गर्मियों की तेज धूप में बाहर निकलने से पहले अक्सर आप भी सनस्क्रीन लोशन का यूज करते होंगे। बाजार में आ रहे कई तरह के सनस्क्रीन लोशन पर भरोसा कई बार आपकी त्वचा के लिये भारी भी पड़ सकता है।
सनस्क्रीन लोशन बनाने वाली कंपनियों का दावा है कि इस तरह के लोशन त्वचा पर सूर्य की किरणों के होने वाले असर को रोकते हैं। कई शोध में यह भी साफ हो चुका है कि यह सच नहीं है। सनस्क्रीन लोशन से जुड़ी कुछ ऐसी हकीकत हम आपको बता रहे हैं जिन्हें पढ़कर आप आश्चर्य करने लगेंगे।
सनस्क्रीन लोशन कैंसर का कारण
यदि आप गौर करें तो बाजार में बिक रहे सनस्क्रीन लोशन को तैयार करने में कई प्रकार के कैमिकल का प्रयोग होता है। हो सकता हैं इनमें से कई कैमिकल का तो आपने नाम भी न सुना हो और आप इनका उच्चारण भी ठीक से न कर सकें। सनस्क्रीन उत्पादों को सुगंधित बनाने के लिए कठोर कैमिकल के साथ ही टॉक्सिस कैमिकल सॉल्वेंट और पेट्रोलियम ऑयल को यूज किया जाता है। इसमें मिले कैमिकल्स आपके शरीर की त्वचा पर बुरा प्रभाव डालते हैं। कुछ अध्ययनों से यह बात भी साफ हुई हैं कि सनस्क्रीन लोशन स्किन कैंसर से बचाव के बजाय इसे बढ़ावा देता है।
केवल यूवी किरणें जिम्मेदार नहीं
लोगों का मानना है कि स्किन कैंसर के लिये सूर्य की यूवी किरणें जिम्मेदार हैं। जबकि यह पूरी तरह सही नहीं है। स्किन कैंसर के लिए शरीर में पोषक तत्वों की भी कमी को भी जिम्मेदार बताया गया है। इसके अलावा स्किन कैंसर के लिए जंक फूड का सेवन भी जिम्मेदार होता है।
विटामिन डी की कमी करता है सनस्क्रीन लोशन
नॉर्थ अमेरिका में करीब 70 फीसदी लोग विटामिन डी की कमी से ग्रसित हैं। दरअसल सनस्क्रीन लोशन शरीर में विटामिन डी के उत्पादन को रोकता है। एक शोध के मुताबिक गोरी चमड़ी वाले करीब 70 फीसदी लोगों में विटामिन डी की कमी है। वहीं काली चमड़ी वाले लोगों में यह आंकड़ा 97 फीसदी के करीब है। जिस व्यक्ति के शरीर में विटामिन डी भरपूर मात्रा में होता है, उसे किसी भी प्रकार का कैंसर होने का आशंका का भी कम होती है। इसका मतलब यह भी नहीं है कि आप सनस्क्रीन उत्पादों का बिल्कुल भी इस्तेमाल न करें। यदि आपका प्लान पूरे दिन किसी बीच के किनारे रहने का हैं तो आप इसे यूज कर सकते हैं।
शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढाये
आप अपने खाने में बदलाव करके सूरज के प्रति शरीर की अंदरूनी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं। आप एंटीऑक्साइड आहार और सुपर फूड्स के सेवन से अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं। यदि सूरज की किरणों के प्रति आपके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है तो आपकी स्किन पर सूर्य की यूवी किरणों का असर नहीं होगा। भोजन में जितनी ज्यादा एंटीऑक्साइड की मात्रा होगी उतना ही आपकी स्किन के सनबर्न होने का खतरा कम होता है। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि सनबर्न की परेशानी जेनेटिक होती है, जो कि गलत है।
सभी उत्पाद नैचुरल नहीं होते
जब भी आप किसी ऐसे उत्पाद को खरीद रहे हैं जिसे दुकानदार द्वारा आपको नेचुरल बताकर दे रहा है, तो जरूरी है कि इसे लेने में विशेष सावधानी बरती जाये। कुछ ही प्रोडक्ट नेचुरल होते हैं, जबकि अधिकतर ग्रीन वाशिंग के उदाहरण होते हैं। जबकि इसके अलावा अन्य पदार्थ आर्गेनिक ही होते हैं।
सनस्क्रीन लोशन में कैमिकल
सनस्क्रीन लोशन बनाने वाली कंपनियों द्वारा दावा किया जाता है कि उनका लोशन कैमिकल फ्री है, जबकि हकीकत यह नहीं है। यदि आप किसी सनस्क्रीन लोशन के बारे में जानकारी जुटाएं तो आपको पता चलेगा कि उसे तैयार करने में कई तरह के कैमिकल का यूज किया गया है। कैमिकल त्वचार को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाता है।
Read Next
त्वचा के साथ न करें ये पांच गलतियां
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version