता है। लखनऊ के मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ केके कपूर कहते हैं कि, "डायास्टोलिक ब्लड प्रेशर लंबे समय तक हाई रहने के कारण किडनी और ब्रेन समेत कई गंभीर बीमारियों का खतरा रहता है। इसकी वजह से मरीज आंख की रोशनी भी गंवा सकता है।"

What Causes High Diastolic Blood Pressure

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सामान्य वयस्क व्यक्ति का ब्लड प्रेशर सिस्टोलिक - 120 mmHg और डायास्टोलिक - 80 mm Hg होना सामान्य होता है। अगर डायास्टोलिक ब्लड प्रेशर  60-80 mm Hg से ज्यादा है, तो इसे हाई माना जाता है। कुछ साल पहले तक 80-90 mm Hg के बीच डायास्टोलिक ब्लड प्रेशर को हाई ब्लड प्रेशर (Hypertension) माना जाता था, लेकिन अब इसे स्टेज 1 का हाई ब्लड प्रेशर कहते हैं।

डायास्टोलिक बीपी हाई होने के कारण- What Causes High Diastolic BP in Hindi

  • मोटापे की समस्या
  • पर्याप्त नींद न लेना
  • बहुत ज्यादा नॉनवेज फूड्स का सेवन
  • तनाव और गुस्सा ज्यादा होना
  • ऑयली और फास्ट फूड्स का अधिक सेवन
  • व्यायाम और शारीरिक श्रम की कमी
  • आनुवांशिक कारणों से
  • किडनी से जुड़ी बीमारी
  • ड्रग्स, शराब, सिगरेट और नशे के कारण

डायास्टोलिक बीपी को कंट्रोल करने के टिप्स- Tips To Control High Diastolic BP in Hindi

डायास्टोलिक ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के लिए आपको डाइट और लाइफस्टाइल से जुड़ी आदतों में बदलाव करना चाहिए। अगर यह समस्या लंबे समय तक बनी है, तो बिना देर किए डॉक्टर की सलाह लेकर इलाज लेना चाहिए। इसके अलावा डायास्टोलिक ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के लिए कोलेस्ट्रॉल को भी कंट्रोल में रखना चाहिए। इस स्थिति से निपटने के लिए डाइट में हार्ट के लिए फायदेमंद फूड्स को शामिल करें। डाइट में सैचुरेटेड और ट्रांस फैट को कम करके हेल्दी और गुड फैट को बढ़ाना चाहिए।

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खाने में सोडियम इनटेक को कम करने और पोटैशियम वाले फूड्स की मात्रा बढ़ाने से डायास्टोलिक ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। इसके अलावा कैफीन, शुगर और शराब आदि का सेवन बंद करने से भी आपको ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में मदद मिलेगी। इस स्थिति से बचने के लिए हेल्दी डाइट के अलावा रोजाना एक्सरसाइज या योग का अभ्यास करने से फायदा मिलता है।

(Image Courtesy: Freepik.com)

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