लैंगिक समानता जिसे अंग्रेजी में जेंडर इक्वैलिटी कहा जाता है। जेंडर की समझ घर से ही सिखाई जा सकती है। लैंगिक समानता आपको केवल एक अच्छा इंसान ही नहीं बनाती बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में भी योगदान कराती है। जरा सोचिए जब किचन का काम लड़के और लड़कियां समान रूप से संभालें और किसी पर बोझ न बनें तो लड़कियों का भी वर्कफोर्स बढ़ेगा। इस वर्कफोर्स के बढ़ने से देश की जीडीपी बढ़ेगी। आज के इस लेख में हम बात करेंगे कि आप अपने घर में छोटे बच्चों को कैसे जेंडर की सीख दे सकती हैं। ताकि जब वे बच्चे बड़े हों तब वे लैंगिक भेदभाव न करें और समानता में विश्वास रखें। यहां कुछ तरीके बताए जा रहे हैं जिन्हें अपनाकर आप जेंडर की सीख अपने बच्चों को दे सकती हैं।
1.किचन के काम में बराबरी
अक्सर हम किताबों में पढ़ते आए कि सीता खाना बनाती है और राम बाहर खेलने जाता है। लेकिन जैसे-जैसे फेमिनिज्म ने आवाज बुलंद करनी शुरू की तब ऐसी भेदभाव वाली सामग्री को कितीबों से दूर किया गया। आपके घर में लड़का और लड़की दोनों ही बच्चे हैं तो आप दोनों से ही किचन का काम करवाएं। लड़की सिर्फ वो लड़की है इसलिए आप उसे घर के तौर तरीके समझाना चाहते हैं तो ऐसा न करें। बल्कि आप लड़कों को भी खाना बनाना, सफाई करना आदि कामों को सिखाएं। इससे अगर बच्चे कभी घर से बाहर भी निकलते हैं तो स्वतंत्र रूप से अपना जीवन निर्वाह कर लेंगे। अगर उन्हें घरेलू काम नहीं आते हैं तो वे हमेशा दूसरों पर निर्भर रहेंगे। तो शुरुआत आप किचन के काम में बराबरी लाकर कर सकते हैं। आपकी परवरिश के तरीके से जेंडर की समझ बनेगी।
2. जेंडर पर बात करें
किसी भी बदलाव की शुरुआत बातचीत से होती है। अगर आप लैंगिक रूप से समान समाज चाहते हैं। अपने और अपने परिवार को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो जरूरी है कि आप घर में बच्चों के साथ जेंडर इक्वैलिटी पर बात करें। इस बातचीत से बच्चों के मन में जेंडर शब्द जाएगा। इस शब्द से वे आगे कहानी समझेंगे। इस शब्द से रूबरू होने के बाद उन्हें जेंडर इक्वैलिटी कोई नई बात नहीं लगेगी। इस तरह से ऐसे बच्चे जब आगे बढ़ेंगे तो उन घरों में गैरबराबरी कम दिखाई देगी।
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3. बच्चों को जेंडर पर बोलना सिखाएं
देश में लैंगिक समानता तभी आ सकती है जब हम अपने बच्चों को जेंडर की सीख दें और उन्हें उस पर बोलने के तैयार करें। यही बच्चे बड़े होकर जब महिला अधिकारों के पैरोकार बनेंगे या महिलाओं को सिर्फ घर की दहलीज तक सीमित नहीं रखेंगे तब वे उन्हें बोलने लायक बनाएंगे साथ ही ऐसे ही लोग देश को समान रूप से आगे बढ़ाएंगे। लेकिन जेंडर की समानता के साथ-साथ सरकारों को भी ऐसे अवसर पैदा करने पड़ेंगे कि जेंडर की समझ से पैदा हुए बच्चों को भविष्य में बराबर अवसर मिलें। वे कहीं मात न खा जाएं।
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4. रूढ़ियों के खिलाफ लड़ें
आपको सिर्फ खुद से ही नहीं बल्कि अपने परिवार से भी रूढ़ियों को खत्म करना होगा। बच्चों को भी ऐसी रूढ़ियों को तोड़ने की सीख देनी होगा। हमें अपने बच्चों को यह समझाना होगा कि लड़का और लड़की में कोई अंतर है। आप लड़के हैं और आप लड़की हैं यह फर्क हमें समाज ने सिखाया है। हमें अपने बच्चों को यह समझाना होगा कि शरीर की ताकत सिर्फ पुरुषों के पास नहीं होती है बल्कि लड़कियों के पास भी होती है।
इन तरीकों से आप अपने बच्चों को घर में ही जेंडर की सीख दे सकती हैं। इन तरीकों के अलावा सरकारों को भी ऐसी सामग्री तैयार करनी पड़ेगी जिनसे बच्चे भेदभाव नहीं बराबरी सीखें। उन्हें नीतिगत स्तर पर लैंगिक समानता को सिखाना होगा। इस तरह से हम एक समानता वाला समाज बना पाएंगे।
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