
शहरीकरण के दौर में काम की व्यस्तता और उचित व स्वस्थ खान-पान ना मिल पाने के कारण लोग सबसे अधिक दिल की बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं। अगर आप दिल की तमाम तरह की बीमारियों से बचना चाहते हैं तो अपने दांतों का ख्याल अच्छे से रखें। क्योंकि कम्पीटेटिव दौर में आप काम की व्यस्तता को कम नहीं कर सकते। ऐसे में जहां तक हो अपने ही दायरे में सावधानी बरतें और दांतों का ख्याल रखें।
क्योंकि दांत की जड़ों के ऊपरी भाग में होने वाले संक्रमण से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। यह संक्रमण बेहत ही सामान्य और लक्षणरहित होता है जिस पर शायद ही लोगों का ध्यान जाता है। ऐसे में इसका इलाज नहीं करने पर ये घातक रोग बन जाता है।
फिनलैंड स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ हेलसिंकी के अध्ययनकर्ता जॉन लिजेस्ट्रैंड के अनुसार, “दांतों के जड़ों के उपचार की जरूरत वाले रोगियों को अगर चिकित्सा नहीं मिलती है तो उनमें बगैर इस विकार वाले रोगियों की तुलना में एक्यूट कोरेनरी सिंड्रोम का खतरा 2.7 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।”
दांतों के जड़ों में संक्रमण एपिकल पीरियडोंटाइटिस की बीमारी है। इस बीमारी में दांत की जड़ के ऊपरी भाग के चारों ओर एक तेज संक्रमण और दर्द होता है। इस बीमारी का प्रमुख कारण दांतों में सड़न का होना है। इस अध्ययन के लिए अध्ययनकर्ताओं ने फिनलैंड के 62 वर्ष से अधिक उम्र के 508 रोगियों पर अध्ययन किया। ये सारे लोग अध्ययन के दौरान दिल की बीमारी से पीड़ित थे।
इस अध्ययन के अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि संक्रमित दांतों के रूट कैनाल का इलाज दिल की बीमारियों के जोखिम को कम करने में काफी असरकारक हो सकता है। यह अध्ययन इस बात की पुष्टि करती है कि मुंह में किसी भी तरह का संक्रमण शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित करता है। इस अध्ययन को ‘जर्नल ऑफ डेंटल रिसर्च’ में प्रकाशित किया गया है।
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