सिर्फ फेफड़ों में नहीं, गले में भी हो सकता है टीबी रोग, जानें इसके कारण, लक्षण और इलाज

टीबी एक संक्रामक रोग है जो ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया के संक्रमण की वजह से होता है, टीबी का रोग गले में भी हो सकता है जानें इसके कारण, लक्षण और इलाज।
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सिर्फ फेफड़ों में नहीं, गले में भी हो सकता है टीबी रोग, जानें इसके कारण, लक्षण और इलाज


टीबी (Tuberculosis) जैसी संक्रामक बीमारी के बारे में ज्यादातर लोगों को ठीक से जानकारी आज भी नहीं है। ट्यूबरक्‍युलोसिस बैक्टीरिया के संक्रमण की वजह से होने वाली यह घातक बीमारी शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है। अगर समय रहते टीबी जैसी घातक बीमारी का इलाज नहीं कराया गया तो यह जानलेवा हो सकती है। ज्यादातर लोगों को सिर्फ यह जानकारी होगी कि टीबी की बीमारी सिर्फ फेफड़ों में होती है लेकिन क्या आपको पता है कि यह बीमारी शरीर के किसी भी अंग जैसे मुहं, गले, ब्रेन, लिवर, किडनी और हड्डियों में भी हो सकती है? चूंकि टीबी का रोग सबसे ज्यादा फेफड़ों में होता है इसलिए शरीर के दूसरे अंगों में इसके संकेत दिखने पर लोग उसे नजरअंदाज कर देते हैं जिसकी वजह से आगे कई दिक्कतें होती है। गले में टीबी का रोग भी एक जानलेवा बीमारी है जिसमें समय से इलाज न हो पाने की स्थिति में मरीज की मौत भी सकती है, आइये जानते हैं गले में टीबी की बीमारी के बारे में।

गले में टीबी की बीमारी (Tuberculosis in Throat and Neck)

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टीबी की बीमारी ट्यूबरक्‍युलोसिस बैक्टीरिया के संपर्क में आने से होती है। आमतौर पर यह बीमारी फेफड़ों में सबसे ज्यादा होती है और इसे पल्मोनरी टीबी कहा जाता है। लेकिन जब टीबी फेफड़े के बाहर शरीर के किसी दूसरे अंग में होती है तो इसे एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी का नाम दिया जाता है। एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी के अंदर ही गले में टीबी की बीमारी भी आती है। गले में टीबी की बीमारी होने पर व्यक्ति में कई तरह के लक्षण दिखते हैं और इनका समय पर इलाज न होने की वजह से मरीज को अपनी जान भी गंवानी पड़ सकती है। गले में टीबी की बेमारी को स्क्रोफुला (Scrofula) भी कहा जाता है जो कि टीबी का एक प्रकार है। ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया का संक्रमण जब गले में पहुंच जाता है तो यह स्थिति पैदा होती है।

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गले में टीबी की बीमारी के कारण (Tuberculosis in Throat and Neck Causes)

स्क्रोफुला या गले में टीबी की बीमारी में ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया फेफड़ों के बाहर निकलकर गले में पहुंच जाते हैं। मेडिकल साइंस की भाषा में इस बीमारी को "सरवाइकल ट्यूबरकुलस लिम्फैडेनाइटिस" भी कहा जाता है। इस बीमारी में गले के नोड्स में इन्फेक्शन फैल जाता है जिसकी वजह से नोड्स और गले में सूजन पैदा हो जाती है। गले में टीबी का संक्रमण फैलने की सबसे बड़ी वजह माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु को माना जाता है, इसके फैलने से गले में टीबी या स्क्रोफुला की समस्या होती है। संक्रमित और दूषित चीजों के मुहं में जाने या संक्रमित व्यक्ति से बैक्टीरिया के आदान-प्रदान से यह बीमारी फैलती है। फेफड़ों के बाद टीबी का रोग सबसे ज्यादा गले में ही होता है।

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गले में टीबी के लक्षण (Tuberculosis in Throat and Neck Symptoms)

गले में टीबी संक्रमण फैलने पर मरीज को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। आमतौर पर इस समस्या में मरीज के गले में सूजन और अंदर की तरफ घाव हो जाते हैं। ज्यादातर मामलों में गले के नोड्स और लिम्फ नोड्स में सूजन और दर्द की समस्या होती है। जब यह समस्या ज्यादा दिनों तक रहती है तो मरीज के गले से मवाद और अन्य तरल पदार्थ भी निकल सकते हैं। गले में टीबी की समस्या होने पर मरीज में ये लक्षण प्रमुखता से दिखते हैं।

  • बुखार
  • नोड्स में सूजन
  • बोलने में दिक्कत
  • रात में पसीना होना
  • अचानक वजन घटना
  • खाने में दिक्कत होना

गले की टीबी का इलाज (Tuberculosis in Throat and Neck Treatment)

गले की टीबी या स्क्रोफुला के लक्षण दिखने पर डॉक्टर टीबी की जांच के बाद इलाज करते हैं। इस बीमारी में इलाज कई महीनों तक चल सकता है। आमतौर पर मरीज को छह महीनों के लिए कई तरह की दवाएं और एंटीबायोटिक्स के सेवन की सलाह देते हैं। इस गंभीर बीमारी के लक्षण दिखने पर आपको जांच के बाद उचित इलाज लेना चाहिए।

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टीबी की गंभीर बीमारी से बचने के लिए लक्षण दिखते ही इलाज कराना चाहिए। संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में जाने से बचना चाहिए और अगर जरूरी है तो मास्क लगाकर ही ऐसे व्यक्तियों के संपर्क में आना चाहिए। इसके अलावा पौष्टिक आहार और नियमित रूप से व्यायाम करने से आप बीमारियों से दूर रहेंगे। टीबी और कैंसर जैसी घातक बीमारियों से बचने के लिए तंबाकू, गुटका और शराब का सेवन करने से बचें।

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