
भरपूर नींद तन और मन को हेल्दी रखने के लिए बहुत जरूरी है। लेकिन हाल ही में हुए एक शोध की मानें तो सोशल मीडिया के अधिक इस्तेमाल से बच्चों की नींद उड़ रही है। इस शोध की मानें तो 12 से 15 साल के हर तीन में से एक से ज्यादा बच्चों की नींद सप्ताह में कम से कम एक बार टूट ही जाती है।

शोध के मुताबिक बच्चों की नींद टूटने की वजह सोशल मीडिया का अधिक प्रयोग करना है। कार्डिफ़ विश्वविद्यालय की टीम ने पाया कि हर 5 बच्चों में से एक से ज़्यादा ने रात में उठ कर सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया और इसके चलते अगले दिन स्कूल में उन पर थकान हावी रही। इसके लिए पूरे वेल्स के अलग-अलग स्कूलों के 848 बच्चों का सर्वे किया गया और इसमें पाया गया कि हर 3 बच्चे में से एक बच्चा लगातार थकान में था।
परंतु इसकी तुलना में उन बच्चों का संख्या कहीं अधिक थी जिन्होंने सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं किया और उन सभी बच्चों के जागने का समय एक ही था। इसके लिए पहला सर्वेक्षण 12 से 13 साल के 412 बच्चों पर किया गया। इनमें 22 प्रतिशत बच्चे ऐसे थे जो सोशल मीडिया के इस्तेमाल के चलते हर रात जगाते थे। इसमें 14 प्रतिशत बच्चे ऐसे थे, जिनकी नींद कम से कम सप्ताह में कम से कम एक बार टूटती थी।
जबकि दूसरा सर्वेक्षण 14 से 15 साल के 436 बच्चों पर किया गया। इसमें ऐसे बच्चों की संख्या 23 प्रतिशत थी जो सोशल मीडिया के इस्तेमाल के चलते जागते थे। इस आयु वर्ग में 15 प्रतिशत बच्चे ऐसे थे जो कि हफ्ते भर में कम से कम एक बार सोशल मीडिया के इस्तेमाल के चलते जागते थे। ये शोध कार्डिफ़ विश्वविद्यालय के डॉ किम्बर्ले हॉर्टॉन ने किया है।
उनका कहना है, 'लगता है अब वक्त आ गया है कि रात के दौरान सोशल मीडिया के इस्तेमाल को बढ़ावा ना दिया जाए।' इस शोध में पाया गया कि सही वक्त पर बिस्तर पर ना जाने और ना सोने के चलते ही बच्चे हमेशा थके रहते हैं।
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