
तंबाकू या फिर किसी भी तरह का नशा करना हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत नुकसानदायक होता है। भले ही ये बात सब जानते हैं लेकिन अगर नशा करने वाले लोगों को बीड़ी और सिगरेट का कोई ऐसा पर्याय पता चले जिससे स्वास्थ्य को अपेक्षाकृत कम नुकसान हो तो लोग उसका सेवन करने से पीछे नहीं हटते हैं। सिगरेट और बीड़ी का ऐसा ही एक पर्याय आजकल चर्चा में है। जिसका नाम है वेपिंग। जी हां, बीड़ी और सिगरेट के बाद आजकल लोग धड़ल्ले से वेपिंग का सेवन कर रहे हैं।
लोगों को ऐसा लगता है कि वेपिंग का सेवन करने से किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता है। जबकि ये सिर्फ लोगों की गलतफहमी मात्र है। वेपिंग में निकोटिन, प्रोपलीन ग्लाइकोल, ग्लिसरीन और फ्लेवर होता है। यानि कि वेपिंग का सेवन करने से एक या दो नहीं बल्कि कई तरह हमें स्वास्थ्य नुकसान पहुंचते हैं।
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बच्चों में भी बढ़ रहा है शौक
आजकल बच्चे किसी चीज में पीछे नहीं है। वे अपने आसपास लोगों को जो भी करता हुआ देखते हैं खुद भी वही करने लगते हैं। अगर वेपिंग का सेवन करने की बात करें तो आज की तारीख में बच्चे भी इसका सेवन करने से पीछे नहीं हट रहे हैं। अमेरिकन शोधकर्ताओं का कहना है कि वेपिंग का सेवन करने वाले नाबालिग बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा है। वहीं, हमारे देश में भी 18 वर्ष से कम की उम्र के बच्चों को बीड़ी और सिगरेट मिलने पर बैन के चलते भी बच्चे वेपिंग की ओर बढ़ रहे हैं। आलम यह है कि भले ही वेपिंग हमारे देश में बैन है। बावजूद इसके लोग इसे विदेशों से इसे मंगवा रहे हैं। इसकी कीमत 3 हजार से शुरु होकर 50 हजार तक है।
वेपिंग के सेवन से होने वाली बीमारियां
- वेपिंग के सेवन से लिवर खराब होने के साथ ही पाचन शक्ति भी प्रभावित होती है। ऐसे में वेपिंग से दूरी बनाना ही सही है।
- वेपिंग का सेवन करने से स्किन में ड्राईनेस आती है। इसके साथ ही चेहरे पर झाईयों के साथ ही स्किन डल भी होती है। इसलिए जितना हो इससे दूर रहे।
- चक्कर आना भी वेपिंग के अत्यधिक सेवन का एक लक्षण है। हालांकि वेपिंग के तुरंत बाद ऐसा नहीं होता है। लेकिन अगर शरीर में जरा भी कमजोरी हो तो चक्कर आने लगते हैं। ऐसे में वेपिंग से दूरी बनाना ही सही है।
- वेपिंग से खींचा गया धुआं पानी से होते हुए लंबे होज पाइप के जरिए फेफड़ों तक पहुंचता है। जिससे फेफड़ों को कई तरह से नुकसान पहुंचता है। इसलिए जितना हो इससे दूर रहे।
- वेपिंग के सेवन से खांसी की समस्या भी जन्म लेती है। याद रहे कि अगर खांसी लंबे समय तक रहे तो टीबी का रोग हो सकता है। ऐसे में वेपिंग से दूरी बनाना ही सही है।
- अगर आपको नींद नहीं आती है या फिर नींद बीच बीच में टूट जाती है तो समझ लें कि ये वेपिंग के सेवन का एक कारण हो सकता है। इसलिए जितना हो इससे दूर रहे।
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वेपिंग के लिए क्या हैं लोगों के मिथ
मिथक 1: वेपिंग सिगरेट जितना नुकसान नहीं पुहंचाती है
ऐसा लोगों को लगता है। जबकि सच तो यह है कि वेपिंग पीना सिगरेट की ही तरह हानिकारक है क्योंकि इसमें निकोटिन होता है। जो कई बीमारियों को निमंत्रण देता है।
मिथक 2: वेपिंग में मिलाया जाने वाला फ्लेवर स्वास्थ के लिए फायदेमंद है।
यह भी एक बहुत बड़ा मिथ है। वेपिंग का स्वाद बदलने के लिए केवल उसमें फ्रूट सीरप मिलाया जाता है, जिससे उसके फ्लेवर में बदलाव आ जाता है। जबकि लोगों को लगता है कि ये बहुत सेहतमंद है।
मिथक 3: वेपिंग के धुएं में निकोटीन कम होता है।
वेपिंग में निकोटिन होता है जो इसे पीने पर हमारे शरीर में सीधा प्रवेश करता हैं। यह हानिकारक पदार्थ निकोटिन हाथ-पैरों की खून की नलियों में धीरे-धीरे कमजोरी व सिकुड़न पैदा करना शुरू कर देता है।
मिथक 4: वेपिंग में मौजूद पानी सभी विषैले तत्वों को फिल्टर कर देता है।
यह बिल्कुल गलत है बल्कि यह आपको सिगरेट की तरह ही नुकसान पहुंचाता है। पानी कभी धूएं को फिल्टर नहीं करता है।
मिथक 5: वेपिंग पीने की कभी लत नहीं लग सकती है।
यह गलत धारणा है कि वेपिंग का कोई आदि नहीं हो सकता। सिगरेट की तरह इसमें भी निकोटीन होता है इसलिए इसकी लत लग सकती है।
मिथक 6: वेपिंग फेफड़ों को नुकसान नहीं पहुंचाता है।
वेपिंग का धूआं ठंडा होने के बाद भी नुकसान पहुंचाता है। इसमें कैंसर पैदा करने वाले एजेंट भारी मात्रा में होते हैं हांलाकि यह फेफड़ों को जलाता नहीं है।
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