आज ग्लोबलाइजेशन का दौर है। जब हर देश दूसरे देश से किसी ना किसी माध्यम से जुड़ा हुआ है। लेकिन जब ये ग्लोबलाइजेशन देश से होते हैं हमारे घरों में घुस जाए तो...?
जी हां, आज ग्लोबलाइजेशन केवल दुनिया की इकोनॉमी को ही नहीं प्रभावित कर रहा है बल्कि हमारी निजी जिंदगी में भी घुस चुका है। वो भी स्वस्थ तरीके से।
एक समय था जब लोग दो भागों में बंटे थे- एक वे जो टॉयलेट में पेपर का इस्तेमाल करते थै और दूसरे वे जो टॉयलेट में पानी का इस्तेमाल करते थे। लेकिन अब ये बंटवारा धीरे-धीरे कम होते चला गया है।
अब पुरानी बात हुई
टॉयलेट में पानी का इस्तेमाल अब पुरानी बात हो गई है। वे दिन गए जब कोई इंसान टॉयलेट में पानी का इस्तेमाल करता था तो खबरों में आ जाता था।
पहले ये सवाल आए दिन पश्चिम के लोग करते थे कि, भारतीय टॉयलेट में पानी का इस्तेमाल क्यों करते हैं? टिशू पेपर का क्यों नहीं?
लेकिन अब लोग सवाल करने की जगह फॉलो कर रहे हैं। आज अधिकतर देशों के टॉयलेट में पानी का इस्तेमाल होने लगा है।
केवल इंडियल ही नहीं
इस लेख में ये क्लियर कर देना बहुत जरूरी है कि टॉयलेट में पानी का इस्तेमाल केवल इंडियन ही नहीं करते। भारतीय महाद्वीप में आने वाले लोग हर देश के लोग टॉयलेट में पानी का इस्तेमाल करते हैं। इस महाद्वीप में पाकीस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और श्रीलंका के लोग भी शामिल हैं।
इसमें एशिया भी है शामिल
ये कम ही लोगों को पता है कि दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों, जैसे इंडोनेशिया, थाईलैंड, फीलिपिंस और मलेशिया, के टॉयलेट में भी पानी का इस्तेमाल होता है।
चीन भी कर रही पानी का इस्तेमाल
क्या आपको मालुम है कि चीन को ही टॉयलेट पेपर का खोजकर्ता माना जाता है। जबकि चीन में भी पेपर और पानी दोनों में से कोई एक टॉयलेट इस्तेमाल करने का विकल्प दिया जाता है।
अब धीरे-धीरे यूरोप और दक्षिण अमेरिका भी
आप विश्वास करो या ना करो, लेकिन यूरोप और दक्षिण अमेरिका के भी कुछ जगहों पर इस तरह के टॉयलेट इस्तेमाल होने लगे हैं जो टॉयलेट पेपर की जगह पानी का इस्तेमाल करने लगे हैं। यूरोप के कुछ देश, जैसे स्पेन, पुर्तगाल, दक्षिण अमेरिका और इटली, भी टॉयलेट पेपर के साथ पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं।
पानी इस्तेमाल के बहुत से कारण
- आज दुनिया में पेपर की जगह पानी का इस्तेमाल करने के बहुत से कारण हैं।
- पेपर की तुलना में पानी से टॉयलेट और पॉटी को साफ करना अधिक इको-फ्रैंडली माना जाता है।
- टॉयलेट पेपर ना केवल कुड़े को बढ़ाने में सहयोग देता है बल्कि ये काफी महंगा भी होता है।
- पॉटी के बाद पेपर का इस्तेमाल करने की तुलना में पानी का इस्तेमाल अधिक हाइज़ीन होता है।
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