सफेद आलू से कई गुणा फायदेमंद होता है बैंगनी रंग का आलू, जानें इसके फायदे और न्यूट्रिशनल वैल्यू

सफेद आलू की तुलना में बैंगनी रंग के आलू में कम स्टार्च है और मैक्रो न्यूट्रिएंट्स ज्यादा है। साथ ही से डायबिटीक लोगों के लिए भी है फायदेमंद।  
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सफेद आलू से कई गुणा फायदेमंद होता है बैंगनी रंग का आलू, जानें इसके फायदे और न्यूट्रिशनल वैल्यू

यूं तो आलू को आप सबने देखा है पर क्या आपने पर्पल कलर के आलू को देखा है। दरअसल नीला और बैंगनी रंग के आलू, आलू परिवार (सोलनम ट्यूबरोसम) से ही आते हैं और दक्षिण अमेरिका में एंडीस पर्वत क्षेत्र पाए जाते हैं। हालांकि भारत जैसे देश में अभी ये आम बाजारों में उपलब्ध नहीं पर कुछ सुपर मार्केट्स में ये मिल जाते हैं। असल में ऊपर से आपको काली और नीली भी लग सकती है पर इसे पकाने के बाद इसमें बैंगनी रंग आ जाता है। इस आलू की बनावट लगभग आम तरह के सफेद आलूओं जैसी होती है पर ये और सफेद आलू की तुलना में ये ज्यादा पौष्टिक और मिट्टी के स्वाद वाला होता है।

Inside_benefits of purple potato

वहीं इसके न्यूट्रिशनल वैल्यू की बात करें, तो इसमें सफेद आलू की तुलना में कम स्टार्च है और मैक्रो न्यूट्रिएंट्स ज्यादा है। इसमें अच्छे पोषक तत्व होते हैं और यह आपके आहार के लिए काफी अच्छा हो सकता है। बैंगनी आलू में सोलनम ट्यूबरोसम परिवार में आलू की अन्य किस्मों के समान एक पोषक तत्व होता है। पर हालांकि उनकी खनिज सामग्री उस मिट्टी के आधार पर भिन्न हो सकती है, जिसमें वे उगाए गए हैं। वहीं इसकी न्यूट्रिशनल वैल्यू की बात करें तो

100-ग्राम आलू की न्यूट्रिशनल वैल्यू

  • कैलोरी: 87
  • प्रोटीन: 2 ग्राम
  • कार्ब्स: 20 ग्राम
  • फाइबर: 3.3 ग्राम
  • वसा: 1 ग्राम से कम
  • मैंगनीज: दैनिक मूल्य का 6% 
  • कॉपर: डीवी का 21%
  • आयरन: 2%
  • पोटेशियम: 8% 
  • विटामिन बी 6:  18%
  • विटामिन सी: 14%

दिलचस्प बात यह है कि आलू में केले की तुलना में अधिक पोटेशियम होता है। साथ ही ये सोडियम की मात्रा भी कम होती है। आइए हम आपको बताते हैं इसके फायदे के बारे में।

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ब्लड शुगर के लिए है फायदेमंद-

हाई ब्लड प्रेशर वाले लोगों के लिए पर्पल आलू काफी फायदेमंद है। ये ब्लड में शुगर की मात्रा को कंट्रोल रखता है और सफेद आलू की तुलना में इसके विटामिन शरीर के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। वहीं इसके ग्लाइसेमिक इंडेक्स यह 0 से 100 तक होता है, और 70 से अधिक जीआई उच्च माना जाता है। बैंगनी आलू में जीआई 77, पीले आलू में जीआई 81 और सफेद आलू में जीआई 93 होता है। जबकि सभी आलू की किस्में रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावित करती हैं क्योंकि उन सभी में कार्बोहाइड्रेट काफी हाई होता है। 

एंटीऑक्सिडेंट की मात्रा अच्छी होती है- 

बैंगनी आलू खाने से आपके एंटीऑक्सिडेंट का सेवन बढ़ सकता है और शरीर का सूजन कम हो सकता है। वे विशेष रूप से एन्थोकायनिन से समृद्ध हैं, जो कि एंटीऑक्सिडेंट यौगिक हैं जो हमारे आंख और हृदय स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होता है। साथ ही साथ ये बहुत सी पुरानी बीमारों के खतरे को भी कम करता है।

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हाई फाइबर-

अपने आहार में बैंगनी आलू को शामिल करने से आपके फाइबर का सेवन बढ़ाने में मदद मिल सकती है। साथ ही ये आपके पेट और आंतों में इंफेक्शन के लिए भी काफी लाभदायक है। इसके फाइबर्स की मात्रा सही होने के कारण ये पेट के स्वास्थ्य के लिए भी काफी लाभदायक है। साथ ही ये त्वचा के स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद है। इसमें शॉर्ट-चेन फैटी एसिड के रूप में जाना जाने वाले यौगिकों का उत्पादन किया जाता है। आलू में स्टार्च की एक सीमित मात्रा होने के कारण इसे बनाने के विधि पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है

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शरीर में कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है-

बैंगनी आलू में कुछ ऐसे यौगिक भी हैं जो शरीर के कुछ रिएक्शन को धीमी कर सकती है। जैसे- ये शरीर में कई वायरस और बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकता है। वहीं ये कैंसर कोशिकाओं को भी शरीर में असक्रिय करके रखने में मदद करता है। इसे खाने के कई और लाभ भी है, जो सफेद आसू से ज्यादा फायदेमंद है।

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