
हालांकि महिलाओं का गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ता है और बढ़ना भी चाहिए। यद्यपि गर्भावस्था के दौरान एक स्वस्थ वजन बढ़ना सामान्य और आवश्यक है, लेकिन अनेक महिलाएं अतिरिक्त पाउंड बढ़ा लेती हैं। डिलीवरी के बाद इस अतिरिक्त वजन को कम करना एक संघर्ष बन जाता है, क्योंकि अपने शिशु का पालन पोषण करना महिलाओं के लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता बन जाती है। इसका परिणाम यह होता है कि महिलाओं के लिए अपने फिटनेस की ओर ध्यान देने का वक्त ही नहीं बचता है। और जैसे ही एक महिला की उम्र बढ़ती है, तो उसके शरीर में प्राकृतिक रूप से होने वाले हार्मोनल बदलावों के कारण महिला को वजन घटाना बेहद मुश्किल लगता है। पैंतीस वर्ष की उम्र के पश्चात महिलाओं में वजन बढ़ने की प्रवृर्ति होती है या महिला एक स्वस्थ वजन को बनाए रखने में खुद को असहाय समझती है। उम्र के साथ-साथ महिलाओं का वजन अनेक कारणों से बढ़ता है, जैसे कि –
शारीरिक रूप से सक्रियता का अभाव
जैसे ही महिला की उम्र बढ़ती हैं, उसका शारीरिक रूप से सक्रिय जीवन गायब होता जाता है। बढ़ती उम्र अपने साथ-साथ जीवन के अनेक तनाव और दबाव लाती है। अपने घर और कामकाज को एक साथ संभालते हुए महिला के पास अपने लिए एक फिटनेस प्रोग्राम को अपनाने का समय नहीं मिल पाता है। ऑफिस में लंबा समय बीत जाता है और अक्सर कार्य भी बैठ कर किया जाता है, जिससे कि वजन और भी बढ़ जाता है।
कैलोरी का अधिक मात्रा में सेवन करना
जैसे ही उम्र बढ़ती है, शरीर कैलोरी का उपयोग अलग तरीके से करता है। लेकिन सामान्य तौर पर देखा गया है कि बहुत सालों बाद भी लोग पहले जैसी ही अपनी खुराक भोजन में लेना जारी रखते हैं। जब कि जीवन की मध्य अवस्था में हमें एक वयस्क के समान कैलोरी नहीं ग्रहण करनी चाहिए। यदि हम उम्र के साथ साथ अपने डाइट में तब्दीली नहीं लाते है, तो ये अतिरिक्त कैलोरी वजन बढाने में सहायक होगी।
मेटाबोलिज्म स्तर का घटना
जैसे ही एक व्यक्ति की उम्र बढ़ती है, मूलभूत मेटाबोलिक स्तर नाटकीय ढंग से नीचे गिर जाता है। पहले जैसी कुशलता से कैलोरी नष्ट नहीं होती है और इसीलिए वजन बढता है ।
उच्च तनाव का स्तर
एक महिला के जीवन में उम्र बढ़ने के साथ-साथ परिवार और ऑफिस के प्रति उसकी जिम्मेदारी और कर्तव्य भी बढ़ जाते हैं। इससे तनाव का स्तर भी और अधिक बढ़ जाता है। अत्यधिक मात्रा में होनेवाले तनाव से शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिससे कि भावनात्मक तनाव के साथ साथ वजन भी बढ़ता है।
हार्मोंन का असंतुलन
हर महिला अपने जीवनकाल में अनेकों बार हार्मोनल बदलाव से गुजरती है, विशेषकर मेनोपॉज के दौरान महिला का वजन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरॉन के असंतुलन के कारण बढ़ जाता है।
वसा रहित ऊतकों का नाश होना
उम्र बढ़ने के साथ-साथ मांसपेशी के ऊतक का नाश होता है (जिनमे मांसपेशियां और हड्डियां शामिल होती हैं) और जब एक महिला व्यायाम करना बंद कर देती है, तो और अधिक मात्रा में वसा रहित ऊतक का नाश होता है। इसमें वह वसा शामिल नहीं है, जो व्यक्ति को थुलथुला बनाती है।
महिला में मेनोपॉज के प्रकट होने से पहले शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलावों के कारण वजन बढ़ने की प्रवर्ति होती है। शायद एस्ट्रोजन का निर्माण प्रोजेस्टेरॉन के साथ संतुलन नहीं बिठा पाता है और परिणामस्वरूप वजन बढ़ जाता हैं। तथा थायरॉयड ग्रंथि असामान्य तरीके से कार्य करने लगती है, जिससे कि फूला हुआ महसूस होता है और तरल पदार्थ का संचय किया जाता है।
तीस वर्ष की उम्र के बाद स्त्री अपने बच्चों के साथ व्यस्त हो जाती है। साथ ही परिवार को भी उसे समय देना पड़ता है। जिससे कि उसके पास खुद की फिटनेस के लिए समय ही नहीं बचता है।
Image Courtesy : Getty Images
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