आजकल के खराब खान-पान और लाइफस्टाइल की वजह से लोग तरह-तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं। इनमें इनफर्टिलिटी भी शामिल है। दुनियाभर में कई ऐसे कपल्स हैं, जो इनफर्टिलिटी का सामना कर रहे हैं। ऐसे में जब कोई कपल संतान सुख प्राप्त नहीं कर पाता है, तो वह निराश हो जाता है। ऐसे कपल्स के लिए आईवीएफ यानी इंट्रा-विट्रो फर्टिलाइजेशन वरदान साबित हो रहा है। आईवीएफ तकनीक का उपयोग तब किया जाता है, जब कोई महिला नेचुरल तरीके से गर्भधारण नहीं कर पाती है। आईवीएफ एक लैब तकनीक है, जिसमें अंडे और शुक्राणु को टेस्ट ट्यूब में मिलाकर शिशु के विकास की प्रक्रिया को शुरू किया जाता है। लेकिन कई मामलों में यह सफल नहीं हो पाता है। ऐसे में आईवीएफ की प्रक्रिया सफल रहे, इसके लिए डॉक्टर द्वारा कुछ तरीके अपनाए जाते हैं। तो आइए, ओन्लीमायहेल्थ के #KhushKhabriWithIVF मुहिम में एआरटी फर्टिलिटी क्लीनिक की को-मेडिकल डायरेक्टर डॉ. ऋचा जगताप से जानते हैं इनके बारे में-
1. हार्मोन स्टिमुलेशन करना
हार्मोन स्टिमुलेशन की मदद से आईवीएफ को सफल बनाने में मदद मिलती है। इसमें अंडों की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए हार्मोन इंजेक्शन दिया जाता है। इंजेक्शन देने से अंडाशय में अधिक अंडों का उत्पादन होता है, जिससे गर्भधारण करने की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही, प्रेग्नेंसी हेल्दी भी बनी रहती है।
2. भ्रूण ट्रांसफर करना
गर्भ की परतें, गर्भावस्था के लिए महीने के सिर्फ 2-3 दिन ही निषेचित अंडे को ग्रहण करती हैं। ऐसे में अगर एक बार शरीर निषेचित अंडे को स्वीकार नहीं करता है, तो अंडे और शुक्राणु को निषेचित करके फ्रीज कर दिया जाता है। फिर अगर अगले महीने का इंतजार किया जाता है और बार में ट्रांसफर किया जाता है। सही समय पर भ्रूण को गर्भाशय में ट्रांसफर करने से गर्भधारण करने की संभावना बढ़ जाती है।
3. ब्लास्टोसिस्ट स्टेज में ट्रांसफर करना
भ्रूण एक कोशिका अंडे से 2, 4, 8 और 16 कोशिकाओं में विकसित होता है। फिर 5 या 6 दिन तक यह ब्लास्टोसिस्ट बन जाता है। इसके बाद, भ्रूण को कभी भी गर्भाशय में ट्रांसफर किया जा सकता है। लेकिन यह स्थानातंरण तभी करना चाहिए, जब भ्रूण ब्लास्टोसिस्ट में विकसित हो जाए। भ्रूण को हमेशा ब्लास्टोसिस्ट चरण में ही स्थानांतरित करना चाहिए।
4. ट्रांसफर करने के लिए सही तरीके की पहचान करना
आपको बता दें कि भ्रूण को दो तरीकों से गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है।
पहला- एंडोमेट्रियम अस्तर को विकसित करने के लिए दवा दी जाती है।
दूसरा- महिला के ओव्यूलेशन समय को ट्रैक किया जाता है।
लेकिन अगर किसी महिला का मासिक धर्म चक्र नियमित है और एंडोमेट्रियोसिस भी नहीं है, तो वे नेचुरल तरीके से स्थानांतरण करवा सकती हैं।
चरण 5- एकाधिक गर्भधारण से बचने के लिए अभ्यास
आईवीएफ उपचार
आईवीएफ का सबसे आम दुष्प्रभाव या इससे जुड़ी समस्या 'एकाधिक गर्भावस्था' है। सामान्य अभ्यास के रूप में डॉक्टर हर बार 2-3 भ्रूण स्थानांतरित करते हैं। यदि ये सभी प्रत्यारोपण होते हैं, तो हम जुड़वाँ या तीन बच्चों को देख रहे हैं जो एक उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था बन जाती है। एकाधिक गर्भधारण से रक्तचाप बढ़ने, गर्भावस्था के दौरान रक्त शर्करा, गर्भावस्था के दौरान रक्तस्राव और सिजेरियन डिलीवरी की बहुत अधिक संभावना होती है। एकाधिक गर्भावस्था लगभग हमेशा समय से पहले प्रसव से जुड़ी होती है और बच्चों के विकास और स्वास्थ्य पर इसका प्रभाव एक बड़ी चिंता का विषय है। यदि हम उसके विकास पैटर्न और ब्लास्टोसिस्ट चरण के आधार पर सर्वश्रेष्ठ भ्रूण का चयन करने में सक्षम थे, तो हम इसके प्रत्यारोपण की संभावनाओं के बारे में अधिक आश्वस्त हो सकते हैं और फिर कई भ्रूणों को स्थानांतरित करने से बच सकते हैं। एकल भ्रूण स्थानांतरण की यह वर्तमान प्रथा बेहतर माँ और बच्चे के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने में काफी मददगार साबित होती है।