
मतदान न केवल लोकतंत्र के स्थिती को प्रभावित करता है, बल्कि मतदाताओं के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। स्वास्थ्य पर प्रभाव आमतौर पर बहुत ही सूक्ष्म है, लेकिन परिणाम व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण हो सकते है। मतदान के कारण तनाव, हार्मोनल परिवर्तन, सेक्स ड्राइव को प्रभावित, अविवेकपूर्ण ड्राईव्हिंग और यहां तक कि आत्महत्या की प्रवृत्ति सहित व्यवहार में परिवर्तन कर सकते है।
हाइफ़ा विश्वविद्यालय और इसराइल के विश्वविद्यालय बेन-गुरिऑन के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, चुनाव से केवल प्रचारकों और उम्मीदवारों को ही नही,बल्कि मतदाताओं के उपर भी भार डालते हैं। मतदाताओं के हार्मोन कोर्टिसोल के स्तर में वृद्धि पायी गया, जब वे मतदान करते थे। एक शोधकर्ता ने कहा कि वोट डालने से पहले तनाव का उच्च स्तर मतदाता के निर्णय को प्रभावित कर सकता हैं।
यद्यपि जिन्होने जीत की बाजु उठायी है, उन मतदाताओं में टेस्टोस्टेरोन के स्तर में कोई वृद्धि नही पायी गयी है, रुटेजर्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया है, कि चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद अश्लील साहित्य के लिए इंटरनेट में खोज बढ़ती हैं।
स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने रिपोर्ट दी है कि जब चुनाव नहीं होता उन दिनों की तुलना में, चुनाव के दिन पर घातक रुप से कार की दुर्घटनाओं में 18 प्रतिशत वृद्धि हुई थी। शोधकर्ताओं द्वारा उद्धृत कारणों में भावनात्मक उथल - पुथल, मतदान बूथ पर जाने के लिए नए रास्तों पर यात्रा, और अकुशल ड्राइवरों को रखने की प्रवृत्ति शामिल हैं।
1981 और 2005 के बीच रिचर्ड डन द्वारा चुनाव के बाद के आत्महत्या के दरों पर किए गया एक अध्ययन 2010 में प्रकाशित किया गया था। अनुसंधान के पेहेलीनुमा परिणाम बताते है कि जीत या हार की परवाह किए बिना था, आत्महत्या की दर में केवल तब वृद्धि हुई जब बहुमत ने हारे हुए या विजेता को नहीं लिया था। दूसरे शब्दों में, आत्महत्या की दर कम हुई जब बहुमत ने हारे हुए को चुना, और इस के अतिरक्त जब उन्होने एक विजेता को चुना।
डन के मुताबिक, इस व्यवहार को सामाजिक एकता की भावना का कारण समझा जा सकता है, जो एक समुदाय के मतदाताओं में होता हैं। बाँटने का यह बंध परिणाम की परवाह किए बिना समर्थन करता है। इस मामले में असली विजेता एकता और सहानुभूति है जो लोगों में एक साथ रहने से हैं। दूसरी ओर, जहां अपने विश्वासों और मूल्यों को बहुमत से साझा नहीं करने वाले समुदाय में रहने वाले मतदाताओं को अधिक अकेला लगता है, परिणाम क्या आता है, इसपर उनको कोई फर्क नहीं पड़ता।
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