इन 4 कारणों से बुजुर्गों समेत टीनएजर भी होते हैं पीठ दर्द शिकार, जानें बचाव के तरीके

इस बात में कोई शक नहीं है कि रीढ़ की हड्डी यानि कि स्पाइनल कोर्ड हमारे शरीर का आधार होती है। यदि यह स्वस्थ है तभी व्यक्ति भी स्वस्थ रह सकता है। लेकिन कई बार हम लोग यह भूल जाते हैं कि यह हड्डी जितनी जरूरी है उतनी ही इसकी देखभाल करने की भी जरूरत है। इसे स्वस्थ रखने के लिए न सिर्फ खानपान पर ध्यान देने की जरूरत है बल्कि सही पोस्चर में बैठने और योग, एक्सरसाइज करने की भी जरूरत है। आजकल पीठ और कमर में दर्द की समस्या बहुत आम हो गई है। यह समस्या उन लोगों को ज्यादा होती है जो दिनभर कुर्सी में या फिर एक जगह पर बैठे रहते हैं।
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इन 4 कारणों से बुजुर्गों समेत टीनएजर भी होते हैं पीठ दर्द शिकार, जानें बचाव के तरीके


इस बात में कोई शक नहीं है कि रीढ़ की हड्डी यानि कि स्पाइनल कोर्ड हमारे शरीर का आधार होती है। यदि यह स्वस्थ है तभी व्यक्ति भी स्वस्थ रह सकता है। लेकिन कई बार हम लोग यह भूल जाते हैं कि यह हड्डी जितनी जरूरी है उतनी ही इसकी देखभाल करने की भी जरूरत है। इसे स्वस्थ रखने के लिए न सिर्फ खानपान पर ध्यान देने की जरूरत है बल्कि सही पोस्चर में बैठने और योग, एक्सरसाइज करने की भी जरूरत है। आजकल पीठ और कमर में दर्द की समस्या बहुत आम हो गई है। यह समस्या उन लोगों को ज्यादा होती है जो दिनभर कुर्सी में या फिर एक जगह पर बैठे रहते हैं। हैरानी की बात यह है कि पीठ दर्द की समस्या सिर्फ बड़े बुजुर्गों को ही नहीं बल्कि टीनएजर्स और बच्चों को होती है। यूएस में हुए एक शोध के मुताबिक दुनिया में हर 10 में से लगभग एक व्यक्ति पीठ दर्द, खासतौर से लोअर बैक पेन से जूझता है। रिसर्च तो यहां तक कहती है कि शारीरिक अक्षमता जैसी स्थितियां पैदा करने में भी लोअर बैक पेन अव्वल है। यह शोध वर्ष 2010 में आए ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज के आंकड़ों पर आधारित है।

कब पड़ता है रीढ़ पर दबाव

जब रीढ़ या स्पाइन सही अवस्था में नहीं रहती तो पीठ की मांसपेशियां, लिगमेंट्स और डिस्क पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। मजबूत मांसपेशियां रीढ़ को उचित सीध में रखती हैं और पीठ दर्द से बचाती हैं। ये रीढ़ को सामान्य लचक से अधिक मुडऩे से भी रोकती हैं। रीढ़ के किसी भी हिस्से पर दबाव पडऩे से पीठ में दर्द हो सकता है। यह दर्द गर्दन से लेकर कमर के निचले हिस्से तक हो सकता है। खासतौर पर यह समस्या लोअर बैक में ज्य़ादा होती है। रीढ़ का ढांचा नाडिय़ों और रक्त नलिकाओं के जाल से मिल कर बनता है। स्लिप डिस्क की समस्या में इसके आसपास वाले हिस्से में नसों व मांसपेशियों पर अधिक दबाव पड़ सकता है।

किन कारणों से होता है पीठ में दर्द 

पीठ में दर्द के कई कारण होते हैं। जैसे खराब व निष्क्रिय जीवनशैली, उठने-बैठने का गलत पोस्चर, चिकित्सीय कारण, उम्र बढऩा और आनुवंशिक कारण। सिर्फ पीठ का दर्द ही नहीं बल्कि आजकल स्लिप डिस्क जैसी समस्याएं बहुत देखने को मिल रही हैं। टीनएजर्स में भी ऐसे कई मामले देखे गए हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि कार्यस्थल में एक ही अवस्था में गलत पोस्चर में ज्य़ादा समय तक बैठने से पीठ, कमर या गर्दन के दर्द से जूझना पड़ सकता है। गलत कुर्सी, टाइपिंग की गलत टेक्नीक, मॉनिटर की पॉजीशन ठीक न होने, ठीक ढंग से खड़े न होने या बैठने से भी पीठ का दर्द हो सकता है। पीठ के अलावा यह दर्द जोड़ों, कंधों, गर्दन या अंंगुलियों में भी हो सकता है। यानी ख़्ाराब पोस्चर कई ऑर्थोपेडिक समस्याओं को जन्म देता है। पीठ को लगातार एक ही अवस्था में रखने से उस पर अधिक दबाव पड़ता है, जिससे स्लिप डिस्क जैसी समस्याएं हो सकती हैं, जो समय पर ध्यान न दिए जाने के कारण गंभीर रूप धारण कर सकती हैं।

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ये हैं बचाव के तरीके

  • रीढ़ और गर्दन को सीधा रखें। लगातार झुक कर काम करने से दर्द हो सकता है।
  • की-बोर्ड या टाइपराइटर पर काम करते हों तो कलाइयां सीधी रखें। कलाइयां मुडऩे से नसों में रक्त-संचार धीमा हो सकता है और उस पर दबाव पडऩे लगता है। कुहनी लगभग 60 डिग्री पर मोड़ कर रखें।
  • कुर्सी का डिजाइन भी दर्द की वजह बन सकता है। कुर्सी कार्य के अनुरूप होनी चाहिए। यानी पीठ वाला हिस्सा कंधे के स्तर से थोड़ा ऊपर हो, कुर्सी में हाइट बढ़ाने-घटाने की व्यवस्था हो और इसमें हत्थे हों। खराब कुर्सी में बैठने से शरीर की पॉजिशन भी खराब हो जाती है।
  • कुर्सी की ऊंचाई इतनी रखें कि पैर फर्श पर आसानी से टिकें। घुटनों को 90 डिग्री तक मोड़ कर रखें।
  • हर दो घंटे में 5-10 मिनट का ब्रेक लें। एक ही अवस्था में ज्य़ादा देर तक बैठने से पीठ, गर्दन व अंगुलियों पर अधिक दबाव पड़ता है। इससे बचने के लिए वॉशरूम जाएं, कॉरीडोर या छत पर थोड़ी-थोड़ी देर वॉक करें।
  • टाइप करते समय फोन को कान से सटा कर गर्दन एक ओर झुका कर बात करने से बचें। इससे गर्दन व कमर में दर्द हो सकता है। बेहतर हो कि टाइपिंग छोड़ कर पहले फोन ही सुन लें।

  • ओवरवेट हैं तो वजन कम करने की कोशिश करें।
  • नियमित व्यायाम करें। दर्द के लिए फिजियोथेरेपी करा रहे हों तो डॉक्टर की हर सलाह मानें। पीठ दर्द में वॉकिंग सबसे अच्छी एक्सरसाइज है। दर्द या स्लिप डिस्क जैसी स्थिति में भारी चीजें उठाने, आगे झुकने या झटके से उठने-बैठने से बचें।
  • बीच-बीच में अंंगुलियों व कलाइयों की एक्सरसाइज करते रहें।
  • छह-सात घंटे लगातार डेस्क जॉब के बीच कम से कम दो बार खड़े होकर बांहें फैलाएं और उन्हें आगे-पीछे करते रहें, ताकि एक ही अवस्था में बैठे रहने से कंधे में होने वाली अकडऩ से बच सकें।

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