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National Doctors' Day: डॉक्टर्स अपनी मानसिक सेहत का कैसे रखते हैं ख्याल, जानिए उनके खास उपाय

डॉक्टर्स सारा दिन रोगियों से घिरे रहते हैं, ऐसे में वह अपने इतने बिजी शेड्यूल में खुद के मानसिक स्वास्थ्य को कैसे संतुलित रख पाते हैं? 
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National Doctors' Day: डॉक्टर्स अपनी मानसिक सेहत का कैसे रखते हैं ख्याल, जानिए उनके खास उपाय


Mental Health of Doctors: अक्सर रोगियों की बीमारियों और उनके इलाज की बातें तो होती ही रहती हैं लेकिन डॉक्टर्स की मानसिक सेहत पर शायद ही कभी बात होती है। सवाल ये है कि वे सारा दिन मरीजों की परेशानियों को सुनते हैं, ऐसे में वे खुद को उन समस्याओं से कैसे अलग कर पाते हैं। क्या अपनी मानसिक सेहत के लिए वह कुछ खास करते हैं? अस्पताल के प्रेशर भरे माहौल से निकलने के बाद वे अपने मन व दिमाग को किस तरह संतुलित रखने की कोशिश करते हैं? इस तरह के कई सवाल हमने नेशनल डॉक्टर्स डे के मौके पर देश के अलग-अलग हिस्सों के डॉक्टरों से पूछे और उनके ऐसे जवाब थे, जिनसे हम सब प्रेरणा ले सकते हैं। जो डॉक्टर्स अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में करते हैं, उसे हम सब आसानी से अपना सकते हैं। 

Dr. Shareefa Chause

डॉ. शरीफा चौसे, त्वचा रोग विशेषज्ञ, अपोलो स्पैक्ट्रा, मुम्बई 

डॉ. शरीफा ने बताया, " कई बार काम इतना ज्यादा होता है कि समय पर खाना या सोना भी मुश्किल होता है, जो मेरी मानसिक सेहत पर असर डालता है। इसलिए मैं तनाव कम करने वाली एक्सरसाइज करती हूं, साथ ही अपने लिए समय जरूर निकालती हूं। मैं अपने दिमाग और शरीर को सेहतमंद रखने के लिए करीब 1 घंटे से अधिक कसरत करती हूं। हाल ही में मैंने योग और मेडिटेशन भी शुरू किया है, जिससे मुझे मानसिक सेहत को मैनेज करने में बहुत लाभ मिल रहे हैं। जब भी घर या काम पर तनाव होता है, तो मैं प्राणायाम करती हूं। छुट्टी के दिन मैं वॉक, जिम और जॉगिंग करती हूं।"

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Dr. Sonu Balhara

डॉ. सोनू बल्हारा अहलावत, इनफर्टिलिटी और आईवीएफ विशेषज्ञ, डायरेक्टर, आर्ट फर्टिलिटी क्लिनिक्स, गुरुग्राम 

डॉ. सोनू का कहना है कि आईवीएफ के लिए आने वाली महिलाएं काफी परेशान होती हैं। उनकी समस्याएं ध्यान से सुनना और उन्हें मोटिवेट करना काफी प्रेशर भरा काम होता है। रोजाना इन स्थितियों से गुजरने के बाद शाम को जब घर जाती हूं, तो अपने मन को सुकून देने के लिए अकेले बैठकर गाने का अभ्यास करती हैं। इसके साथ बागवानी करके भी मानसिक शांति मिलती है। कई बार किसी केस के कारण मन दुखी होता है, तो कुछ समय अपने पालतू कुत्ते के साथ खेलकर उदास मन भी खुश हो जाता है। 

Dr. Urvi Maheshwari

डॉ. ऊर्वि माहेश्वरी, इंटरनल मेडिसन, विशेषज्ञ, जायनोवा शाल्बी अस्पताल, मुम्बई

डॉ. ऊर्वि ने बताया, "रोगियों के संघर्ष की कहानियां मेरी मानसिक सेहत पर बड़ा असर डालती हैं। इस स्थिति से बचने के लिए मैं खुद को पेंटिंग और स्केचिंग में बिजी रखती हूं। ये शौक मुझे अस्पताल के बिजी रूटीन के तनाव से दूर रखने में मदद करते हैं। ये शौक मुझे ऊर्जा देते हैं, जिससे रोगियों का इलाज बेहतरीन ढंग से कर पाती हूं। वीकेंड के दौरान मैं कम से कम 40 से 50 मिनट पेंटिंग करती हूं। जिस दिन बहुत ज्यादा स्ट्रेस या तनाव होता है, तो मैं पार्क या किसी हरियाली वाली जगह पर समय बिताना पसंद करती हूं।" 

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डॉ. रविंद्र गुप्ता, विभाग प्रमुख, इंटनल मेडिसिन, सी के बिरला अस्पताल, गुरुग्राम  

डॉ. रविंद्र कहते हैं, "हम अपने कुछ प्रेशर को अपने जूनियर स्टाफ या नर्सिंग स्टाफ को ट्रांसफर कर देते हैं। इसके अलावा रोगियों के साथ हंसी-मजाक करके भी माहौल को जिंदादिल बनाने की कोशिश करता हूं। मैं खेलकूद, कसरत, मेडिटेशन और योग करके खुद की मानसिक सेहत को अच्छा रखने की कोशिश करता हूं।"

dr. arti anand

डॉ. आरती आनंद, मनोवैज्ञानिक, सीनियर कंस्टलेंट, सर गंगाराम अस्पताल

डॉ. आरती ने कहा कि वह जब अस्पताल से वापस अपने घर आती हैं, तो रोगियों की समस्याओं के बारे में ज्यादा नहीं सोचती। पेशे से मनोवैज्ञानिक हैं, तो जानती हैं कि मानसिक सुकून बहुत जरूरी है, इसलिए रोजाना मेडिटेशन करती हैं। उन्होंने बताया कि मेडिटेशन करने से मन व दिमाग शांत होता है। इसके अलावा अगर बहुत ज्यादा टेंशन होती है, तो वह अपने दोस्तों से बात करती हैं। अपने मन में बातों को रखकर सोचती नहीं रहती हैं। इसके साथ-साथ रोज कसरत करना भी नहीं भूलतीं। जब वह रोगियों से मिलती हैं, तो मन से शांत और शरीर से फुर्तीलापन महसूस करती हैं।

dr. vipul rastogi

डॉ. विपुल रस्तोगी, सीनियर कंस्लटेंट, न्यूरोसाइकियाट्रिस्ट, मेंदाता

डॉ. विपुल का कहना है कि तनाव सभी को हो रहा है और डॉक्टर्स भी इससे अछूते नहीं हैं। डॉक्टर्स को अपने परिवार के साथ-साथ रोगियों की मदद में जो परेशानियां या चुनौतियां आती हैं, उनसे भी जूझना पड़ता है। डॉक्टर्स को अपना ख्याल रखना जरूरी होता है, ताकि वह धैर्य, सहानुभूति और सही फैसला ले सकें। मन और दिमाग को शांत रखने के लिए डॉक्टर्स को अपने लिए रिलैक्सिंग समय निकालना चाहिए। निजी और प्रोफेशनल जीवन के बीच संतुलन बनाने के साथ सोशल लाइफ को भी प्राथमिकता देनी चाहिए। हम अपने काम से तभी कटऑफ कर पाएंगे, जब हम अपनी मनपसंद हॉबी या खेल में शामिल होते हैं। इसके अलावा रोजाना एक्सरसाइज करना भी जरूरी है, लेकिन इसमें दो बातें मुश्किलें पैदा कर देती है। पहला तो सभी सोचते हैं कि एक्सरसाइज करने में एनर्जी लगती है जबकि सच ये हैं कि इससे एनर्जी मिलती है और दूसरा कि एक्सरसाइज करने के लिए पूरा घंटा चाहिए, लेकिन सच्चाई ये है कि आपके पास जितना समय है उतना समय कसरत करें। चाहे आपके पास आधा घंटा है या फिर 10 मिनट है, लेकिन कसरत जरूर करें। मानसिक रूप से सेहतमंद डॉक्टर अपने रोगियों के लिए उदाहरण बन सकता है। 

आप कैसे अपनी मानसिक सेहत का ख्याल रख सकते हैं?

जैसे डॉक्टर्स अपनी मानसिक सेहत को लेकर पूरी तरह से जागरूक होने के साथ-साथ अपनी सेहत का पूरा ध्यान रखते हैं। वैसे ही आप भी उनके कुछ तरीकों को अपनाकर उनकी तरह खुद को बेहतर बना सकते हैं। डॉक्टर्स ने अपनी मानसिक सेहत को लेकर जो तरीके बताएं हैं, उसे आप भी आसानी से अपनी जिंदगी में शामिल कर सकते हैं। 

  • रोजाना कुछ समय के लिए एक्सरसाइज जरूर करें।
  • योग या मेडिटेशन अपनाएं।
  • कुछ समय हरियाली या पार्क में बिताएं।
  • अपनी किसी भी हॉबी या शौक के लिए समय दें।
  • स्ट्रैस होने पर अपने किसी दोस्त या करीबी से बात करें।

 

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