सर्जरी बाद अब अस्पतालों में मरीज को मिलेगी ये सुविधा

सर्जरी के बाद अब मरीज को अस्पताल में बिस्तर से चिपके रहने की जरूरत नहीं है।
  • SHARE
  • FOLLOW
सर्जरी बाद अब अस्पतालों में मरीज को मिलेगी ये सुविधा


सर्जरी के बाद अब मरीज को अस्पताल में बिस्तर से चिपके रहने की जरूरत नहीं है। एक ऐसी प्रौद्योगिकी आई है जिससे मरीज वार्ड में चलता-फिरता भी रहेगा तो उसकी रिकवरी की रिपोर्ट उसके डॉक्टर व नर्स को वायरलेस संदेश मिलता रहेगा। 'पेशंट सेफ्टीनेट सिस्टम' यानी रोगी सुरक्षा प्रणाली की यह तकनीकी अभी देश में सिर्फ गुरुग्राम स्थित मेदांता द मेडिसिटी मल्टीस्पेशियेलिटी हॉस्पिटल में शुरू हुई है। गुरुग्राम स्थित मेदांता द मेडिसिटी और चिकित्सा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अमेरिका की अग्रणी कंपनी मैसिमो ने मंगलवार को अस्पताल में पेशंट मॉनिटरिंग एंड रिकवरी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने को लेकर एक समझौता किया।

इस मौके पर मेदांता द मेडिसिटी के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक डॉ. नरेश त्रेहन ने कहा कि रेडियस-7 एक बेहतरीन प्रौद्योगिकी है और इससे मरीजों की हिफाजत करने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि यह कोई महंगी प्रौद्योगिकी भी नहीं है जिससे मरीजों पर खर्च का बोझ पड़ेगा। डॉ. त्रेहन ने बताया कि महज 700-800 रुपये में मरीज करीब सप्ताह भर अस्पताल में भर्ती के समय इसका इस्तेमाल कर सकता है।

मेसिमो के प्रेसिडेंट (वल्र्डवाइड) जॉन कोलमेन ने कहा, दक्षिण एशिया में सबसे पहले इस प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल मेदांता में हो रहा है। उन्होंने कहा कि इससे मरीजों की निगरानी करना डॉक्टरों के लिए सुगम हो जाएगा। मेंदाता स्टीट्यूट ऑफ क्रिटिकल केयर एंड एनेस्थेसियोलॉजी के चेयरमैन डॉ. जतिन मेहता ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि सर्जरी के बाद मरीज को गहन देखभाल इकाई (आईसीयू) में रखा जाता है, जहां डॉक्टर व नर्स उनकी विशेष निगरानी करते हैं। लेकिन आईसीयू से वार्ड में भेजने पर मरीज की रिकवरी के लिए उनका चलना-फिरना जरूरी है। बिस्तर पर ज्यादा रहने से बेडशोर जैसी तकलीफ बढ़ जाती है। ऐसे में रेडियस-7 मरीजों के लिए कारगर साबित होगा।

इसे भी पढ़ें : सिर्फ इस वजह से भारत में लगातार बढ़ रहे हैं डिप्रेशन के रोगी

उन्होंने कहा, इससे न सिर्फ मरीजों को रिकवरी में मदद मिलेगी, बल्कि गंभीर हालत में उनकी निगरानी में भी सहूलियत मिलेगी। दिल की बीमारी से पीड़ित मरीजों की हृदय गति, रक्त में हेमोग्लोबीन की मात्रा, ऑक्सीजन संतृप्तता आदि की देखभाल काफी अहम होती है। इसके अब मरीजों को बिस्तर पर रहने की जरूरत नहीं है। उनके शरीर में लगी मशीन से डॉक्टर व नर्स को इसकी जानकारी मिलती रहेगी।

इसे भी पढ़ें : आया स्तन कैंसर का नया इलाज! ग्रामीण महिलाएं भी होंगी रोग मुक्त

डॉ. मेहता ने बताया कि बहरहाल रेडियस-7 का इस्तेमाल दिल के मरीजों के लिए किया जाएगा। मैसिमो के दक्षिण एशिया प्रमुख भरत मोटीरियो ने इसकी कार्यविधि की जानकारी देते हुए बताया कि रेडियस-7 पहने मरीज के बारे में उनकी हृदय गति, रक्त संचार, ऑक्सीजन संतृप्तता के जरिये गंभीर स्थिति के संकेत मिलते हैं तो  इसकी सूचना डॉक्टर व नर्स के पास मशीन के जरिए चली जाती है। नर्स को पेजर पर सूचना दी जाती है। अगर एक नर्स ने 30 सेकंड में सूचना प्राप्त नहीं की तो दूसरी नर्स के पेजर पर यह सूचना दी जाती है। रेडियस-7 वार्ड में 25-30 मीटर के रेडियस में काम करता है। उन्होंने बताया कि अमेरिका व यूरोप में इसका इस्तेमाल पहले से ही हो रहा है और वहां यह मरीजों के लिए उपयोगी साबित हुआ है।

ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप

Read More Articles On Health News In Hindi

Read Next

बोर्ड परिक्षा में पाने हैं अच्छे अंक, तो ऐसे रखें अपने स्वास्थ्य का ख्याल

Disclaimer

How we keep this article up to date:

We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.

  • Current Version