माता-पिता बनना बहुत ही अहम काम है। पैरेंट्स बनने के बाद बच्चों की अच्छी परवरिश करना माता-पिता के लिए एक टास्क हो जाता है, लेकिन इस बीच में यह भी जानना है कि हम किस तरह से बच्चों की परवरिश करें। हम सभी के माता-पिता अलग तरह से हमारी परवरिश करते हैं। हमारी परवरिश का हमारा भविष्य पर गहरा असर पड़ता है। माइंडफुल टीएमएस जीके 2 में क्लीनिकल मनोवैज्ञानिक डॉ. प्रज्ञा मलिक का कहना है कि बच्चों की परवरिश जिस तरह से होती है भविष्य में उनका जीवन भी वैसा ही होता है। इसलिए जरूरी है कि बेहतर देश के लिए बेहतर परवरिश की जाए। आप किस तरह के माता-पिता हैं इस बात का पता आप इन चार तरह की पैरेंटिंग स्टाइल से लगा सकते हैं।
आधिकारिक पैरेंटिंग (Authoritative parenting)
डॉ. प्रज्ञा मलिक का कहना है कि आधिकारिक पैरेंटिंग सबसे श्रेष्ट पैरेंटिंग मानी जाती है। जिन घरों में बच्चे अथोरिटेटिव पैरेंटिंग में पलते हैं उनका भविष्य भी उज्जव होता है। डॉ. प्रज्ञा मलिक का कहना है कि इस तरह की पैरेंटिंग को सबसे बेस्ट पैरेंटिंग कहा जाता है। इसमें माता-पिता बच्चे से खुद डिस्कस करते हैं। ऐसे माता-पिता अपने बच्चे के लिए फ्लैक्सिबल होते हैं। माता-पिता अगर रूल बनाते हैं तो उसका कारण भी बच्चे को बताते हैं। ऐसे बच्चे डिसिजन मेकिंग में बेहतर होते हैं। वे करियर में भी अच्छा कहते हैं। इन बच्चों में दूसरों को समझने समझ होती है। ये बच्चे केवल सत्तावादी नहीं होते हैं। ये बच्चे माहौल के अनुसार खुदो को ढालते हैं।
दयालु (Permissive) माता-पिता
ऐसे माता-पिता जिनकी प्रकृति दयालु किस्म है। वे हमेशा बच्चों को बच्चा ही मानकर रखते हैं। बच्चों को ज्यादा डांटते नहीं हैं। उन्हें लगता है कि वे बच्चे को डांटकर अच्छा कर रहे हैं, लेकिन सच में ऐसा सही नहीं होता है। इस तरह के माता-पिता कभी बच्चों के साथ कभी माता-पिता बनते हैं तो कभी दोस्त बनते हैं। ये लोग बच्चों पर रोक टोक नहीं करते हैं। बच्चा अगर गलत काम भी कर रहा है तब भी नहीं टोकते, क्योंकि वे मानते हैं कि बच्चा ही तो है। ऐसे पैरेंटस बच्चों पर कंट्रोल नहीं करते। ऐसे बच्चे ब़ड़े होकर उदास रहते हैं। ये बच्चे होपलेस होते हैं। ये बच्चे डिसीजन मेंकिंग बहुत खराब होती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बच्चों पर कभी रोक-टोक नहीं रही होती और जब कोई रोकता है तो वे परेशान होते हैं।
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अथोरियरेन (Authoriaran) पैरेंट्स
इस तरह के पैरेंट्स बहुत अथोरिटेरियन होते हैं। ऐसे बच्चों को बच्चों को बहुत अनुशासन में रखा जाता है। ये पैरेंट्स अपने बच्चों को फीलिंग की कद्र नहीं रखते। माता-पिता जो चाहते हैं वो करवाते हैं। इस तरह के बच्चे अपने माता-पिता पर गुस्सा ज्यादा करते हैं। बच्चों में फ्लैक्सिबिलिटी नहीं रहती है। ये बच्चे झूठ भी बोलते हैं। ये आलसी होते हैं।
असंबद्ध (Uninvolved) माता-पिता
इस तरह के पैरेंट्स अपने बच्चों से जुड़ते नहीं हैं। वे बच्चों के साथ खिलौने आदि ले आएंगे, लेकिन ध्यान नहीं देते कि बच्चा क्या कर रहा है। वे बच्चे से ज्यादा कुछ उम्मीद भी नहीं करते हैं। माता-पिता मानते हैं कि बच्चों की अपनी जिंदगी होती है और माता-पिता की अपनी। ऐसे बच्चों का कंपलेनिंग बिहेवियर होता है। इनकी सोशल परफॉर्मेंस कम होती है। इस तरह के बच्चों में आत्महत्या टेंडेंसी भी भविष्य में देखी जाती है।
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बच्चों की सही स्टाइल में पैरेंटिंग करना बहुत जरूरी है। अगर माता-पिता बचपन में बच्चे को बहुत अनुशासन में रख रहे हैं या बहुत कम कंट्रोल में रख रहे हैं तो ये दोनों ही कंडीशन बच्चे के भविष्य के लिए नुकसानदायक होती हैं। इसलिए पैरेंटिंग का सही तरीका माता-पिता को जरूर मालूम होना चाहिए।
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