कोलेजन वैस्कुलर डिजीज (Collagen Vascular Disease) एक ऑटोइम्यून विकार है, जिसमें शरीर की इम्यून सिस्टम गलती से शरीर के अपने टिश्यूज और अंगों पर हमला करती है। यह रोग मुख्य रूप से शरीर के संयोजी ऊतकों (connective tissues) को प्रभावित करता है, जिसमें कोलेजन प्रमुख भूमिका निभाता है। कोलेजन एक प्रकार का प्रोटीन होता है, जो त्वचा, हड्डियों, मांसपेशियों और रक्त वाहिकाओं को बनावट और मजबूती प्रदान करता है। इस बीमारी के कई रूप हो सकते हैं, जैसे ल्यूपस, स्क्लेरोडर्मा, और रूमेटॉइड आर्थराइटिस आदि। इस लेख में यशोदा अस्पताल के इंटरनल मेडिसिन सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर एपी सिंह जानते हैं कि कोलेजन वैस्कुलर डिजीज के लक्षण और कारण क्या होते हैं?
कोलेजन वैस्कुलर डिजीज के लक्षण - Symptoms Of Collagen Vascular Disease In Hindi
जोड़ों में दर्द और सूजन - Joint Pains And Swelling
यह रोग अक्सर जोड़ों को प्रभावित करता है, जिससे जोड़ों में दर्द, सूजन और जकड़न हो सकती है। यह लक्षण रूमेटॉइड आर्थराइटिस जैसे रोगों में प्रमुख होता है। इस स्थिति में मरीज को घुटनों पैरों और अन्य जोड़ों में सूजन भी दिखाई देती है। इसके अलावा, इस समस्या में व्यक्ति को चलने में परेशानी होती है। साथ ही, रोजाना के काम काज में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
टॉप स्टोरीज़
त्वचा में परिवर्तन - Skin Changes
कोलेजन वैस्कुलर डिजीज में त्वचा में असामान्य परिवर्तन होते हैं। व्यक्ति को स्किन पर लाल चकत्ते, त्वचा का सख्त होना या पतला होना आदि लक्षण दिखाई देते हैं। स्क्लेरोडर्मा में त्वचा की कठोरता और रंग बदलना सामान्य है।
लगातार थकान और कमजोरी - Tiredness And Fatigue
कोलेजन वैस्कुलर डिजीज के रोगियों को लगातार थकान और शारीरिक कमजोरी महसूस हो सकती है। यह लक्षण ल्यूपस और अन्य ऑटोइम्यून रोगों में आम है। इस दौरान मरीज को थोड़ा शारीरिक काम करने पर ही थकान होने लगती है।
बुखार आना - Fever
बिना किसी स्पष्ट कारण के बार-बार बुखार होना भी इस रोग का संकेत हो सकता है। यह शरीर में चल रही सूजन और इम्यून सिस्टम की प्रतिक्रिया के कारण होता है।
कोलेजन वैस्कुलर डिजीज के कारण - Causes Of Collagen Vascular Disease In Hindi
ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया - Autoimmune Response
यह रोग मुख्य रूप से एक ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया के कारण होता है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अपने ही संयोजी ऊतकों पर हमला करने लगती है। फिलहाल तो इसके सटीक कारण अज्ञात है, लेकिन माना जाता है कि यह आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारकों के संयुक्त प्रभाव से होता है।
हार्मोनल असंतुलन - Hormonal Imbalance
महिलाओं में इस रोग की संभावना पुरुषों की तुलना में अधिक होती है, जिससे यह माना जाता है कि हार्मोनल असंतुलन इस रोग के विकास में भूमिका निभा सकता है। विशेष रूप से एस्ट्रोजन हार्मोन इस प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।
आनुवांशिकता - Genetics Factor
अगर परिवार के किसी सदस्य को कोलेजन वैस्कुलर डिजीज है, तो परिवार के अन्य सदस्यों में भी इस रोग के विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है। आनुवांशिक कारक इस बीमारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो इसे पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित कर सकते हैं।
वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण - Viral And Bacterial Infection
कुछ संक्रमण, विशेषकर वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण, ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया को ट्रिगर कर सकते हैं, जिससे कोलेजन वैस्कुलर डिजीज हो सकता है। यह संक्रमण इम्यून सिस्टम को असंतुलित कर सकता है और उसे अपने ही शरीर के टिश्यू पर हमला करने के लिए प्रेरित कर सकता है।
स्ट्रेस और मानसिक स्वास्थ्य - Stress And Mental Health
मानसिक तनाव और चिंता भी इस रोग को ट्रिगर कर सकते हैं। स्ट्रेस से इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है, जिससे शरीर में सूजन और ऑटोइम्यून प्रतिक्रियाओं की संभावना बढ़ जाती है।
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कोलेजन वैस्कुलर डिजीज एक जटिल और गंभीर ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, जो कई अंगों और टिश्यू को प्रभावित कर सकता है। इसके लक्षण विभिन्न हो सकते हैं, लेकिन सबसे सामान्य लक्षणों में जोड़ों का दर्द, त्वचा में बदलाव, थकान, और सांस लेने में कठिनाई शामिल हैं। इसका सटीक कारण अभी तक पूरी तरह ज्ञात नहीं है, लेकिन ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया, आनुवांशिकता, हार्मोनल असंतुलन, और पर्यावरणीय कारक इसके प्रमुख कारण हो सकते हैं।