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Postpartum Thyroiditis: नई माताओं के लिए क्यों जरूरी है Thyroid Test? जानें डॉक्टर से

Importance of Testing Postpartum Thyroiditis for New Mothers In Hindi: न सिर्फ प्रेग्नेंसी के दौरान, बल्कि डिलीवरी के बाद भी महिलाओं को कुछ जरूरी टेस्ट करवाने चाहिए। इसमें थायराइड टेस्टिंग शामिल हैं। जानें, इसे कराने के फायदों के बारे में-
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Postpartum Thyroiditis: नई माताओं के लिए क्यों जरूरी है Thyroid Test? जानें डॉक्टर से

Postpartum Thyroiditis In Hindi: आमतौर पर महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान सभी जरूरी टेस्ट करवाती हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है, ताकि बच्चे को भविष्य में किसी तरह की परेशानी न हो और वह स्वस्थ जीवन जी सके। इसके अलावा, टेस्ट इसलिए भी जरूरी होते हैं, ताकि प्रेग्नेंसी के दौरान महिला को किसी तरह की जटिलताओं का सामना न करना पड़े। लेकिन, महिलाएं डिलीवरी के बाद किसी भी तरह की जांच नहीं करवाती हैं। जबकि, ऐसा किया जाना सही नहीं होता है। डिलीवरी के बाद महिलाओं को थायराइड टेस्टिंग जरूर करवानी चाहिए। यह टेस्ट पोस्पार्टम थायरॉयडिटिस की जानकारी के लिए किया जाता है। यहां हम जानेंगे कि नई माओं के लिए इसका क्या महत्व है? इस बारे में मुंबई के मुलुंड में स्थित फोर्टिस अस्पताल में सलाहकार एंडोक्रिनोलॉजिस्ट और मधुमेह विशेषज्ञ डॉ. श्वेता बुदियाल और कंसल्टेंट पैथोलॉजिस्ट डॉ. आकाश शाह से जानते हैं।

नई माताओं के लिए क्यों जरूरी है थायराइड टेस्टिंग?- Importance of Testing Postpartum Thyroiditis for New Mothers In Hindi

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पोस्पार्टम थायरॉयडिटिस की जानकारी के लिए थायराइड टेस्टिंग की जाती है। आपको बता दें कि पोस्पार्टम थायरॉयडिटिस एक तरह की ऑटोइम्यून डिजीज है। इस बीमारी की वजह से डिलीवरी के बाद महिला के थायराइड ग्लैंड में सूजन आ जाती है। ऐसा डिलीवरी के महज साल भर के अंदर हो सकता है। आपको बता दें कि पोस्पार्टम थायरॉयडिटिस की वजह से शुरुआती दिनों में थायराइड ग्लैंड ओवरएक्टिव हो जाता है। जैसे-जैसे समय बीतता जाता है थायराइड ग्लैंड अंडरएक्टिव हो जाते हैं। किसी भी नई मां के लिए, जो अपने शिशु को दूध भी पिला रही है, यह कंडीशन सही नहीं है। इस बीमारी का समय रहते पता लगाना है, तो थायराइड टेस्टिंग किया जाना चाहिए।

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पोस्टपार्टम थायरॉयडिटिस से जुड़े टेस्ट

वैसे तो हर डिलीवरी के बाद जैसे ही पोस्टपार्टम थायरॉयडिटिस के लक्षण नजर आते हैं, तो तुरंत इसकी जांच करवाना चाहिए। इससे समय रहते पोस्टपार्टम थायरॉयडिटिस का पता लगाया जा सकता है। पोस्टपार्टम थायरॉयडिटिस की जांच के लिए स्टिमुलेटिंग हार्मोन (TSH), फ्री टी4 और कभी-कभी फ्री टी3 के स्तर को मापने से पोस्टपार्टम थायरॉयडिटिस का निदान करने और थायराइड से जुड़ी अन्य बीमारियों का पता लगाने में मदद मिलती है। हालांकि, आपको बता दें कि रूटीन थायराइड टेस्टिंग पोस्पार्टम महिला के लिए उपयोगी हो, यह जरूरी नहीं है। लेकिन, जिन महिलाओं की फैमिली में पोस्टपार्टम थायरॉयडिटिस का इतिहास मौजूद है, उन्हें सही समय पर निदान के लिए ये सभी जरूरी टेस्ट अवश्य करवाने चाहिए। इसके अलावा, अगर किसी को टाइप 1 डायबिटीज जैसे ऑटोइम्यून कंडीशंस हैं, तो उन्हें भी इस टेस्ट को करवाने पर लापरवाही नहीं करनी चाहिए।

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पोस्टपार्टम थायरॉयडिटिस टेस्ट करवाने के फायदे

पोस्टपार्टम थायरॉयडिटिस की जांच करवान से न सिर्फ समय पर इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है, बल्कि जीवनशैली में जरूरी बदलाव भी किए जा सकते हैं। यहां तक कि पोस्टपार्टम थायरॉयडिटिस की जांच से ओवर ऑल हेल्थ पर भी अच्छा असर पड़ता है। यही नहीं, जब आप पोस्टपार्टम थायरॉयडिटिस की जांच करवा लेते हैं, तो समय पर बीमारी से संबंधित जांच शुरू की जा सकती है, जिससे रिकवरी दर में तेजी लाई जा सकती है। 

All Image Credit: Freepik

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