ट्रामाडोल पेनकिलर का अधिक सेवन बन सकता है हिप फ्रैक्चर की वजह, शोध में हुआ खुलासा

शोध में अन्य पेनकिलर की तुलना में ट्राडामोल से हिप फ्रैक्चर का खतरा अधिक होने की बात कही गई है।
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ट्रामाडोल पेनकिलर का अधिक सेवन बन सकता है हिप फ्रैक्चर की वजह, शोध में हुआ खुलासा

दर्द निवारक दवाई ट्रामाडोल (Tramadol)का इस्तेमाल हिप फ्रैक्चर के खतरे को बढ़ा सकता है। हाल ही में आए एक शोध की मानें, तो 50 वर्ष या इससे अधिक उम्र के लोगों में कूल्हे के फ्रैक्चर आदि का एक बड़ा कारण पेनकिलर का व्यापक इस्तेमाल है। साथ ही ये खतरा आगे जाकर और अधिक गंभीर हो सकता है। अध्ययन में बताया गया है कि कैसे ट्रामाडोल जैसे पेन किलर का उपयोग सीमित करना बहेद जरूरी हो गया है।

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ट्रामाडोल (Tramadol) मौखिक गोली है, जो गंभीर दर्द के उपचार के लिए ली जाती है। यह एक तत्काल-रिलीज टैबलेट के रूप में होता है। ट्रामाडोल मौखिक गोलियां जेनेरिक और ब्रांड-नाम दवा अल्ट्राम दोनों के रूप में उपलब्ध हैं। कई पेशेवर संगठनों की सिफारिशों की मानें, तो क्रोनिक दर्द वाले मरीजों के लिए ये कारगार है पर इसके नुस्खे को दुनिया भर में तेजी से बढ़ाया जा रहा है, जिसका लोगों को नुकसान भी हो सकता है। ट्रामाडोल का ज्यादा इस्तेमाल हिप फ्रैक्चर का खतरा बढ़ा  सकता है।

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ट्रामडोल उपयोग और हिप फ्रैक्चर का जोखिम 

ट्रामाडोल उपयोग के दुष्प्रभावों को निर्धारित करने के लिए, शोधकर्ताओं ने यूनाइटेड किंगडम से एक रोगी डेटाबेस का विश्लेषण किया। उन्होंने कोडीन, नेप्रोक्सेन, इबुप्रोफेन, सेलेकॉक्सिब और एटोरिकोक्सीब के साथ ट्रामाडोल उपयोग की तुलना 50 वर्ष या उससे अधिक उम्र के वयस्कों में की। सभी रोगी 50 वर्ष या उससे अधिक उम्र के थे और उन्हें हिप फ्रैक्चर, कैंसर या ओपिओइड उपयोग विकार का कोई इतिहास नहीं था। पर 1 वर्ष के दौरान ट्रामाडोल लेने वाले 146,956 रोगियों में 518 हिप फ्रैक्चर हुए। दूसरी ओर, कोडीन लेने वाले प्रतिभागियों में कुल 401 हिप फ्रैक्चर हुए। ट्रामाडोल कॉहोर्ट में नेपरोक्सन, इबुप्रोफेन, सेलेकोक्सीब और एटोरिकॉक्सीब का उपयोग करने वालों की तुलना में हिप फ्रैक्चर का एक उच्च जोखिम था।

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रिसर्च हेड गुंआगुंआ लेई ने इस स्टडी के निष्कर्षों के बारे में बताते हुए कहा, कि हिप फ्रैक्चर से जुड़े कारणों, इसकी वजह से होने वाली मृत्यु दर और इस पर होने वाले खर्चे पर ध्यान देना जरूरी है। जैसा कि, स्टडी के दौरान ट्राडामोल और हिप फ्रैक्चर के बीच संबंध पाए गए हैं। एक प्रेस विज्ञप्ति में, उन्होंने कहा कि उनके अध्ययन के परिणाम नैदानिक व्यवहार और उपचार दिशानिर्देशों में पेन किलर के इस्तेमाल और शरीर में फ्रैक्चर के जोखिम पर विचार करने की आवश्यकता को इंगित करता है। इस काम को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ, नेशनल नेचुरल साइंस फाउंडेशन ऑफ चाइना और सेंट्रल साउथ यूनिवर्सिटी के पोस्टडॉक्टोरल साइंस फाउंडेशन ने समर्थन दिया। इन संस्थाओं के सुझावों की मानें तो ट्राडामोल जैसे किसी भी पेन किलर के इस्तेमाल के प्रति सावधानी बरतनी चाहिए। 

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