
ये हर किसी को मालुम है कि टीबी एक संक्रामक रोग है जो फेफड़ों के साथ ही शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित करता है। वैश्विक स्तर पर टीबी के खिलाफ लगातार जो सावधानियां बरती गईं थी उसके कारण इस बीमारी के आंकड़ों में पिछले सालों में काफी गिरावट आई थी। लेकिन हाल ही के सालों में भारत में टीबी का प्रभाव बढ़ा है जो अब एक गंभीर समस्या बनकर उभरी है। नवंबर में आई डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार टीबी से हर तीन मिनट में दो भारतीय मर रहे हैं।
आज इस लेख में हम इसी बात की चर्चा करते हैं कि आखिर क्यों अचानक से पिछले दो सालों में टीबी के मामलों में बढ़ोतरी हो गई और भारत टीबी से ग्रस्त मरीजों की संख्या में शार्ष स्तर पर पहुंच गया।
टीबी के मरीजों में भारत सबसे ऊपर
डब्ल्यूएचओ की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि, दुनिया की 27 फीसदी टीबी के मरीज भारत में हैं। ये संक्रामक रोग देश के लिए एक चुनौती बनते जा रहा है। देश में साल 2015 में टीबी के 28 लाख नए मामले सामने आए, जबकि 2014 में इन नए मामलों की संख्या 22 लाख थी। एक साल में टीबी के मामलों में छह लाख की बढ़ोतरी हुई जिसका कारण ना सरकार का समझ आ रहा है ना डॉक्टरों को।
इस रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में सबसे ज्यादा टीबी के मरीज भारत में पाए जाते हैं। आज देश में रोजाना टीबी के वजह से 1,000 लोगों की जान जा रही है। दुनिया में भारत पर टीबी का बोझ सबसे अधिक है।
क्यों आई ये स्थिति
दवाइयों का कोर्स छोड़ देते हैं अधूराः इस स्थिति तक पहुंचने का सबसे बड़ा कारण है दवाइयों के कोर्स को अधूरा छोड़ना। देश में टीबी के अधिकतर मरीज अपने दवाईयों का कोर्स पूरा नहीं करते। जिसके कारण टीबी जब दोबारा शरीर में हमला करता है तो वो अधिक घातक हो जाता है। हाल ही में आए एक अध्ययन के अनुसार 2013 में अगर 19 लाख लोग टीबी की शिकायत लेकर सरकारी अस्पताल गए तो उनमें से केवल 65 फीसदी मरीजों ने ही पूरी दवाइयां लीं।
महंगा इलाज
आज भी देश में टीबी का इलाज काफी महंगा और मुश्किल है जिसके कारण गरीब मरीज इसका उचित इलाज नहीं करा पाते।
लोगों में इसके प्रति जागरूकता जरूरी
टीबी एक संक्रामक रोग है।
टीबी एक से दूसरे को फैलता है।
टीबी गंदे खान-पान की वजह से होता है....
ऐसे ही कई कारण है टीबी के जो हर किसी को मालुम है लेकिन कोई इनपर ध्यान नहीं देता। टीबी का इलाज महंगा होता है ये बाद की बात है। पहली और जरूरी बात है कि टीबी आखिर होता ही क्यों है। क्योंकि लोग एक-दूसरे के बीमारियों पर ध्यान देने के बजाय नजरअंदाज कर झूठा खा लेते हैं। गरीब भोजन की कमी के कारण खराब खाना और गंदा पानी पीने के लिए मजबूर हैं। ये एक छोटा कारण है जिस पर लोगों में जागरूकता फैलाया जाना जरूरी है कि टीबी कैसे होता है इससे कैसे बचा जा सकता है।
कहा जाता है कि दोस्ती में झूठा खाने से प्यार बढ़ता है। ये सच हो सकता है। लेकिन ये सौ फीसदी सच है कि टीबी में झूठा खाने से टीबी जरूर फैलता है। जैसे कि मनीषा की एक दोस्त को टीबी था। लेकिन मनीषा इन सब बातों पर ध्यान नहीं देती थी। एक महीने बाद जब मनीषा को खांसने में खून आया तो उसने अपने पापा को बताया। जब मनीषा को चेकअप कराया गया तो पता चला कि मनीषा को टीबी है। खैर मनीषा के पापा सरकारी नौकरी में थे तो मनीषा का आसानी से अच्छे से अस्पताल में इलाज हो गया। लेकिन ये सरकारी सुविधा और इलाज देश के हर मरीज को नहीं मिलती। इसलिए इसके लिए लोगों में जागरूकता बेहद जरूरी है, जिसमें लोगों को ये समझाना जरूरी है कि...
- किसी भी बीमार दोस्त या व्यक्ति का झूठा ना खाएं।
- गंदी चीजों और खानपान से दूर रहें।
- ठेले का खाना ना खाएं।
- अपनी टिफिन शेयर ना करें।
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