हृदय रोग का खतरा आजकल काफी बढ़ गया है। और महिलाओं के लिए हालात पुरुषों की अपेक्षा अधिक चिंताजनक हैं। तनाव, खानपान में अनियमितता, अपनी सेहत के प्रति अनदेखी जैसे तमाम कारण हैं, जिनके चलते महिलायें दिल की बीमारी की अधिक शिकार हो रही हैं।
भारत में हृदय रोग से पीडि़त महिलाओं की तादाद और भी खराब हैं। दुनिया भर में हृदय रोगों के जितने मामले होते हैं उनमें से 15 प्रतिशत मामले अकेले भारतीय महिलाओं के होते हैं। दुनिया भर में 86 लाख महिलाओं की मौत हृदय संबंधी रोगों से होती है।
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महिलाओं में पुरुषों से अधिक हृदय रोग का खतरा होता है। क्योंकि महिलाओं के मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसे रोगों की चपेट में आने के खतरे ज्यादा होते हैं। पुरुषों की तुलना में महिलाओं की कोरोनरी धमनियां संकरी होती हैं। इसी वजह से उन्हें धमनियों में अवरोध आने की समस्या अधिक होती है।
पुरुषों की तुलना में महिलाओं को एकमात्र लाभ एस्ट्रोजेन हार्मोन के रूप में मिलता है। जो महिलाओं के शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को ऊपर उठाता है तथा खराब कोलेस्ट्राल के स्तर को कम करता है। लेकिन रजोनिवृति के बाद एस्ट्रोजन का स्तर घट जाता है और इसलिए इससे मिलने वाली सुरक्षा भी कम हो जाती है और रजोनिवृति के दस साल बाद महिलाओं को हृदय रोग का खतरा पुरुषों के बराबर और कई मामलों में अधिक होता है।
इस बीमारी की चपेट में आने वाली ज्यादातर महिलायें साठ वर्ष या उससे अधिक आयु की होती हैं। इस आयु में आकर धमनियों में खून के थक्के यानी कोलेस्ट्रोल का जमाव, जिससे धमनियों के बंद हो जाने के कारण उचित रक्त का संचार नहीं होता है। इससे छाती में दर्द और हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है। सबसे पहले प्रत्येक महिला को अपनी ब्लड कोलेस्ट्रोल और ब्लड प्रेशर की जांच करानी चाहिए। महिलाओं में इस रोग के लक्षण पुरुषों से भिन्न होते हैं। महिलाओं में हृदय रोग के इलाज के उपायों के बारे में जानें-
सर्जरी
संभव है महिलाओं को हृदय रोग से बचने के लिए सर्जरी की मदद लेनी पड़े। इसके लिए एन्जियोपलास्टी व सीएबीजी का प्रयोग किया जाता है। डॉक्टर लक्षणों व शारीरिक जांच के बाद ही चिकित्सा की प्रक्रिया और प्रकार के बारे में कोई निर्णय लेगा।
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एंजियोप्लास्टी-एंजियोप्लास्टी एक नॉनसर्जिकल प्रक्रिया है जिसे संकरी व ब्लॉक कॉर्रनरी धमनियों को खोलने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। एंजियोप्लास्टी हृदय में रक्त प्रवाह को बढ़ाता है साथ ही रक्त प्रवाह को भी बढ़ाता है।
ग्राफ्टिंग कोरोनरी धमनी बाईपास-यह एक प्रकार की सर्जरी है जिसमें ब्लॉक व संकरी धमनियों या नसों को शरीर से अलग कर दिया जाता है। इससे हृदय में रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है। इस सर्जरी के बाद हृदय रोग से निपटने में मदद मिलती है।
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जीवनशैली में बदलाव
व्यायाम करें- दिल को स्वस्थ रखने के लिए नियमित व्यायाम की जरूरत है। इसके लिए एरोबिक गतिविधियां, जैसे टहलना , जॉगिंग,तैराकी, साइक्लिंग आपके हृदय के लिए फायदेमंद हो सकता है। एक हफ्ते में 4 से 6 बार कार्डियो कसरत करना भी अच्छा रहता है।
मोटापा कम करें - मोटापा कई बीमारियों का कारण हो सकता है। वजन बढ़ने से रक्तचाप व कोलेस्ट्रोल की समस्या हो सकती है। इसके अलावा डायबिटीज भी हो सकता है जिससे शरीर में इंसुलिन भोजन को ऊर्जा में बदलने में मदद नहीं करता है। टाइप-2 डायबिटीज से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
धूम्रपान ना करें -धूम्रपान करने वाली महिला में हार्ट अटैक की संभावना धूम्रपान न करने वाली महिला से दोगुना अधिक होती है क्योंकि सिगरेट में मौजूद टौक्सीन धमनियों को सीधा प्रभावित करते हैं। जिससे धमनियों में रक्त संचार के लिए बाधाएं पैदा हो जाती हैं। धूम्रपान से खून की नलियां चिपचिपी हो जाती हैं, जिससे रक्त संचार में अधिक कठिनाई के कारण स्ट्रोक की संभावना बनी रहती है।
हृदय रोग से बचाव के लिए महिलाओं को अपना खास खयाल रखना चाहिए साथ ही रजोनिवृत्ति के बाद कुछ जरूरी जांच अवश्य कराएं जिससे आप हृदय रोग के खतरों से बच सकती हैं।
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