उज्जायी एक ऐसा प्राणायाम है, जो सांस के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। आजकल बड़े शहरों के साथ-साथ छोटे शहरों और कस्बों में भी प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है। प्रदूषण के कारण कम उम्र में ही लोग अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों के इंफेक्शन, फेफड़ों के कैंसर आदि सांस से संबंधित बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। प्रदूषण सिर्फ आपके फेफड़ों के लिए ही नहीं, बल्कि दिल के लिए भी खतरनाक है। उज्जायी प्राणायाम के नियमित अभ्यास से इन बीमारियों से बचाव संभव है।
उज्जायी का अर्थ है 'जीतने वाला', यानी इस प्राणायाम में आप अपनी सांसों पर विजय प्राप्त करते हैं। सांस हमारे जीवन का आधार है, क्योंकि इसके माध्यम से ही हमारे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचती है और कार्बन डाई ऑक्साइड बाहर निकलता है। आइ आपको बताते हैं कि उज्जाई प्राणायाम के अभ्यास से आपको कितना फायदा मिलता है और कैसे किया जाता है ये प्राणयाम।
अस्थमा और हार्ट के मरीजों के लिए फायदेमंद
उज्जायी प्राणायाम अस्थमा और हार्ट के मरीजों के लिए फायदेमंद है। इस प्राणायाम के दौरान जब आप सांसों को एक गति में अंदर-बाहर करते हैं, तो आपके फेफड़ों की अच्छी एक्सरसाइज हो जाती है। सांस के द्वारा खींची गई ऑक्सीजन हृदय के पंपिग के काम को आसान बनाती है, जिससे सभी अंगों तक ऑक्सीजन युक्त खून की सप्लाई होने लगती है। इसके अलावा सांस छोड़ने की प्रक्रिया के दौरान आपके फेफड़ों में मौजूद टॉक्सिन्स बाहर निकल जाते हैं, जिससे फेफड़े स्वस्थ रहते हैं। अस्थमा के मरीजों को इस प्राणायाम का अभ्यास रोजाना करना चाहिए।
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हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए फायदेमंद
हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए भी उज्जायी प्राणायाम बहुत फायदेमंद है। इस प्राणायाम के दौरान शरीर के अंदर कंपन्न होते हैं, जिससे धमनियों में जमा प्लाक धीरे-धीरे कम होने लगता है और ब्लड यानी रक्त को प्रवाहित होने के लिए धमनियों में पर्याप्त जगह मिल जाती है।
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लंबे समय तक स्वस्थ रहते हैं शरीर के अंग
इसका कारण यह है कि इस प्राणयाम के दौरान आपको गहरी सांसें भरनी होती हैं। इस प्राणायाम के दौरान आपके शरीर में सामान्य से ज्यादा शुद्ध ऑक्सीजन का प्रवेश होता है। ये ऑक्सीजन शरीर के सभी अंगों तक पहुंचकर पोषण देता है और अंगों को जीवन देता है। इससे आपके शरीर के सभी अंग लंबी उम्र तक स्वस्थ रहते हैं।
कब करें उज्जायी प्राणायाम का अभ्यास
उज्जायी प्राणयाम को करने का सही समय सुबह का है, जब आपका पेट खाली हो। सुबह के समय वायु शीतल होती है और वातावरण में ऑक्सीजन का स्तर ज्यादा होता है। इस प्राणायाम को आप अपने घर की छत पर, पार्क में, कमरे में कहीं भी कर सकते हैं। बस यह ध्यान रखें कि इसे ऐसी जगह न करें, जहां आसपास कोई फैक्ट्री हो या व्यस्त सड़क हो, क्योंकि फैक्ट्री या सड़क के आसपास वायु प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा होता है।
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कैसे करें उज्जायी प्राणायाम का अभ्यास
- सबसे पहले किसी चटाई या चादर पर आराम से बैठ जाएं और अपनी कमर को सीधा रखें।
- फेफड़ों में गहरी सांस भरें और सांसों के अंदर जाने की प्रक्रिया को महसूस करें।
- कुछ समय तक सांसों को फेफड़ों में रोके रखें।
- अब अपने एक हाथ से नाक के दाहिने छिद्र को बंद करें और बाएं छिद्र से धीरे-धीरे सांसों को छोड़ें।
- सांसों को अंदर-बाहर करते हुए अपने मुंह को बंद रखें और गले से हल्की घरघराहट जैसी आवाज निकालें, जिससे आपके शरीर के ऊपरी हिस्से में कंपन्न महसूस हो।
- ध्यान दें कि आप जितना समय सांस को खींचने में लगा रहे हैं, उसका दोगुना समय सांस को छोड़ने में लगाएं।
- शुरुआत में इस प्राणायाम का अभ्यास आप 2-3 मिनट करें। एक बार अभ्यास हो जाने पर आप इसे जितना ज्यादा करेंगे, आपके लिए उतना फायदेमंद होगा।
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