भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली गर्दन में चोट लगने के कारण काउंटी क्रिकेट नहीं खेल पाएंगे। चोट के कारण डॉक्टरों ने विराट को 3 हफ्ते तक आराम करने की सलाह दी है। अब विराट कोहली को 15 जून को अपना फिटनेस टेस्ट देना होगा उसके बाद ही वो क्रिकेट के मैदान में लौट पाएंगे। बुधवार को जब विराट मुंबई के एक अस्पताल में जांच कराने गए तब खबर आई कि उन्हें स्लीप डिस्क हुआ है मगर बाद में बीसीसीआई के अधिकारियों ने बताया कि विराट को स्लीप डिस्क नहीं बल्कि नेक स्प्रेन यानि गर्दन में मोच हुई है।
विराट कोहली के गर्दन में इस चोट का एक कारण उनका लगातार कई मैच खेलना बताया जा रहा है। आइये हम आपको बताते हैं कि गर्दन में मोच यानि नेक स्प्रेन किन स्थितियों में हो सकता है और कैसे कर सकते हैं इससे बचाव।
विराट कोहली को कब लगी चोट
बीसीसीआई के आधिकारिक बयान के अनुसार विराट कोहली को ये चोट बेंगलुरू के चिन्नास्वामी स्टेडियम में 17 मई 2018 को खेले गए 51वें आईपीएल मैच के दौरान लगी थी। ये मैच वो सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ खेल रहे थे। मैच के दौरान जब चोट लगी तब दर्द हल्का था इसलिए विराट को इससे कोई खास परेशानी नहीं हुई। बाद में विराट हल्के-फुल्के दर्द के कारण एहतियात के तौर पर डॉक्टर को दिखाने पहुंचे तो पता चला कि उन्हें नेक स्प्रेन हो गया है।
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कब होता है नेक स्ट्रेन
गर्दन में मोच की समस्या आमतौर पर तब होती है जब अचानक किसी खिंचाव के कारण या गिर जाने के कारण गर्दन या कंधे की मांसपेशियां और टेंडन में चोट लग जाती है। इस कारण गर्दन में दर्द शुरू हो जाता है। गर्दन का ये दर्द भले ही ज्यादा न हो मगर इससे परेशानी बहुत होती है क्योंकि बिना गर्दन हिलाए-डुलाए आपके रोजमर्रा के काम नहीं हो सकते हैं। ऐसे में गर्दन में मोच आने पर ज्यादातर डॉक्टर बेड रेस्ट की ही सलाह देते हैं। इसी लिए विराट को भी डॉक्टरों ने 3 सप्ताह तक खेल से दूर रहने और आराम करने की सलाह दी है।
क्यों आती है गर्दन में मोच
हमारे शरीर भी एक मशीन की तरह है। गर्दन में कई महत्वपूर्ण हड्डियां और मांसपेशियां होती हैं। इनमें सात हड्डियां ऐसी होती हैं जो मांसपेशियों और लिगामेंट के सहारे एक दूसरे से जुड़ी रहती हैं। ये हड्डियां टिशूज से ऐसे बंधी होती हैं जैसे किसी रस्सी या रबड़ बैंड से छोटी-पतली लकड़ियां बंधी होती हैं। जब आप गिरते हैं, जमीन पर घिसटते हैं (जैसा कि क्रिकेट में अक्सर फील्डिंग के दौरान होता है) या किसी एक्सीडेंट में अचानक शरीर को झटका लगता है तब की बार इन मांसपेशियों और लिगामेंट्स में जरूरत से ज्यादा खिंचाव आ जाता है। इससे गर्दन की हड्डियों को बांधने वाली टिशूज को नुकसान पहुंचता है और गर्दन में दर्द होने लगता है।
अन्य अंग भी होते हैं प्रभावित
गर्दन में मोच के कारण गर्दन ही नहीं इससे जुड़े कई अन्य अंग भी प्रभावित होते हैं इसलिए कई बार परेशानी बढ़ जाती है। इस चोट के कारण कंधे, हाथ, पीठ, कमर और सिर में भी दर्द की समस्या हो सकती है। कई लोग इसे सामान्य परेशानी समझकर नजरअंदाज कर देते हैं मगर आपको बता दें कि गलत उपचार या गलत एक्सरसाइज करने से ये परेशानी बढ़ सकती है और सूजन के साथ दर्द भी बढ़ सकता है।
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गर्दन की मोट से कैसे पाएं राहत
गर्दन में होने वाली छोटी-मोटी मोच को आप घर पर ही आसानी से ठीक कर सकते हैं। हालांकि बड़ी चोट के लिए आपको अस्पताल जाने की जरूरत पड़ सकती है क्योंकि कई बार एक्सीडेंट आदि में गर्दन में होने वाला खिंचाव इतना ज्यादा होता है कि मांसपेशियां फट जाती हैं। गर्दन की मोच को ठीक करने के लिए सबसे पहले तो मरीज को पूरी तरह आराम करना चाहिए। भारी कामों और भाग-दौड़ वाले खेल खेलने के कारण मांसपेशियों पर और ज्यादा दबाव पड़ेगा और इससे दर्द और खतरा बढ़ सकता है।
इस तरह की मोच में बर्फ की सिंकाई भी बहुत फायदेमंद होती है। इसके लिए बर्फ के टुकड़ों को किसी टॉवेल या कपड़े में लपेटकर इससे गर्दन में दर्द वाली जगह की सिंकाई करें। कई बार अगर व्यक्ति पूरी तरह आराम करने की स्थिति में नहीं होता है तो उसे गर्दन की ब्रेस या कॉलर पहनने की सलाह दी जाती है। इससे गर्दन का घुमाव कम होता है और गर्माहट के कारण जल्दी आराम मिलता है। लेकिन चोट कैसी भी हो, एक बार डॉक्टर को जरूर दिखाएं ताकि स्थिति का सही-सही पता चल सके।
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