एक्ट्रेस लिसा रे भारतीय फिल्मों के अलावा कनाडा, यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका की फिल्मों में काम कर चुकी हैं। एक्ट्रेस लिसा रे की दो प्यारी सी बेटियां हैं, जिनका नाम सोइल और सूफी है। लिसा रे अपने सोशल मीडिया नेटवर्क के जरिए अपनी बेटियों की तस्वीरें साझा करती रहती हैं। लिसा रे की बेटियों की तस्वीरें काफी लोगों द्वारा बेहद पंसंद की जा रही हैं। हाल में ही लिसा ने अपनी बेटियों की लाल और सुनहरे रंग की कांजीवरम साड़ी पहने हुए फाटो शेयर की। साड़ी पहने नौ महीने के बच्चों की फाटों को देखकर निश्चित रूप से आप भी बेहद पसंद करेंगे।
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लिसा रे को गलसुआ (Mumps)रोग होने के कारण उसे अपनी बेटियों को छूने की अनुमति नहीं थी, इसलिए उनकी जुड़वा बेटियों की देखभाल दीपिका अग्रवाल द्वारा की जा रही थीं। जिन्होंने कि नौ महीने सोइल और सूफी को साड़ी पहनायी और वे दोनों ही बहुत प्यारे लग रहे थे। इंस्टाग्राम पर तस्वीर को साझा करते हुए, लिसा रे ने लिखा, "यहां दूसरी बात यह है कि जब कोई घर पर (गपशप) करता है और बच्चे दीपिका के साथ होते हैं और मुझे उनके पास जाने से मना किया जाता है, तो वह सबसे प्यारी साड़ियां व तरह-तरह के एथेनिक वेयर पहनाती रहती है।
इससे पहले भी लिसा ने अपनी जुड़वा बेटियों की तस्वीरें एथेनिक वेयर में सोशल मीडिया पर साझा की थी। उन्होंने इस पोस्ट पर लिखा, “सरस्वती पूजा के लिए, आज पैसे, कलम और किताब के बीच एक विकल्प दिया गया, सूफी ने बहुत ही शांति से कलम पकड़ ली और सोइल ने एक किताब के लिए पहुँचकर हमें चौंका दिया। कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे किस रास्ते को चुनते हैं, मैं प्रार्थना करती हूं कि मेरी बेटियों की जिंदगी प्यार और रोशनी से भर जाए। ”
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जुड़वा क्यों होते हैं प्यारे
एक ही गर्भावस्था के दौरान होने वाली दो संतानों को जुड़वा कहते हैं। जुड़वा बच्चे आमतौर पर सभी को प्यारे लगते हैं। इसका एक कारण यह है कि घर में जब 2 बच्चे एक ही उम्र के होते हैं, तो उनकी शरारत, उनके हावभाव सभी को आकर्षित करते हैं। ऐसा देखा जाता है कि जुड़वा बच्चों की आपस में बॉन्डिंग भी बहुत अच्छी होती है। हालांकि फिल्मों की तरह असल जिंदगी में जुड़वा बच्चे एक-दूसरे का दुख-दर्द नहीं महसूस कर सकते। कई फिल्मों में दिखाया गया है कि जुड़वा बच्चों में से एक को मारने पर दूसरे को भी चोट लगती है या एक के गिरने पर दूसरा भी गिर जाता है, ये बातें पूरी तरह मिथ्यापूर्ण हैं। जुड़वा बच्चों की शक्लें ज्यादातर मामलों में मिलती हैं या एक सी लगती हैं। मगर इसके अलावा उनमें कोई चीज कॉमन नहीं होती। यानी जुड़वा होने के बावजूद दोनों बच्चों की आदतें, व्यवहार, सोच और विचार में बदलाव होता ही है।
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