लिवर को रखना है दुरुस्त और लंबी उम्र तक सेहतमंद, तो रोज करें ये 4 योगासन

लिवर भोजन में मौजूद सभी पोषक तत्व जैसे- विटामिन्स, मिनरल्स, एंटीऑक्सीडेंट्स आदि को अलग करता है और शरीर की जरूरत के अनुसार इसे अलग-अलग अंगों को पहुंचाता है। ये कुछ पोषक तत्वों को स्टोर कर लेता है, ताकि इसे एनर्जी की तुरंत जरूरत होने पर इस्तेमाल कर सके। अगर आप अपने लिवर को जीवनभर दुरुस्त रखना चाहते हैं और शरीर को सेहतमंद रखना चाहते हैं, तो योगासन आपके लिए फायदेमंद हो सकते हैं।
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लिवर को रखना है दुरुस्त और लंबी उम्र तक सेहतमंद, तो रोज करें ये 4 योगासन

लिवर शरीर का एक जरूरी अंग है, जो ढेर सारे फंक्शन में शरीर की मदद करता है। आजकल गलत खानपान और आदतों के कारण लिवर के मरीजों की संख्या काफी बढ़ रही है। लिवर भोजन में मौजूद सभी पोषक तत्व जैसे- विटामिन्स, मिनरल्स, एंटीऑक्सीडेंट्स आदि को अलग करता है और शरीर की जरूरत के अनुसार इसे अलग-अलग अंगों को पहुंचाता है। ये कुछ पोषक तत्वों को स्टोर कर लेता है, ताकि इसे एनर्जी की तुरंत जरूरत होने पर इस्तेमाल कर सके। अगर आप अपने लिवर को जीवनभर दुरुस्त रखना चाहते हैं और शरीर को सेहतमंद रखना चाहते हैं, तो योगासन आपके लिए फायदेमंद हो सकते हैं। आइए आपको बताते हैं ऐसे 4 योगासन, जो लिवर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं।

कपालभाति प्राणायाम

कपालभाति प्राणायाम मानव शरीर की पाचन शक्ति बढ़ाता है। आंतों की कमजोरी दूर करने के लिए भी लाभदायी है। इससे पेट के सभी प्रकार के रोगों से राहत मिलती है। गैस, कब्ज और खून के विकार की समस्याएं दूर होती हैं। इससे कई लीवर समस्‍याओं जैसे पीलिया, हेपेटाइटिस आदि ठीक होती है। शरीर में एनर्जी का संचार करने और तनाव दूर करने के लिए कपालभाती प्राणायाम करें।

एक मैट पर सीधे बैठें और फिर पद्मासन की स्थिति में आएं। दोनों घुटनों को मोड लें और बाएं पैर को दाएं पैर पर हाथों को आकाश की तरफ रखते हुए सांस को भरें और फिर पेट को भीतर की ओर संकुचित करते हुए सांस को बाहर की तरफ छोड़ें। इस क्रिया को लगातार करें। कपालभाति में प्रत्येक सेकंड में एक बार सांस को तेजी से बाहर छोड़ने के लिए ही प्रयास करना होता है। सांस को छोड़ने के बाद बिना प्रयास किए सामान्य रूप से सांस को अंदर आने दें। थकान महसूस होने पर बीच-बीच में रुक कर विश्राम अवश्य लेते रहें।

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अग्निसार क्रिया

पेट, लिवर और किडनी के लिए अग्निसार क्रिया बहुत फायदेमंद है। यह क्रिया बैठ कर या खड़े होकर की जा सकती है। सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं। दोनों पैरों के बीच बराबर दूरी बना लें। थोड़ा आगे की तरफ झुकते हुए दोनों हाथों को अपनी जांघों पर रखे और सांस को भर लें। एक साथ सांस को भर लें और फिर उसे तेजी से बाहर छोड़ दें। फिर सांस को रोकते हुए पेट की मांसपेशियों को अंदर की ओर खींचें और फिर बाहर की तरफ ढकेलें। ये क्रिया लगातार करें। सांस को रोकते हुए इस क्रिया को जितना दोहरा सकते हैं, दोहराएं। शुरुआत में 5 बार इस क्रिया को करें फिर क्षमता अनुसार इसे बढ़ाएं। जब थकान महसूस हो तब इस क्रिया को रोकें और सांस लें। कुछ देर बाद इस क्रिया को वापस दोहराएं और पेट को अंदर बाहर करें।

नौकासन

यह आपके लीवर को मजबूत बनाता है। यह पोज आपके लीवर को क्लीन करता है साथ ही साथ हानिकारक पदार्थो को भी दूर करता है। सबसे पहले आप पीठ के बल लेट जाएं। अपने हाथ जांघ के बगल और शरीर को एक सीध में रखें। फिर अपने शरीर को ढीला छोड़े और सांस पर ध्यान दें। अब आप सांस लेते हुए अपने सिर, पैर, और पूरे शरीर को 30 डिग्री पर उठायें। ध्यान रहे कि आपके हाथ ठीक आपके जांघ के ऊपर हो। धीरे-धीरे सांस लें और धीरे-धीरे सांस छोड़ें, इस अवस्था को अपने हिसाब से बनाये रखें। जब अपने शरीर को नीचे लाना हो तो लंबी गहरी सांस छोड़ते हुए सतह की ओर आयें। शुरुआती दौर में 3 से 5 बार करें। नौकासन की यह विधि तनाव दूर करने के लिए बहुत ही प्रभावी है।

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पवनमुक्तासन

पवनमुक्तासन से शरीर की पाचन क्रिया रहती है। गैस की समस्या में इस योगासन से बेहतर कोई इलाज नहीं है। इसके अलावा इस योगासन के अभ्यास से कमरदर्द और गठिया जैसे रोगों में भी लाभ मिलता है। पवनमुक्तासन को करने के लिए सबसे पहले सीधे लेट जाएं। अब दाहिने पैर को मोड़कर अपनी छाती को घुटनों से छूने की कोशिश करें। फिर दोनों हाथों की मदद से दाएं पैर को अपनी ओर खीचें और सिर उठाकर घुटने से नाक छूने की कोशिश करें। अब इसी प्रक्रिया को बाएं पैर से करें। पवनमुक्तासन का रोज कम से कम 10 बार अभ्यास करें।

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