इमोशनल ईटिंग की आदत से बिगड़ न जाए आपकी सेहत, ऐसे करें खुद पर कंट्रोल

इमोशनल ईटिंग की आदत के कारण व्यक्ति अपने मनोभावों के हिसाब से ओवर ईटिंग शुरू कर देता है। ऐसे में ये आदत आपके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हो सकता है। 
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इमोशनल ईटिंग की आदत से बिगड़ न जाए आपकी सेहत, ऐसे करें खुद पर कंट्रोल


आपका खाना, आपका मूड बता सकता है। लोगों के अच्छे से लेकर खराब मूड तक को खाना बेहतरीन बनाने और बिगाड़ने का काम कर सकता है। हम अक्सर जब भी खुश होते हैं, कुछ अच्छा खाना चाहते हैं, तो कभी दुखी होने पर खाना खाना ही छोड़ देते हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो दुखी होने पर या तनाव में रहने पर और ज्यादा खाना खाने लगते हैं। इस तरह से अपने इमोशन्स के हिसाब से खाने को इमोशनल ईटिंग भी कहा जाता है। दरअसल इमोशनल ईटिंग के पीछे का सबसे बड़ा तथ्य ये है कि खाने के जरिए असल में हम खुद को बेहतर महसूस करने के लिए अपनी भावनाओं को खाने की कोशिश करते हैं। भावनात्मक भोजन से न केवल वजन बढ़ता है और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं को भी आमंत्रित करता है। साथ ही ये भोजन पर हमारी निर्भरता को भी बढ़ाता है। इसके लिए जरूरी है कि आप अपने ऊपर कंट्रोल रखें।

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भूख के संकेतों और इमोशनल इटिंग की पहचान करना सीखें-

शुरुआत में ज्यादातर लोगों को भूख और क्रेविंग के बीच का अंतर समझ नहीं आता है। ये सबसे मुश्किल चरण होता है जब आपको लगता है कि कुछ खाना है और आप खाने लगते हैं। जबकि ये आपकी भूख के कारण नहीं बल्कि आपके इमोशनल डिमांड्स के कारण हैं। अगर आर अपनी असल भूख और इसके बीच अंतर करना सीख लें तो ये आपके लिए आसान हो सकता है। इसके लिए आपको कुछ नहीं बस अपने खाने के वक्त का ख्याल रखना है। यानी कि लास्ट टाइम आपने कब खाना खाया था और अब आप कब खा रहे हैं। अगर आपने थोड़े देर पहले ही कुथ खाया था और फिर लगातार खा रहे हैं, तो समझ जाएं ये इमोशनल ईटिंग है। मन लगाकर और भूख के संकेतों पर ध्यान न देकर आप अपने खाने को स्व-नियमित करने की कोशिश कर सकते हैं। 

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खाने का शेड्यूल बनाएं-

खाने का शेड्यूल बनाएं और इसे रोजाना फॉलो करें। यदि आप उस शेड्यूल से चिपके रहते हैं, तो आप ओवरईटिंग से बचे रह सकते हैं। ऐसा इसलिए भी क्योंकि अनियमित खाने की आदतें आमतौर पर परेशानी का कारण बनती हैं क्योंकि उनका परिणाम अनियमित भोजन और अधिक भोजन करना होता है। इसलिए कोशिश करें कि जब भी खाने की बात आए अपने डाइट, वजन और शरीर के शेप को याद करें। फिर सोचे कि जो आप खाना चाहते हैं, उसके कितने नुकसान होंगे और इस तरह खुद को खाने से रोकें।

संतुलित जीवन-

संतुलित जीवन जीने की कोशिश करें, जिसका अर्थ है कि आपके पास जो कुछ भी है उससे खुश रहना सीखें। यानी कि सोचें कि आप अपनी शारीरिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक जरूरतों को पूरा कर रहे हैं और इससे ज्यादा आपको कुछ नहीं चाहिए। यदि आप जीवन में असंतुलित हैं, तो इससे आपको इमोशनल ईटिंग की आदत लग सकती है। इसके कारण आप बीमार पड़ सकते हैं, सुस्त हो सकते हैं और अधिक वजन का शिकार हो जाते हैं। साथ ही अपने जीवन में संतुलन बनाए रखने के लिए, आप अपने उन क्षेत्रों को बेहतर जहां आपका मन ज्यादा लगता हो या जिसे करने में आप सबकुछ भूल जाते हों। इस तरह जब भी आप परेशान हों ये काम करें, ना कि बैठ कर बस खाना शुरू कर दें।

मन को किसी और काम में लगाएं-

यदि आप एक भावुक तो उन गतिविधियों की एक सूची बनाएं, जिनका आप आनंद ले सकते हैं, जो आपको भोजन से अलग कर दे। भावनात्मक खाने से बचने के लिए सबसे सरल, सबसे आसान और स्वास्थ्यप्रद विकल्पों में से एक है: नियमित चलना, गति चलना, ट्रेडमिल पर चलना, अपने कुत्ते को टहलना। यह न केवल आपको शांत करता है बल्कि आपको अपने बारे में अच्छा महसूस करने देता है। इसी तरह जब आप खुश हों तो तेज गाना बजाकर डांस करें, इससे आपके कुछ और केलोरीज भी बर्न हो जाएगा और आप अपने मन के उस भाव को भी व्यक्त कर लेंगी। इसी तरह गुस्से में घुमने निकल जाएं या ट्रेडमिल पर चलें, ताकि आपकी ये एनर्जी कहीं अच्छे काम में खर्च हो जाए।  

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अपने मन को शांत करें और लोगों से बात करें-

भावनात्मक भोजन अक्सर आत्म-आलोचना के साथ होता है, जिसमें आपकी आंतरिक आवाज आप से नेगेटिव बाती ही करती हैं। ऐसे में आप अपने ऊपर से नियंत्रण खो देते हैं। इसलिए कोशिश करें कि जितना हो सके उतना स्ट्रेस न लें। ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच रहें या कोई काम करें। इस तरह से आप खुद को व्यस्त रख कर आवरईटिंग से बचा सकते हैं। वहीं योग और कुछ हल्का संगीत सुनने की कोशिश करें। किताबें पढ़ें या किसी और से मिलने चले जाएं। यानी कि आप कुछ भी करें पर खुद को खाने से रोकें। याद रखें, कोई भी खाद्य पदार्थ स्थिति या भावनाओं को नहीं बदल सकता है, आपको अपने आप पर काम करने और अपने भीतर शांति खोजने की आवश्यकता है। ये सुझाव आपको ऐसा करने से रोकेंगेऔर भावनात्मक खाने पर अंकुश लगाने में भी मददगार साबित हो सकते हैं।

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