जानें क्या है माइक्रोबैक्टरियम टयूबरक्यूयलोसिस

माइक्रोबैक्टरियम टयूबरक्यूयलोसिस क्षय रोग का जीवाणु है। माइक्रोबैक्टेरियम नामक यह जीवाणु फेफड़ो में पहुंचकर धीरे-धीरे अपनी संख्या बढ़ाने लगता है। यह जीवाणु दूषित पानी या मिट्टी में पाए जाते हैं।
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जानें क्या है माइक्रोबैक्टरियम टयूबरक्यूयलोसिस


तपेदिक व क्षय रोग जिसे आम भाषा में टीबी के रोग के नाम से जाना जाता है, जानलेवा बीमारी होती है। एक समय पर यह महामारी के रूप में फैलती थी, आज इसका इलाज संभव है पर फिर भी यह एक घातक बीमारी होती है। इस रोग के उत्पन्न होने का सबसे बड़ा कारण माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया होता है। यह एक तरह का संक्रामक रोग होता है।इसके जीवाणु दूषित पानी या मिट्टी में पाए जाते हैं। इसलिए दूषित जगहों पर टी.बी के ज्यादा मरीज पाए जाते हैं। माइक्रोबैक्टरियम ट्यूबरक्यूलोसिस शरीर के किसी भी हिस्से पर अटैक कर सकते हैं जैसे-किडनी, मेरुदंड, दिमाग। और अगर इसका जल्द से जल्द इलाज नहीं कराया गया तो यह घातक साबित हो सकते

  • रोग का प्रसार संक्रमित व्यक्ति द्वारा हवा में उत्सर्जित सूक्ष्म कणों के संपर्क से यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में प्रसारित होता है। किसी भी दूषित स्थान पर रहने या अनुचित खान पान से यह जीवाणु शरीर में प्रवेश कर जाता है। एमटीबी के शिकार किसी भी व्यक्ति के खांसने, थूकने व छींकने से यह जीवाणु हवा में फैलकर पास खड़े अन्य व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।
  • अगर आपके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता अधिक है तो यह जीवाणु आपके शरीर में प्रवेश नहीं कर सकता है, लेकिन अगर प्रतिरोधक क्षमता कम है तो यह जीवाणु आसानी से आपके शरीर में प्रवेश कर लेते हैं और अपनी संख्या बढ़ाने लगते हैं।आमतौर पर टी.बी. का इलाज स्थापित नियमानुसार चार जीवाणुरोधी दवाओं द्वारा छः महीने तक किया जाता है। रोगी के रोगमुक्त होने में लगभग 22 सप्ताह लगते हैं।
  • जब क्षय रोग के जीवाणु शरीर में प्रवेश करते हैं तो रोगी को वजन कम होना, भूख नहीं लगना, बुखार होना, दो हफ्ते से ज्यादा खांसी होना, सीने में दर्द होना, रात को सोने में पसीना आना, कफ व थूक में खून आना जैसी समस्याएं होने लगतीहैं।    
  • जो लोग एचआईवी से ग्रसित होते हैं उनमें माइक्रोबैक्टेरियम ट्यूबरकुलोसिस होने का खतरा बढ़ जाता है। एल्कोहल व नशीली दवाओं के सेवन से भी क्षय रोग का खतरा होता है। किसी भी क्षय रोगी के साथ समय बिताने पर यह जीवाणु आपके शरीर में प्रवेश कर सकता है।उन जगहों पर जाने से टी.बी के जीवाणु शरीर में प्रवेश कर सकते हैं जहां पर क्षय रोगी हों, जैसे अस्पताल।लंबे समय से किसी बीमारी का इलाज करवाने या शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर यह एमटीबी का खतरा होता है। कुपोषण के शिकार लोगों में क्षय रोग होने का खतरा दुगना हो जाता है।
  • टीबी से संक्रमित व्यक्ति को घर पर रहकर आराम करना चाहिए जब तक कि वह संक्रमण से पूरी तरह ठीक नहीं हो जाता। ट्यूबरक्लोसिस के रोगाणु हवा रहित बंद स्थानों में आसानी से फैलते हैं, इसलिए कमरे को पर्याप्त हवादार रखें।उचित स्वच्छता बनाए रखें।


आजकल जन्म के समय पर ही बच्चों को बीसीजी टीका लगवा दिया जाता है जिससे वे इस बीमारी से सुरक्षित रहें। ध्यान रहें ये टीका शिशुओं के लिए ही प्रभावशाली होता है, व्यस्क का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

 

Image Source-Getty

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