यह तो आप जानते ही होंगे कि सनस्क्रीन आपको सनबर्न से बचाने में मददगार है। लेकिन इसके अलावा सनस्क्रीन स्किन कैंसर के खतरे को कम करती है। हाल में हुए एक अध्ययन से पता चलता है किे सनस्क्रीन शरीर की रक्त वाहिकाओं के कार्य को बनाए रखने में मदद करती है। वैज्ञानिकों ने इस पर कई वर्षों शोध के बाद जाना कि सूर्य की पराबैंगनी विकिरणें (यूवीआर) स्किन कैंसर का एक प्रमुख कारण है। सूर्य की पराबैंगनी किरणें कोशकीय एंव आणविक (सेलुलर और मोलेक्यूलर) क्षति का कारण बनती हैं, जो स्किन की उम्र को बढ़ने में बढ़ावा देती हैं। सूर्य की पराबैंगनी किरणों का त्वचा में रक्त वाहिकाओं के साथ परस्पर संबंध दिखता है। यह त्वचा पर गहरा प्रभाव डालती हैं।
सूर्य की पराबैंगनी किरणें त्वचा में रक्त वाहिकाओं के कार्य को प्रभावित करती है। यह वासोडिलेटर के स्तर को कम करता है, जो नाइट्रिक ऑक्साइड से मध्यस्थता करता है। नाइट्रिक ऑक्सीइड मानव शरीर में एक महत्वपूर्ण संकेत अणु है। वासोडिलेटर धमनियों और नंसों की मांसपेशियों को प्रभावित करते हैं। जिससे रक्त वाहिकाओं के माध्यम से रक्त प्रवाह में वृद्धि होती है। रक्त प्रवाह के विनियमन के लिए नाइट्रिक ऑक्साइड का उत्पादन महत्वपूर्ण है। नाइट्रिक ऑक्साइड रक्त वाहिकाओं के आसपास की चिकनी मांसपेशियों पर प्रभाव डालता है, जिससे रक्त प्रवाह बढ़ता है।
नाइट्रिक ऑक्साइड और वासोडिलेटर
वासोडिलेटर शरीर में गर्मी, तनाव और शरीर के तापमान को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यादि शरीर अधिक गर्म होता है, तो नाइट्रिक आम्क्साइड त्वचा में वासोडिलेटर पैदा करता है। जिससे रक्त प्रवाह बढ़ता है और यदि शरीर अधिक गरम है, तो NO त्वचा में वासोडिलेशन पैदा करता है, जिससे रक्त प्रवाह बढ़ता है और त्वचा को गर्मी से नुकसान नहीं पहुंचता। हर प्रकार की स्किन सेल्स नाइट्रिक ऑक्साइड का उत्पादन करने में सक्षम होती हैं, लेकिन इस प्रक्रिया में 5-मिथाइलटैराहाइड्रॉफोलेट (5-MTHF) नामक रासायन आवयश्क है। सूर्य की पराबैंगनी किरणें (5-MTHF) को कम करती हैं, जिससे वासोडिलेटर सीमित होता है।नाइट्रिक ऑक्साइड एक मजबूत वासोडिलेटर है। यह रक्तचाप को कम कर सकता है, साथ ही धमनी अवरोध और स्ट्रोक को रोक सकता है।
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पराबैंगनी किरणों के जोखिम और सनस्क्रीन
त्वचा कैंसर फाउंडेशन के अनुसार, पराबैंगनी विकिरण सनबर्न के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं। यह किरणें त्वचा की कोशिकाओं को प्रभावित करती हैं। जिससे मेलेनिन के उत्पादन को प्रभावित करने की अनुमति मिलती है। इन किरणों से त्वचा कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। अल्ट्रावॉयलेट किरणें दो प्रकार की होती हैं- यूवीए और यूवीबी। यूवीए किरणें ज्यादा खतरनाक होती हैं, क्योंकि यह त्वचा पर ज्यादा समय तक रहने वाले असर छोड़ती हैं। यूवीबी किरणें सनबर्न और फोटो एजिंग जिम्मेदार होती हैं। सनस्क्रीम यूवीबी किरणों को फिल्टर करता है। इसके अलावा सनब्लॉक में जिंक ऑक्साइड होता है,जो दोनों तरह की किरणों से आपकी त्वचा की सुरक्षा कर सकता है।
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अध्ययन में पाया गया है, ''जो लोग बाहर काम करने या अपनी किसी अन्य गतिविधियों के लिए निकलने से पहले सनस्क्रीन का उपयोग करते हैं, वह न केवल त्वचा को सनबर्न से बचाते हैं, बल्कि स्किन कैंसर के खिलाफ त्वचा संवहनी कार्य में कमी से भी शरीर की रक्षा करते हैं।''
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