अगर आपको भूख कम लगती है या थोड़ा खाना खाकर भी मन भर जाता है, तो ये खतरनाक हो सकता है। व्यक्ति को अपने उम्र और वजन के अनुसार पर्याप्त पौष्टिक भोजन करना बहुत जरूरी है। अगर आप कम खाना खाते हैं, तो आपकी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। योग विज्ञान में बहुत सारे ऐसे योगासन बताए गए हैं, जो भूख बढ़ाते हैं और पेट की समस्याओं को दूर करते हैं। त्रिभुज आसन भी एक ऐसा ही आसन है, जो भूख कम लगने, रीढ़ की हड्डी और पेट की समस्याओं में फायदेमंद है। आइए आपको बताते हैं कि कैसे करें त्रिभुज आसन और क्या हैं इसके फायदे।
त्रिभुज आसन करने का पहला तरीका
त्रिभुज आसन को आप दो तरह से कर सकते हैं। पहला तरीके द्वारा इसे खड़े होकर आसानी से किया जा सकता है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं और फिर अपने दोनों पैरों के बीच दो से ढाई फुट की दूरी बनाते हुए इन्हें फैला लें। इसके बाद अपने दाएं पैर को सीधा रखें और दाएं हाथ को कंधे की बिल्कुल सीध में कान से सटाकर ऊपर उठा लें और फिर बाएं पैर को घुटनों से मोड़ते हुए धीरे-धीरे बाईं ओर झुकते हुए बाएं हाथ की अंगुलियों से बाएं पैर के अंगुठे को छुएं।
2 से 3 मिनट तक इस स्थिति में रहने के बाद सामान्य स्थिति में आ जाएं। अब इस क्रिया को इसी तरह से दाएं ओर से भी दोहराएं। इस करते हुए ध्यान रखें की ऊपर रखे हुए हाथ की हथेली हमेशा सामने की ओर हो।
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त्रिभुज आसन करने का दूसरा तरीका
त्रिभुज आसन को एक अन्य विधि से भी किया जा सकता है, जिसमें इसे बैठकर किया जाता है। इस विधि से त्रिभुजासन करने के लिए अपने दाएं पैर को आगे फैलाकर बैठ जाएं। दाएं पैर को बिल्कुल सीधा व तान कर रखें तथा बाएं पैर को घुटने से मोड़कर पीछे ले जाते हुए एड़ी को नितम्ब (कूल्हे) से सटाकर रख लें। इसके बाद अपने दोनों हाथों को फैलाकर सिर व छाती को आगे की ओर झुकाते हुए दाएं हाथ से दाएं पैर के पंजे को और फिर बाएं हाथ से बाएं पैर के पंजे को पकड़ने की कोशिश करें या छुएं। इस दौरान सांस सामान्य रूप से लें और छोड़ें। कुछ समय तक इस स्थिति में रहने के बाद सामान्य स्थिति में आ जाएं और फिर बाएं पैर को बिल्कुल सीधा रखें और दाएं पैरों को पीछे ले जाकर इस क्रिया को दोहराएं। इस तरह दोनों पैरों को बदल-बदलकर इस आसन का अभ्यास करें।
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क्यों फायदेमंद है त्रिभुज आसन
त्रिभुज आसन सबसे ज्यादा रीढ़ की हड्डी और इसके निचले हिस्से के लिए फायदेमंद है। अगर किसी व्यक्ति की रीढ़ की हड्डियां कमजोर हैं, तो उसे नियमित त्रिभुज आसन करना चाहिए। इससे शरीर का संचालन व घुमाव बेहतर ढंग से हो पाता है। यह आसान करने से पाचन शक्ति ठीक होती है और भूख बढ़ाती है।
इससे नितम्ब, ऊपरी जांघ (नारूआ या पिंडली) की हड्डियों पर चोट लगने के कराण हुआ लंगड़ापन दूर होता है। साथ ही त्रिभुज आसन करने से पूरे शरीर में रक्त संचार (खून का बहाव) तेज होता है और शरीर के सभी अंगों में स्फूर्ति आती है। यह आसन शारीरिक की कार्य क्षमता को भी बढ़ाता है।
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