ज्‍यादा एसएमएस करने की आदत से प्रभावित होती है नींद

ज्‍यादा एमएमएस करने वाले लोगों को नींद से जुड़ी समस्‍याओं का सामना करना पड़ सकता है कैसे जानने के लिए पढ़ें यह हेल्‍थ न्‍यूज।
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ज्‍यादा एसएमएस करने की आदत से प्रभावित होती है नींद


texting habit behind sleeping problems आजकल मोबाइल यूजर्स में मैसेज करने की आदत इस कदर बढ़ गई हे कि वे जरूरी काम करते हुए भी अपने हाथों में मोबाइल का प्रयोग करते हैं। यहां तक कि कुछ लोग तो भीड़भाड़ वाली सड़कों पर चलते हुए भी मैसेज करने से बाज नहीं आते। इससे न सिर्फ हादसा होने का खतरा बढ़ता है बल्‍िक सेहत को भी नुकसान होता है।

 

ज्‍यादा एमएमएस करने वालों को नींद से जुड़ी समस्‍याओं का सामना करना पड़ सकता है। 'वाशिंगटन एंड ली यूनिवर्सिटी' ने इस पर एक शोध किया है। शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि अधिक मैसेज भेजने वालों में नींद से जुड़ी समस्‍याओं के अलावा भावनात्‍मक अस्‍िथरता और शारीरिक निष्‍िक्रयता जैसे लक्षण भी नजर आते हैं।

 

जिस व्‍यक्ति को मैसेज भेजने की आदत जितनी ज्‍यादा होती है, उन्‍हें इन समस्‍याओं का उतना ही अधिक सामना करना पड़ता है। पुख्‍ता निष्‍कर्ष प्राप्‍त करने के लिए शोधकर्ताओं ने स्‍नातक के प्रथम वर्ष में पढ़ने वाले कुछ छात्रों पर अध्‍ययन किया। उन्‍होंने प्रतिभागियों से एक प्रश्‍नावली भरवाई जिसमें उन्‍हें नींद से जुड़ी परेशानियों और भावनात्‍मक स्‍िथति के बारे में बताना था।

 

साथ ही शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों से यह भी पूछा कि एक दिन में औसतन वे कितने मैसेज भेजते और प्राप्‍त करते हैं। जिन छात्रों ने ज्‍यादा संख्‍या में एसएमएस भेजने और प्राप्‍त करने की बात कहीं, उनमें नींद से जुड़ी अधिक समस्‍याएं देखी गईं।

 

ज्‍यादा मैसेज भेजने की आदत दो तरीकों से नींद पर असर कर सकती है। पहला यह कि मोबाइल पर एसएमएस आने पर लोग उसका जबाव देने का दबाव महसूस करते हैं। दूसरा कारण यह कि अधिक एसएमएस करने वाले रात को सोते हुए भी मोबाइल को बिल्‍कुल करीब रखकर सोते हैं।

 

शोधकर्ताओं का यह भी है कि इस तरह की प्रवृति सबसे ज्‍यादा किशोरों और युवाओं में देखने को मिलती है। अध्‍ययन के परिणाम 'जर्नल साइकोलॉजी ऑफ पॉपुलर मीडिया कल्‍चर' के अंक में प्रकाशित किए गए हैं।





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