वेरिकोस वेन, जिसे वेरिकोसिटीस भी कहा जाता है। यह वास्तव में ऐसी स्थिति है जब अंग विषेष में सूजन, फैलाव, अतिरिक्त खून से भर जाना आदि होता है। वेरिकोस वेन न सिर्फ दर्दभरा होता है बल्कि अंग विशेष का रंग नीला या लाल भी हो जाता है। सामान्यतः वेरिकोस वेन होने पर अंग में सूजन ही देखने को मिलती है। यह स्थिति आमतौर पर महिलओं में ज्यादा देखने को मिलती है। विशेषकर 50 साल की उम्र की महिलाएं वेरिकोस वेन का शिकार होती हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक वेरिकोस वेन ज्यादातर पैर के निचले हिस्से में होता है। इस लेख में हम वेरिकोस वेन होने की वजह से लेकर उपचार तक में नजर दौड़ाएंगे।
वेरिकोस वेन क्यों होता है
वेरिकोस वेन दरअसल तब होता है जब आपकी वेन यानी नस सही तरह से काम न करे। नसों में सामान्यतः एक ही दिशा में रक्त का बहाव होता है। वेन्स इस बात को सुनिश्चत करती हैं कि रक्त का प्रवाह उल्टी दिशा में न होने पाए। जब ये वाल्व सही ढंग से काम नहीं करती तो रक्त हृदय की ओर प्रवाहित होने की बजाय वेन यानी नस में ही एकत्रित होने लगती हैं। नतीजतन इसका असर हमारे शरीर के अन्य अंगों में देखने को मिलता है। सामान्यतः वेरिकोस वेन्स पैरों को ही प्रभावित करता है। इसकी वजह है कि पैर, खासकर पैर का निचला हिस्सा हृदय से काफी दूरी पर होता है। हृदय में सही ढंग से रक्त संचार न होने के चलते इसका सबसे पहला असर पैरों पर ही पड़ता है।
वेरिकोस नसों के लिए कुछ संभावित कारण
- गर्भावस्था
- मेनोपोज
- लम्बे समय तक खड़े रहना
- शरीर के मध्यभाग में दबाव बनना, खासकर पेट में
- मोटापा जिस कारण पैरों में अतिरिक्त भार पड़ना
वेरिकोस के लक्षण
वेरिकोस वेन्स के प्रारंभिक लक्षण बड़ी ही आसानी से दिखते और समझ आते हैं। नसों में चोट लगना इसकी एक बड़ी वजह है। जैसा कि पहले भी जिक्र किया गया है कि इसका असर आसानी से पैरों पर देखने को मिलता है। इसके अलावा पैरों में दर्द, सूजन, भारीपन, अकड़न आदि समस्याएं भी नजर आने लगती हैं। यही नहीं कई स्थिति में वेरिकोस वेन्स के लक्षण के रूप में एड़ी के आसपास सूजन के साथ साथ घाव भी उभर आते हैं।
रोग का निदान
- वेरिकोस वेन होने की स्थिति में घर में किसी भी तरह के उपचार की कोशिश न करें। तुरंत डाक्टर को दिखाएं। सामान्यतः डाक्टर मरीज को देखते हुए उसके पैर और नसों की ओर खास ध्यान देता है। यह भी जानना आवश्यक होता है कि उठते और बैठते समय में पैर के किस भाग में दर्द हो रहा है और सूजन पैर के किस हिस्से में दिख रही है। वेरिकोस वेन के दौरान रक्त प्रवाह जानने के लिए अल्ट्रासाउंड भी किया जाता है। असल में यह नान-इन्वेसिव टेस्ट होता है जिसके लिए हाई फ्रिक्वेंसी साउंड वेव्स का इस्तेमाल किया जाता है। इससे नसों में हो रहे रक्तसंचार को जानने में मदद मिलती है।
- नसों में हो रहे रक्तसंचार को जानने के लिए कई बार एंजियोग्राम भी किया जाता है। हालांकि यह अन्य उपचारों की तरह चलन में नहीं है। बावजूद इसके यदि आवश्यक हो तो डाक्टर इस उपचार की मदद भी ले सकते हैं। इसके तहत डाक्टर एक खास किस्म का डाइ पैर में इंजेक्ट करते हैं और उस हिस्से का एक्स-रे लेते हैं। इसके जरिये रक्त प्रवाह की सही स्थिति का सटीक आंकलन करने में मदद मिलती है। अल्ट्रासाउंड और एंजियाग्राम जैसे परीक्षण कई अन्य बीमारियों के विषय में जानने में भी मदद करते हैं। इससे रक्त के थक्के जमने के अन्य वजहों का भी पता चलता है।
जीवनशैली में परिवर्तन
सामान्यतः डाक्टर वेरिकोस वेन का उचार करते हुए जीवनशैलल में परिवर्तन करने की सलाह देते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक किसी मेडिकल उपचार से कई गुणा बेहतर जीवनशैली में परिवर्तन करने से इसके लाभ हासिल हो सकते हैं। सवाल उठता है कि जीवनशैली में किस तरह के बदलाव किये जा सकते हैं। आइये इनमें एक नजर दौड़ाए-
- लम्बे समय तक खड़े होने से बचें।
- सूरज की रोशनी में जितना संभव हो कम आएं।
- यदि आप मोटे हैं तो वजन घटाएं। अतिरिक्त वजन का पैरों में बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। खासकर यदि आप वेरिकोस वेन के शिकार हैं तो यह स्थिति और भी गंभीर है।
- पैरों की क्षमता बेहतर करने के लिए नियमित रूप से एक्सरसाइज करें।
- ज्यादा देर तक पांव को क्रोस करके न बैठें।
- पांव में कुछ कुद देर में गति बनाए रखें।
घरेलू उपचार
वेरिकोस वेन होने की स्थिति में विशेषज्ञ खास किस्म के चिपके और टाइट फिटिंग स्टाकिंग पहनने की सलाह देते हैं। दरअसल टाइट फिटिंग स्टाकिंग या कपड़े पहनने से पांव में आवश्यक दबाव बनता है और रक्त का प्रवाह भी बेहतर होता है।
सर्जरी
यदि वेरिकोस वेन के उपचार के तहत जीवनशैली में बदलाव होने के बावजूद किसी तरह की राहत न मिले। स्थिति भयावह होती जा रही हो तो डाक्टर अन्य तरीकों को अपनाने की कोशिश करते हैं। इनमें से एक है सर्जरी। इसकी सर्जरी के दौरान मरीज को एनेस्थेसिया दिया जाता है। सर्जरी के बाद कम कम 3 से 6 सप्ताह का समय ठीक होने में लगता है।
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