प्रेग्नेंसी के बाद मां बनना हर महिला के जीवन का एक बेहद खास अनुभव होता है। यह एक ऐसा समय होता है जब एक महिला केवल शारीरिक रूप से ही नहीं, बल्कि मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक रूप से भी कई बदलावों से गुजरती है। खासकर जब कोई महिला पहली बार मां बनती है, तो उसके लिए यह अनुभव और भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। नवजात शिशु की देखभाल, उसकी जरूरतों को समझना और उसके साथ एक गहरा जुड़ाव बनाना हर मां की प्राथमिकता बन जाती है। पहली बार मां बनने वाली महिलाओं के लिए स्तनपान कराना कई बार चुनौतीपूर्ण हो सकता है। ऐसे में सही जानकारी, धैर्य और पॉजिटिव सोच के साथ स्तनपान की प्रक्रिया को सहज और आरामदायक बनाया जा सकता है। इस लेख में मा-सी केयर क्लीनिक की आयुर्वेदिक डॉक्टर और स्तनपान सलाहकार डॉ. तनिमा सिंघल (Dr. Tanima Singhal, Pregnancy educator and Lactation Consultant at Maa-Si Care Clinic, Lucknow) से जानिए, पहली बार स्तनपान कराने की तैयारी कैसे करें?
पहली बार स्तनपान कराने की तैयारी कैसे करें? - How Should A First Time Mom Breastfeed
1. भूख के संकेतों को जल्दी पहचानें - Learn Hunger Cues Early
बच्चे जब भूख लगने पर रोते हैं, तो वह ब्रेस्टफीडिंग शुरू करने का सबसे आखिरी संकेत होता है। उससे पहले भी शरीर और चेहरे के माध्यम से वह कुछ संकेत देता है जिन्हें "हंगर क्यूज'' कहा जाता है। यदि आप इन संकेतों को जल्दी पहचानने लगें, तो बच्चे को समय पर दूध पिलाना आसान हो जाएगा।
शिशु के मुंह को इधर-उधर घुमाना (rooting reflex), हाथों को मुंह की ओर ले जाना, होंठ चाटना और बार-बार जीभ बाहर निकालना ऐसे शुरुआती संकेत होते हैं। इन संकेतों को पहचानने से आप रोने से पहले ही बच्चे को फीड कर सकती हैं, जिससे बच्चा शांत और सहज रहता है और फीडिंग भी बेहतर होती है।
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2. आरामदायक पॉश्चर अपनाएं - Use a Comfortable Sitting with Back Support
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मां का आरामदायक होना बेहद जरूरी है। कई बार महिलाएं फीडिंग के समय गलत पोजीशन में बैठती हैं जिससे पीठ, गर्दन और कंधों में दर्द होने लगता है। इसलिए हमेशा ऐसी जगह बैठें जहां आपकी पीठ और हाथों को पूरा सपोर्ट मिले। सोफे या कुर्सी पर बैठते समय पीठ के पीछे तकिया लगाएं और अपने घुटनों के नीचे भी छोटा स्टूल या तकिया रख सकती हैं। बच्चे को अपने पास तक लाएं, खुद को बच्चे की ओर न झुकाएं। इससे आपकी मांसपेशियों पर दबाव नहीं पड़ेगा और फीडिंग का समय सुखद बनेगा।
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3. अलग-अलग स्तनपान पोजीशन आजमाएं - Try Different Breastfeeding Positions
हर मां और बच्चे का अनुभव अलग होता है, इसलिए एक ही पोजीशन हर किसी के लिए काम नहीं करती। शुरुआत में विभिन्न स्तनपान पोजीशन्स को आजमाना जरूरी है ताकि आप और आपका बच्चा दोनों सबसे आरामदायक मुद्रा में फीड कर सके।
हर पोजीशन के अपने फायदे हैं। उदाहरण के लिए, सिजेरियन डिलीवरी के बाद फुटबॉल होल्ड मां के लिए कम दर्ददायक होती है। अगर बच्चे को लैचिंग में दिक्कत हो रही है, तो क्रॉस क्रैडल होल्ड ज्यादा मददगार हो सकती है।
4. स्किन-टू-स्किन बॉन्डिंग पर जोर दें - Practice Skin-to-Skin Bonding
ब्रेस्टफीडिंग की अच्छी शुरुआत के लिए स्किन-टू-स्किन कॉन्टैक्ट बेहद फायदेमंद होता है। इससे मां और बच्चे के बीच का भावनात्मक जुड़ाव मजबूत होता है और बच्चे को मां की मौजूदगी और गर्माहट से सुरक्षा का एहसास होता है। बच्चे को सिर्फ डायपर पहनाकर अपनी छाती पर रखने से वह सहज महसूस करता है और स्वाभाविक रूप से स्तन की ओर आकर्षित होता है। इससे फीडिंग को लेकर उसका आत्मविश्वास बढ़ता है और ब्रेस्टफीडिंग प्रक्रिया आसान हो जाती है। इसके अलावा स्किन-टू-स्किन कॉन्टैक्ट से बच्चे का तापमान और दिल की धड़कन भी स्थिर रहता है।
निष्कर्ष
ब्रेस्टफीडिंग एक नेचुरल प्रोसेस है, लेकिन इसके लिए सही जानकारी और थोड़ी तैयारी बेहद जरूरी है। यदि आप हंगर क्यूज को पहचानें, सही पोजीशन में बैठें, अलग-अलग फीडिंग पोजीशन्स को ट्राई करें और स्किन-टू-स्किन बॉन्डिंग को अपनाएं, तो यह अनुभव आपके और आपके बच्चे दोनों के लिए बेहद सुखद हो सकता है। याद रखें, हर मां का अनुभव अलग होता है, इसलिए धैर्य रखें और खुद पर भरोसा रखें।
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