आज के समय में कई नवजात शिशु कैल्शियम, विटामिन D की कमी, जेनेटिक डिसऑर्डर और खराब पोषण के कारण हड्डियों से जुड़ी गंभीर समस्याओं के साथ जन्म लेते हैं। बड़े शहरों में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर होने के कारण माता-पिता को समय पर शिशु की समस्याओं का पता चल जाता है और उचित इलाज मिल जाता है, लेकिन छोटे शहरों और गांवों में अभी भी जागरूकता की कमी के कारण हड्डियों की बीमारियों को पहचानने में देरी हो सकती है। डॉ. आशीष चौधरी, जो आकाश हेल्थ केयर में आर्थोपेडिक्स और जॉइंट रिप्लेसमेंट के हेड हैं, बताते हैं कि यदि नवजात शिशु की हड्डियों में कोई विकार है, तो जितनी जल्दी इसका निदान और इलाज किया जाएगा, उतनी ही जल्दी और बेहतर रिकवरी संभव होगी। इस लेख में आकाश हेल्थ केयर के डायरेक्टर, सीनियर कंसल्टेंट, आर्थोपेडिक्स और जॉइंट रिप्लेसमेंट के हेड और प्रमुख डॉ.आशीष चौधरी (Dr. Aashish Chaudhry,Director & Head, Department of Orthopaedics & Joint Replacement, Aakash Healthcare) से जानिए, नवजात बच्चों में हड्डी की समस्याओं को कैसे पहचानें?
नवजात बच्चों में हड्डी की समस्याओं के संकेत - What Are The Symptoms Of Bone Disease In Babies
डॉ. आशीष चौधरी के अनुसार, नवजात शिशुओं में हड्डियों से जुड़ी समस्याओं का इलाज जितनी जल्दी किया जाता है, उतनी ही जल्दी शिशु ठीक हो सकता है। इन समस्याओं का पता लगाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि शिशु बोलने या अपनी समस्या व्यक्त करने में सक्षम नहीं होते। लेकिन कुछ लक्षणों को पहचानकर इन समस्याओं का समय पर इलाज संभव है।
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1. हड्डियों में दर्द के कारण बेचैनी
नवजात शिशुओं में हड्डियों के रोग का सबसे सामान्य लक्षण हड्डियों में दर्द और बेचैनी होता है। शिशु जब अपने हाथों या पैरों को हिलाने की कोशिश करते हैं या किसी स्थिति में रहते हैं, तो उन्हें दर्द हो सकता है। अक्सर, शिशु यह दर्द व्यक्त करने के लिए रोते हैं और किसी भी प्रकार की एक्टिविटी करने में परेशानी महसूस करते हैं।
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2. फ्लेक्सिबिलिटी में कमी
अगर नवजात शिशु के हाथ-पैर ढीले या मुलायम महसूस होते हैं, तो यह हड्डियों की कमजोरी का संकेत हो सकता है। इसके अलावा, यदि शिशु अपने अंगों को ठीक से कंट्रोल नहीं कर पाता या उसकी मांसपेशियां मजबूती से काम नहीं करतीं, तो यह हड्डियों के रोग का संकेत हो सकता है।
3. हड्डियों में सूजन और विकृति
नवजात शिशुओं में हड्डियों में सूजन और विकृति भी एक जरूरी लक्षण हो सकता है। यह लक्षण आमतौर पर हड्डियों के संक्रमण, विकृतियों (deformities) या जॉइंट डिस्लोकेशन (joint dislocation) के कारण उत्पन्न होते हैं। शिशु के जोड़ों में सूजन या असामान्य रूप से विकृत हड्डियां देखी जा सकती हैं, जो हड्डियों की समस्याओं का संकेत हो सकती हैं।
4. असमान विकास
जब शिशु हड्डियों से जुड़ी किसी बीमारी से प्रभावित होते हैं, तो वह सामान्य विकास की गति से नहीं बढ़ते। उदाहरण के लिए, यदि एक शिशु की हड्डियां कमजोर होती हैं, तो वह समय पर बैठने, खड़े होने या चलने में परेशानी महसूस कर सकता है। इस तरह की समस्याएं शिशु के मोटर स्किल्स (motor skills) में रुकावट डाल सकती हैं।
5. शरीर की बनावट में असमानता
नवजात शिशुओं में असामान्य शारीरिक स्थिति और हड्डियों के आकार में बदलाव भी हड्डियों के रोग का संकेत हो सकता है। इसके अलावा, हड्डियों के रोग के कारण शिशु का शरीर सामान्य रूप से विकसित नहीं होता।
समय पर इलाज क्यों जरूरी है?
नवजात शिशुओं में हड्डियों के रोग का समय रहते इलाज न होने से यह समस्या गंभीर हो सकती है। इसके कारण शिशु का शारीरिक विकास प्रभावित होता है, और जीवनभर के लिए हड्डियों से संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए, डॉ. आशीष चौधरी का कहना है कि यदि कोई लक्षण दिखाई दे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इससे शिशु को समय पर इलाज मिल सकेगा और उनकी हड्डियां सही ढंग से विकसित हो सकेंगी।
निष्कर्ष
नवजात शिशुओं में हड्डियों से जुड़ी समस्याओं को समय रहते पहचानना बहुत जरूरी है। इसके लिए माता-पिता को शिशु के शारीरिक लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए और किसी भी असामान्य बदलाव को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
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