कैटरैक्‍ट बना सकता है आपकी नजर को धुंधला

लेंस के धुंधले पड़ने को ही कैटरैक्ट या मोतियाबिंद कहते है। कैटरैक्‍ट के बारे में अधिक जानने के लिए इस लेख को पढ़ें।
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कैटरैक्‍ट बना सकता है आपकी नजर को धुंधला


आंखों से संबंधित बीमारी कैटरैक्‍ट उम्र बढ़ने के साथ शुरू होती है। बढती उम्र के साथ व्‍यक्ति बहुत सी स्वास्थ्य समस्याओं का शिकार होते चले जाते है। कैटरैक्ट बुजुर्गों की आम स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है।

What is Cataractआंखों में एक प्राकृतिक लेंस होता है। जब यह लेंस धुंधला पड़ने लगता है तब दिखाई देना कम हो जाता है। इसी लेंस के धुंधले पड़ने को ही कैटरैक्ट या मोतियाबिंद कहते है। कई बार इस समस्या के कारण उम्र के बढ़ने के साथ किसी प्रकार का ट्रॉमा या फिर मैटाबॉलिक डिसऑर्डर जैसे डायबटीज, हायपोथायरॉइड या आंखों में सूजन का आना भी हो सकता है। कैटरैक्‍ट के बारे में विस्‍तार से जानते हैं इस लेख में।

 

क्‍यों होता है कैटरैक्‍ट

कैटरैक्ट यानी मोतियाबिंद की समस्या बुजुर्गों में या बढती उम्र में देखने को मिलती है। जैसे-जैसे व्‍यक्ति की उम्र बढती जाती है प्रोटीन जो कि मानव क्रिस्टल लाइन में होता है, उसमें कई प्रकार के केमिकल बदलाव आने लगते है। इन्हीं बदलावों के कारण यह लेंस अपारदर्शी होता चला जाता है जो कैटरैक्ट का निर्माण करता है, जो नजर को धुंधला कर देता है। इससे रोशनी ठीक प्रकार से लेंस के पार नहीं जा पाती, इससे व्‍यक्ति को देखने में परेशानी होने लगती है। लेंस में नयी को‍शिकाओं का निर्माण होता है, तो उस समय सभी पुरानी कोशिकायें लेंस के केंद्र में एकत्रित हो जाती हैं।

कैटरैक्‍ट के लक्षण

  • कैटरैक्‍ट होने पर धुंधला दिखाई देने लगता है।
  • रंगों को पहचानने में परेशानी होती है, साफ दिखाई नहीं देता।
  • तेज रोशनी या सूरज की रोशनी के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है।
  • रात के समय व्‍यक्ति को कम दिखाई देता है।
  • चश्मे के नंबर में बार-बार बदलाव होना।

 

कैटरैक्‍ट का निदान और उपचार


कैटरैक्‍ट के निदान के लिए डॉक्‍टर आपकी आंखों की जांच करता है। वह यह देखता है कि आपको कितना स्‍पष्‍ट नजर आता है। अगर आप चश्‍मा या लेंस लगाते हैं जो नेत्र जांच करवाते समय उन्‍हें अपने साथ ले जाना न भूलें। आपकी आंखों में दवाई डालकर डॉक्‍टर पुतली को डायल्‍यूट करता है। इससे न केवल लेंस बल्कि आंख के अन्‍य हिस्‍सों की भी बेहतर जांच की जा सकती है। आंख की जांच करते समय नेत्र विशेषज्ञ आपकी आंखों और पु‍तली की प्रतिक्रिया की भी जांच करता है। इसके साथ ही वह आंखों के भीतर दबाव को भी मापता है।  

कैटरैक्ट के उपचार के लिए कई नयी तकनीकें उपलब्ध हैं। फैकोमुलसुफिकेशन को मल्टीफोकल आईओएल के साथ किया जाता है तब कैटरैक्ट सर्जरी के बाद चश्मा पहनने की कोई जरुरत नहीं होती है। मगर यदि आप इसे मोनोफोकल आईओएल के साथ करते हैं तब पढ़ने के लिए चश्में का प्रयोग करना जरुरी होता है।

एक अन्य नई तकनीक है जिसमें फैकोमुलसुफिकेशन को फोल्डेबल आईओएल के साथ किया जाता है। इस तकनीक का प्रयोग कई आई सेंटर में किया जाने लगा है। इन सब नई तकनीकों के अलावा कुछ पुरानी तकनीकें जैसे एसआईसीएस, इसीसीई का प्रयोग आज भी कई जगहों पर किया जाता है। कैटरैक्ट से मुक्ति पाने के लिए कई सरकारी, एनजीओ और प्राइवेट सेंटर है।



इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में तेजी से बढ़ते प्रदूषण की वजह से कैटरैक्ट तेजी से बढ़ रहा है। इसके अलावा, कैटरैक्ट डायबीटीज और लीवर की खराबी जैसे मेटाबॉलिक रोगों, मायोपिया, ग्लूकोमा, स्टेरॉयड के सेवन, स्मोकिंग और न्यट्रिएंट्स की कमी की वजह से होता है।

 

 

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