Tips To Protect Joints in Haemophilia: हीमोफीलिया एक गंभीर बीमारी है। इसे ब्लड डिसऑर्डर भी कहा जाता है, जिसमें ब्लड में थक्के जमने की समस्या होती है। यह एक तरह का जन्मजात विकार है, जो शरीर में मौजूद ब्लड में कुछ खास तरह के प्रोटीन की कमी के कारण होता है। हीमोफीलिया की बीमारी में मरीजों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जरा सी चोट या टक्कर लगने पर इस बीमारी के मरीजों में ब्लीडिंग की समस्या होने लगती है। बार-बार होने वाले रक्तस्राव से जोड़ों में सूजन, दर्द और जकड़न हो सकती है, जिससे चलने-फिरने में परेशानी हो सकती है। गंभीर मामलों में, यह हमेशा के लिए जॉइंट डैमेज कर सकता है।
हीमोफीलिया के मरीज कैसे रखें अपने घुटनों का ध्यान?- Tips To Protect Joints in Haemophilia in Hindi
हीमोफिलिया के दो प्रकार है ए और बी। जिन लोगों को दोनों तरह के हीमोफिलिया होते हैं, उन्हें लंबे समय तक ब्लीडिंग का सामना करना पड़ता है। आमतौर पर चोट लगने पर खून में मौजूद एक प्रोटीन सक्रिय हो जाता है। बाबू ईश्वर शरण हॉस्पिटल के सीनियर फिजीशियन डॉ समीर कहते हैं, "हीमोफिलिया के कारण जोड़ों में ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है, जिसे हेमर्थ्रोसिस भी कहा जाता है। ब्लीडिंग की वजह से जोड़ों में सूजन और दर्द भी हो सकता है। इस स्थिति को हीमोफिलिक आर्थ्रोपैथी (Hemophilic Arthropathy) के नाम से जानते हैं।"
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हीमोफीलिया में जोड़ों को बचाने के लिए इन चीजों का ध्यान रखना चाहिए-
ब्लीडिंग के जोखिम को कम करें
हीमोफीलिया के के मरीजों को ब्लीडिंग के जोखिम को कम करने पर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए आप इन बातों का ध्यान रखें-
- नियमित इन्जेक्शन लें
- चोटों से बचें
- घर को सुरक्षित रखें
- व्यायाम करते समय सुरक्षा उपकरण पहनें
- दांतों से ब्लीडिंग को रोकें
वजन का ध्यान रखें
अधिक वजन जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव डाल सकता है और रक्तस्राव के जोखिम को बढ़ा सकता है। स्वस्थ वजन बनाए रखने के लिए संतुलित आहार लें और नियमित व्यायाम करें। वजन कम होने से हीमोफीलिया के मरीजों का जोखिम कम करने में मदद मिलती है।
शराब और धूम्रपान से बचें
शराब और धूम्रपान से रक्तस्राव का खतरा बढ़ सकता है। इन आदतों की वजह से हीमोफीलिया के मरीजों की परेशानियां और बढ़ सकती हैं। इससे बचने के लिए डॉक्टर की मदद लेकर स्मोकिंग और शराब से दूरी बनाएं।
हेल्दी डाइट पर फोकस करें
हीमोफिलिया में हेल्दी डाइट पर फोकस करें। पोषक तत्वों से भरपूर भोजन खाएं। अपनी डाइट में पर्याप्त प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन डी को शामिल करें। इस तरह हड्डियां मजबूत बनेंगी।
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डॉक्टर ब्लीडिंग डिसऑर्डर की समस्या का इलाज मरीज की गंभीरता और इसके प्रकार से हिसाब से करते हैं। ब्लीडिंग डिसऑर्डर का कोई सटीक इलाज मौजूद नहीं है, लेकिन डॉक्टर मरीजों की परेशानी को कम करने के लिए कुछ दवाओं के सेवन की सलाह देते हैं। कई बार लोगों में ब्लीडिंग के कारण आयरन की कमी हो जाती है, ऐसी स्थिति में आयरन सप्लीमेंट लेने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा अलग-अलग तरह के ब्लीडिंग डिसऑर्डर का ट्रीटमेंट अलग होता है।
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