त्वचा पर होने वाले फंगल इंफेक्शन को बहुत सामान्य समस्या माना जाता है। मगर आजकल दुनियाभर में एक ऐसा फंगल इंफेक्शन तेजी से फैल रहा है, जो 90 दिन के भीतर व्यक्ति की जान ले सकता है। कैंडिडा ऑरिस नाम के इस फंगल इंफेक्शन का कोई इलाज उपलब्ध नहीं है, जिसके कारण दुनियाभर के वैज्ञानिक चिंतित हैं। आमतौर पर फंगल इंफेक्शन को एंटीबायोटिक दवाओं की मदद से ठीक कर लिया जाता था। मगर कैंडिडा ऑरिस नाम के इस विशेष फंगल इंफेक्शन ने चिकित्सकों को हैरान कर दिया है, क्योंकि इस पर किसी भी दवा का कोई असर नहीं हो रहा है।
भारत और पाकिस्तान में भी बढ़ा खतरा
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार ये वायरस अब तक कई लोगों की जान ले चुका है। पिछले सालों में ये वायरस स्पेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जापान और वेनेजुएला में काफी खतरनाक रूप से फैल चुका है। भारत, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका में भी इस वायरस के फैलने का खतरा बढ़ गया है।
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कितना खतरनाक है ये वायरस
न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी इस रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल मई महीने में ब्रुकलिन में एक बुजुर्ग को भर्ती किया गया। ब्लड टेस्ट में पता चला कि व्यक्ति को किसी खास जीवाणु ने संक्रमित किया है। बुजुर्ग को आईसीयू में शिफ्ट किया गया, जहां 90 दिन के भीतर ही उसकी मौत हो गई। मरीज की मौत के बाद जब आईसीयू के उस कमरे की जांच की गई, जिसमें मरीज भर्ती था, तो कमरे में मौजूद हर चीज पर कैंडिडा ऑरिस के जीवाणु पाए गए। इस खतरनाक वायरस को खत्म करने के लिए अस्पताल को विशेष उपकरणों और केमिकल्स की मदद से सफाई करनी पड़ी। इसके अलावा जिस कमरे में मरीज भर्ती था, उसकी दीवार, छत और जमीन की टाइल्स को उखाड़ कर अलग किया गया, ताकि वायरस को पूरी तरह खत्म किया जा सके। यूएस में पिछले सालों में इस वायरस से लगभग 600 लोग प्रभावित हुए थे।
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क्या हैं कैंडिडा ऑरिस के लक्षण
ये इंफेक्शन आमतौर पर ऐसे लोगों को शिकार बनाता है, जिनकी इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) कम होती है। पहले से किसी बीमारी से प्रभावित व्यक्ति को इसका खतरा ज्यादा होता है। इस वायरस के ज्यादातर मरीजों में ब्लड इंफेक्शन, कान का इंफेक्शन या चोट और घाव पर इंफेक्शन की समस्याएं देखी गई हैं। इस बीमारी की पहचान किसी बाहरी लक्षण को देखकर नहीं की जा सकती, बल्कि इसके लिए ब्लड टेस्ट करवाना बहुत जरूरी है।
इस इंफेक्शन पर नहीं होता दवाओं का असर
पोस्टग्रैजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च चंडीगढ़ ने देश के 27 मेडिकल इंस्टीट्यूट्स के साथ मिलकर फंगल इंफेक्शन के मरीजों पर एक अध्ययन 2011 में किया गया था, जिसमें पाया गया था कि कैंडिडा ऑरिस से प्रभावित कुल मरीजों में से 45% मरीजों की मौत 30 दिन के भीतर हो गई थी। वहीं सिर्फ 27.5% मरीजों को ही बचाया जा सका था। चिकित्सकों के अनुसार कैंडिडा ऑरिस के मरीजों की मृत्युदर इसलिए ज्यादा है, क्योंकि इस इंफेक्शन पर किसी भी उपलब्ध दवा का असर नहीं होता है।
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